त्रिपुरा में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए चूरू के लाल
राजस्थान के चूरू जिले के वीर सपूत राइफलमैन कुलदीप पूनिया का त्रिपुरा में ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक से निधन हो गया। 36 वर्षीय कुलदीप त्रिपुरा स्टेट राइफल्स की थर्ड बटालियन में तैनात थे। उनके शहीद होने की खबर जैसे ही उनके पैतृक गांव हरपालू सावरा (तहसील राजगढ़) पहुंची, पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई।

13 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
कुलदीप पूनिया की शहादत को सम्मान देने के लिए उनके पार्थिव शरीर को राजगढ़ शहीद स्मारक से उनके गांव तक 13 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा के रूप में ले जाया गया। यह यात्रा सुबह 8:30 बजे शुरू हुई और दो घंटे बाद गांव पहुंची। इस यात्रा में हजारों की संख्या में ग्रामीण, युवा, महिलाएं और बच्चे हाथों में तिरंगा लेकर शामिल हुए। बाइक और गाड़ियों के काफिले के साथ यह यात्रा देशभक्ति गीतों और “शहीद अमर रहें” के नारों से गूंजती रही।
माँ और पिता का दर्द छलका, मासूम बेटे का सैल्यूट
जब शहीद कुलदीप पूनिया का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा हुआ उनके घर पहुंचा, तो माहौल बेहद भावुक हो गया। बूढ़ी माँ बेटे का चेहरा सहलाते हुए फूट-फूटकर रो पड़ी। पत्नी बेसुध हो गई और 8 साल के मासूम बेटे नक्श की आंखों से भी आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। नक्श ने पिता को सैल्यूट करते हुए “जय हिंद” कहा तो वहां मौजूद हर आंख नम हो गई।
यह दृश्य हर किसी के दिल को झकझोर देने वाला था।
शहीद कुलदीप के पिता राजेश सिंह ने अपने बेटे की अर्थी को तिरंगा सौंपते हुए खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश की, लेकिन उनके आंसू साफ बता रहे थे कि वे अंदर से कितने टूट चुके हैं।
गौरतलब है कि कुलदीप के छोटे भाई मनदीप की भी दो साल पहले हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। अब बड़े बेटे की शहादत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
गांव और क्षेत्र के नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
शहीद कुलदीप पूनिया को अंतिम विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी पहुंचे। सांसद राहुल कस्वां ने कहा:
“यह हमारे क्षेत्र के लिए बहुत दुख की घड़ी है। राजगढ़ तहसील के सबसे अधिक युवा सेना में भर्ती होते हैं। कुलदीप पूनिया देश के लिए शहीद हुए हैं और हम उनके परिवार के साथ खड़े हैं।”
विधायक मनोज न्यांगली ने भी कहा कि:
“शदुलपुर विधानसभा क्षेत्र वीरों की धरती है। यहां के जवान हमेशा देश और समाज के लिए लड़ते हैं। कुलदीप की शहादत को सलाम करते हुए हम सब उनके परिवार के साथ हैं।”
पूर्व सैनिक संघ अध्यक्ष मुकेश पूनिया ने बताया कि यह यात्रा सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
तिरंगा यात्रा के बाद गांव के मोक्षधाम में कुलदीप पूनिया का राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। राजस्थान पुलिस की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। बेटे नक्श ने अपने पिता को मुखाग्नि दी।

निष्कर्ष: शहादत नहीं जाती व्यर्थ
कुलदीप पूनिया की शहादत ने एक बार फिर साबित किया है कि राजस्थान की धरती वीरों से भरी है। ऐसे जवानों की कुर्बानी देश को मजबूती देती है और युवाओं को प्रेरणा। Jhalko Rajasthan शहीद कुलदीप पूनिया को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
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