हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें स्कूल के भीतर छात्रों को सख्ती से अनुशासन का पाठ पढ़ाया जा रहा है। वीडियो में एक शिक्षक (या अधिकारी) छात्रों से कड़े सवाल पूछ रहे हैं और उनके माता-पिता के नंबर तक नोट करवाए जा रहे हैं। इस वीडियो ने लोगों को दो भागों में बांट दिया है –
- कुछ लोग इसे स्कूलों में अनुशासन लाने का सही तरीका मान रहे हैं।
- वहीं, कुछ लोग इसे बच्चों पर अनावश्यक दबाव और डर पैदा करने की कोशिश बता रहे हैं।
लेकिन आखिर इस वायरल वीडियो की असली सच्चाई क्या है? आइए जानते हैं।

वीडियो में क्या देखा जा सकता है?
वायरल वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि –
- एक अधिकारी या शिक्षक छात्रों से सख्त लहजे में सवाल कर रहे हैं।
- छात्रों से सामूहिक रूप से हाथ खड़े करने को कहा जाता है, खासतौर पर जो बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।
- छात्रों से उनके माता-पिता के मोबाइल नंबर पूछे जाते हैं, लेकिन कई छात्रों को अपने माता-पिता का नंबर याद नहीं होता।
- अधिकारी स्कूल में अनुशासनहीनता पर नाराजगी जताते हुए कुछ छात्रों की TC (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) की बात कर रहे हैं।
यह पूरी घटना शिक्षा और अनुशासन से जुड़ी हुई नजर आ रही है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह तरीका सही है?
अनुशासन बनाम डर – क्या यह सही तरीका है?
1. अनुशासन की जरूरत
विद्यालयों में अनुशासन आवश्यक है, खासकर जब बात बोर्ड परीक्षाओं की हो। कई बार छात्र लापरवाह हो जाते हैं, पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते और स्कूल की मर्यादा का पालन नहीं करते। ऐसे में प्रशासन को कुछ सख्त कदम उठाने पड़ते हैं।
2. क्या यह मानसिक दबाव बढ़ाने जैसा है?
हालांकि, अत्यधिक सख्ती छात्रों में डर और मानसिक तनाव बढ़ा सकती है।
- बोर्ड परीक्षाएं वैसे ही छात्रों के लिए दबावपूर्ण होती हैं।
- माता-पिता के नंबर याद न होने पर उनकी सार्वजनिक रूप से आलोचना करना सही नहीं कहा जा सकता।
- टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) की धमकी देने से बच्चों के मन में स्कूल छोड़ने का डर पैदा हो सकता है।
3. छात्रों का भविष्य ज्यादा महत्वपूर्ण
अगर अनुशासनहीनता की समस्या है, तो उसे हल करने के और भी तरीके हो सकते हैं।
- छात्रों से व्यक्तिगत बातचीत करना
- काउंसलिंग और मोटिवेशनल सेशन करवाना
- माता-पिता के साथ मिलकर उचित समाधान निकालना
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं
यह वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
👉 “अनुशासन जरूरी है, लेकिन डराना नहीं चाहिए!”
👉 “अगर बच्चे अनुशासनहीन हैं, तो स्कूल को कड़े कदम उठाने चाहिए।”
👉 “पढ़ाई का माहौल बनाने के लिए थोड़ा सख्त होना जरूरी है, परंतु सम्मानजनक तरीके से।”

कुछ लोगों ने इसे “टीचर्स की जिम्मेदारी का सही पालन” बताया, तो कुछ ने कहा कि “छात्रों को शर्मिंदा करना गलत है।”
शिक्षा संस्थानों को क्या करना चाहिए?
- अनुशासन बनाना जरूरी है, लेकिन सम्मानजनक तरीके से।
- छात्रों पर अनुचित दबाव डालने के बजाय, उन्हें गाइडेंस और सही दिशा दी जानी चाहिए।
- माता-पिता और शिक्षकों को मिलकर बच्चों के लिए एक सकारात्मक वातावरण तैयार करना चाहिए।
- बोर्ड परीक्षाओं से पहले छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ाना जरूरी है, न कि डर पैदा करना।