बाड़मेर जिले में हिरण शिकारियों के खिलाफ साहसी कदम
राजस्थान के बाड़मेर जिले में वन्यजीव संरक्षण को लेकर एक साहसिक घटना सामने आई है। एक स्थानीय बच्चा हिरण का शिकार कर रहे अपराधियों के सामने डट गया और उनकी गाड़ी की चाबी निकाल ली, जिससे वे हिरण को ले जाने में असफल रहे। इस घटना के बाद पूरे इलाके में आक्रोश का माहौल बन गया, और वन्यजीव प्रेमी, पुलिस और ग्रामीणों ने मिलकर इन अपराधियों को पकड़ने का प्रयास किया।

घटना का पूरा विवरण
हिरण का शिकार कर रहे थे शिकारी
मामला बज्जू थाना क्षेत्र का है, जहां शिकारी चिंकारा हिरण का शिकार कर रहे थे। स्थानीय ग्रामीणों और विष्णु समाज के लोगों ने जब इस घटना को देखा, तो उन्होंने तुरंत इसका विरोध किया। एक बच्चे ने अद्भुत साहस का परिचय देते हुए शिकारियों की थार गाड़ी की चाबी निकाल ली, जिससे वे हिरण को लेकर भाग नहीं सके।
ग्रामीणों और पुलिस ने किया पीछा
शिकारी मौके से भागने में सफल रहे, लेकिन ग्रामीणों ने उनका पीछा किया और पुलिस को सूचित किया। पुलिस और वन विभाग की टीम ने तुरंत नाकाबंदी की, लेकिन अपराधियों ने बैरिकेड्स तोड़कर भागने का प्रयास किया।
80 किलोमीटर तक चला पीछा, पुलिस पर भी की फायरिंग
ग्रामीणों और पुलिस ने लगभग 80 किलोमीटर तक इन अपराधियों का पीछा किया। अपराधियों ने पुलिस और ग्रामीणों पर फायरिंग भी की, लेकिन बहादुर पुलिसकर्मियों ने उन्हें पकड़ने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी।
शिकारियों के पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद
जब पुलिस ने अपराधियों को पकड़ा, तो उनके पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए:
✔ 12 बोर की राइफल
✔ .22 बोर राइफल
✔ 185 कारतूस
✔ 7.6 मिमी माउजर पिस्टल
इन हथियारों को देखकर यह साफ हो गया कि ये शिकारी संगठित अपराधी गिरोह से जुड़े हुए हैं, जो राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में वन्यजीवों का शिकार कर उन्हें अवैध रूप से बेचते हैं।
विष्णु समाज के लोगों ने दिखाया साहस
विष्णु समाज वन्यजीव संरक्षण के लिए जाना जाता है। इस समाज के लोग पहले भी कई बार हिरणों और अन्य वन्यजीवों को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा चुके हैं।
“हम अमृता देवी के वंशज हैं, जिन्होंने पेड़ों की रक्षा के लिए बलिदान दिया था। हिरण हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा हैं, और हम उनकी रक्षा के लिए हमेशा खड़े रहेंगे।” – ग्रामीणों का बयान
शिकारियों पर क्या कार्रवाई होगी?
स्थानीय प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

✔ अपराधियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।
✔ वन विभाग और पुलिस संयुक्त रूप से मामले की जांच कर रहे हैं।
✔ अपराधियों के पुराने रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे हैं।
वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि इससे पहले भी 400 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन सजा किसी को नहीं मिली। ऐसे में, इस बार अपराधियों को कड़ी सजा दिलाने की मांग उठ रही है।
जनता और मीडिया की भूमिका
यह घटना एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि आम लोग भी वन्यजीव संरक्षण में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। यदि ग्रामीण और बच्चे साहस नहीं दिखाते, तो शिकारी आराम से हिरणों को मारकर भाग जाते। मीडिया और जनता इस मुद्दे को उठाकर प्रशासन पर दबाव बना सकते हैं ताकि दोषियों को सजा मिले और भविष्य में इस तरह के अपराध न हों।
निष्कर्ष
बाड़मेर जिले में हुई इस घटना ने पूरे राजस्थान को झकझोर दिया है। इस बहादुर बच्चे और ग्रामीणों की तत्परता के कारण शिकारी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सके। वन्यजीव संरक्षण के लिए यह एक मिसाल बन गई है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी सख्ती से कार्रवाई करता है।
आपकी राय:
क्या आपको लगता है कि वन्यजीव संरक्षण के लिए कड़े कानूनों की जरूरत है? अपनी राय कमेंट में बताएं और इस खबर को शेयर करें!