बीकानेर। बीकानेर के वार्ड नंबर 68 में शराब के एक नए ठेके को लेकर स्थानीय निवासियों और पुलिस के बीच तनावपूर्ण माहौल बन गया। सुबह के समय जब ठेका खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई, तो मोहल्लेवासियों ने विरोध प्रदर्शन किया। महिलाओं ने साफ शब्दों में कहा कि “या तो हम जिएंगे या फिर वो (ठेका) खुलेगा।” इस दौरान पुलिस और महिलाओं के बीच हाथापाई और लाठीचार्ज की घटनाएं सामने आईं।

ठेके के खिलाफ मोहल्ले में विरोध
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस स्थान पर ठेका खोला जा रहा है, उसके पास गर्ल्स कॉलेज, लाइब्रेरी, कोचिंग संस्थान, मंदिर और हॉस्टल हैं। रोज़ाना हज़ारों छात्राएं यहां से गुजरती हैं। लोगों ने आबकारी विभाग को ज्ञापन देकर पहले ही आपत्ति दर्ज करवा दी थी, लेकिन प्रशासन ने इसे नजरअंदाज करते हुए ठेका खोलने की तैयारी शुरू कर दी।
“ठेका नहीं खुलने देंगे”
सुबह जैसे ही ठेके पर सामान डाला जाने लगा, स्थानीय महिलाएं और पुरुष मौके पर पहुंचे और विरोध जताया। प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं ने कहा, “अगर ठेका खुला, तो या तो हम मरेंगे या वो ठेका।” उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ठेकेदार से मिला हुआ है और पुलिस उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।
पुलिस और महिलाओं के बीच झड़प
प्रदर्शन के दौरान पुलिस और महिलाओं के बीच कहासुनी हुई। कई महिलाओं ने आरोप लगाया कि उन्हें धक्का दिया गया और उनके साथ बदसलूकी की गई। एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश कर रहे हैं और महिलाओं को पीछे धकेल रहे हैं।
“ताला तोड़कर अंदर सामान डाला गया”
स्थानीय निवासी बताते हैं कि जब मोहल्ले के लोग शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे, तभी पुलिस की गाड़ियों में आए अधिकारियों ने दो-तीन लोगों को पकड़ लिया और बाकी पुलिसकर्मियों ने ताला तोड़कर ठेके में शराब का सामान रखना शुरू कर दिया। इसके बाद इलाके में माहौल गरमा गया और बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए।
“महिलाओं की कोई सुनवाई नहीं”
प्रदर्शन में शामिल महिलाओं का कहना है कि प्रशासन ने उनकी बात को अनदेखा किया है। “हमारे क्षेत्र में गर्ल्स हॉस्टल है, छात्राएं हैं, फिर भी ठेका खोलने की जिद की जा रही है। पुलिस वालों ने ठेकेदार का साथ दिया और हमारे साथ अभद्र व्यवहार किया।”
“राजस्व के नाम पर जनता को नज़रअंदाज़”
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि आबकारी विभाग सिर्फ राजस्व बढ़ाने की बात कर रहा है। एक व्यक्ति ने कहा, “राजस्व तो हर चीज से आता है, लेकिन क्या जनता की सुरक्षा और मानसिक शांति से ज्यादा जरूरी है ये ठेका?”
स्थानीय संस्थानों पर प्रभाव
जिस जगह ठेका खोला जा रहा है, उसके पास ही महारानी गर्ल्स कॉलेज, एमएस कॉलेज, लाइब्रेरी, कोचिंग सेंटर और कई किराए के मकानों में रह रहीं लड़कियां रहती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ठेके के कारण माहौल खराब हो सकता है और छात्राओं की सुरक्षा पर खतरा मंडराएगा।
पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस पूरी तरह से ठेकेदार के साथ खड़ी नजर आई। उन्होंने कहा, “पुलिस कहती है कि ठेकेदार ने ठेका लिया है तो उसे खोलने दिया जाएगा, फिर चाहे जनता कुछ भी कहे।”

आगे की रणनीति
मोहल्ले वालों ने साफ किया है कि जब तक ठेका बंद नहीं होता, उनका आंदोलन जारी रहेगा। वे उच्च अधिकारियों से मुलाकात करने और जरूरत पड़ी तो कानूनी कार्रवाई करने की बात भी कह रहे हैं।
निष्कर्ष
बीकानेर के इस विवाद ने प्रशासन, पुलिस और जनता के बीच बढ़ते अविश्वास को उजागर किया है। जहां एक तरफ सरकार नशे के खिलाफ अभियान चलाने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर संवेदनशील इलाकों में ठेके खोलकर जनता की आवाज को दबाया जा रहा है। यह मामला केवल शराब ठेके का नहीं, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा, युवाओं के भविष्य और प्रशासन की जवाबदेही से जुड़ा हुआ है।