चूरू के DBH हॉस्पिटल की स्थिति को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का गुस्सा सामने आया है। पूर्व विधायक के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध किया और हॉस्पिटल की बदहाल स्थिति की पोल खोली। चूरू के इस सरकारी अस्पताल की सफाई व्यवस्था, ढहती हुई इमारतें और खराब हालत ने यहां इलाज कराने आने वाले लोगों के लिए संकट खड़ा कर दिया है।

चूरू के DBH हॉस्पिटल की खस्ता हालत
चूरू का DBH (डिस्ट्रिक्ट सरकारी हॉस्पिटल) अस्पताल एक समय में जिले का प्रमुख चिकित्सा केंद्र माना जाता था, लेकिन आज इसकी स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। अस्पताल की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है और चारों ओर गंदगी का आलम है। विशेष रूप से शौचालयों की गंदगी और नालियों में जमा कचरा देखने को मिल रहा है। यह स्थिति न केवल मरीजों के लिए बल्कि अस्पताल में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों के लिए भी खतरनाक साबित हो रही है।
अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारी और मरीज दोनों ही परेशान हैं। हालात इतने खराब हो गए हैं कि कोई भी व्यक्ति इस अस्पताल में इलाज करवाने के लिए जाने से पहले कई बार सोचता है। पूर्व विधायक राजेंद्र राठौड़, जो कि एक समय में चिकित्सा मंत्री भी रहे, उनके कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आक्रोश
चूरू के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अस्पताल की बुरी स्थिति को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि जब अस्पताल का इतना बुरा हाल है, तो सरकारी व्यवस्था की असल स्थिति क्या होगी? कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आरोप है कि यह हालत तब से खराब हुई है, जब से पूर्व विधायक और चिकित्सा मंत्री रहे राजेंद्र राठौड़ ने इस अस्पताल की स्थिति को नजरअंदाज किया।
हॉस्पिटल के सैकड़ों मरीजों और उनके परिवारों ने इस खराब स्थिति के खिलाफ आवाज उठाई है। कांग्रेस के स्थानीय नेता हेमंत सिया ने कहा कि अस्पताल की स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि इलाज कराने आए लोगों को बुनियादी स्वच्छता और सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लेकर जिला प्रशासन और स्थानीय नेताओं से बात करेगी और जल्द ही अस्पताल के सामने विशाल धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
अस्पताल की दुर्दशा: सफाई और सुविधाओं की कमी
चूरू के DBH हॉस्पिटल में सफाई की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि मरीजों और उनके परिवार वालों को अस्पताल के अंदर घुसते ही गंदगी का सामना करना पड़ता है। शौचालयों में बदबू और गंदगी का आलम है, जिससे मरीजों और उनके रिश्तेदारों को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इसके अलावा, अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की भी भारी कमी है। जैसे कि अस्पताल के इमरजेंसी डिपार्टमेंट में मरीजों को इलाज कराने के लिए पुराने कागजों पर दस्तावेज़ बनाने पड़ते हैं। इससे मरीजों को अतिरिक्त परेशानी होती है और उनका समय बर्बाद होता है। साफ-सफाई का नामोनिशान नहीं है, और इलाज करने वाले डॉक्टर भी परेशान हैं क्योंकि उन्हें अपने कार्य करने के लिए उपयुक्त वातावरण नहीं मिल रहा।
सरकारी ठेकेदारों पर भ्रष्टाचार के आरोप
चूरू के इस अस्पताल में लगे ठेकेदारों पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि इन ठेकेदारों के कारण अस्पताल की हालत और भी बदतर हो गई है। अस्पताल के भीतर बायोमेडिकल वेस्ट जलाने के लिए जो ठेकेदार नियुक्त किए गए थे, उनकी कार्यप्रणाली को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ठेकेदारों ने अस्पताल को निजी लाभ के लिए संचालित किया और उन्हें सरकारी बजट से अधिक धन प्राप्त करने के लिए गलत तरीके से काम करने दिया।
नवीन इमारत का निर्माण: फिर भी कमियां
अस्पताल की नई बिल्डिंग का निर्माण जारी है, लेकिन उसमें भी कई कमियां हैं। अस्पताल के भीतर बिजली का इस्तेमाल भी पूरी तरह से अनियमित है। अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि ठेकेदारों ने बिल्डिंग में बिजली के उपयोग में अनियमितता की है और इससे सरकारी खर्च में भारी वृद्धि हो रही है।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर समय रहते अस्पताल के भीतर मूलभूत सुधार नहीं किए गए, तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि अस्पताल की स्थिति को ठीक करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का धरना प्रदर्शन की चेतावनी
कांग्रेस कार्यकर्ता ने कहा कि अगर प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान नहीं देगा, तो पार्टी अस्पताल के बाहर एक विशाल धरना प्रदर्शन करेगी। हेमंत सिया ने कहा कि अगर सरकार और स्थानीय विधायक इस मुद्दे को हल नहीं करते हैं, तो पार्टी और स्थानीय लोग इस विषय को उठाने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे। उनका कहना था कि अगर अस्पताल में बदलाव नहीं आता, तो कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
निष्कर्ष
चूरू के DBH अस्पताल की स्थिति न केवल अस्पताल के कर्मचारियों और मरीजों के लिए, बल्कि जिले की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। अस्पताल में सुधार की आवश्यकता बहुत ही जरूरी है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस मामले को लेकर विरोध जताया है और प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की है। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन और सरकार इस मुद्दे को किस तरीके से सुलझाते हैं और चूरू के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए क्या कदम उठाते हैं।
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