राजलदेसर, चूरू — चूरू जिले की राजलदेसर तहसील में पंचायत समिति और कृषि मंडी की स्थापना की मांग को लेकर ग्रामीणों का धरना आज 16वें दिन में प्रवेश कर गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि सरकार की अनदेखी और नेताओं की आपसी खींचतान के चलते उनके क्षेत्र का विकास रुक गया है।

धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि उन्होंने बार-बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से अपनी मांगें रखीं, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। किसानों का कहना है कि राजलदेसर सिंचित क्षेत्र है और यहां की 57 ग्राम पंचायतें पंचायत समिति बनाए जाने के सभी मापदंड पूरे करती हैं। इसके बावजूद सरकार इस क्षेत्र की अनदेखी कर रही है।
धरने के प्रमुख मुद्दे:
- राजलदेसर को अलग पंचायत समिति का दर्जा दिया जाए।
- क्षेत्र में स्थायी कृषि मंडी की स्थापना की जाए।
एक आंदोलनकारी किसान ने बताया, “हमारे यहां दो तहसील हैं, लेकिन ना तो पंचायत समिति बन रही है और ना ही कृषि मंडी। हम मजबूरी में आंदोलन पर बैठे हैं। चूरू जिले के कई इलाकों में पंचायत समितियां बन चुकी हैं, फिर हमारे साथ सौतेला व्यवहार क्यों?”
ग्रामीणों ने नेताओं पर भी नाराजगी जताई। उनका कहना है कि चुनाव के समय नेता फूल-मालाएं पहनकर आते हैं, लेकिन बाद में जनता को भूल जाते हैं। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “नेता चाहे किसी भी पार्टी के हों, वो सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए जनता को इस्तेमाल करते हैं।”
किसानों का कहना है कि कृषि मंडी की अनुपस्थिति के कारण उन्हें अपनी उपज दूर-दराज के इलाकों में ले जानी पड़ती है, जिससे उनका किराया बढ़ता है और समय भी बर्बाद होता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मूंगफली की तुलाई में भी कांटे वालों के साथ मिलीभगत के कारण किसानों को नुकसान होता है।
प्रशासन को सौंपे ज्ञापन:
संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में आंदोलनकारियों ने दो बार कलेक्टर और एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है। साथ ही परिसीमन समिति के अध्यक्ष के घर जाकर भी अपनी मांगें रखीं। आंदोलनकारी कहते हैं कि अगर जल्द उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं हुई, तो वे सड़क जाम और आमरण अनशन जैसे बड़े कदम उठाएंगे।
एक किसान नेता ने कहा, “हमने कई बार ज्ञापन दिए हैं। पिछली बार कलेक्टर साहब ने कहा कि मंडी नहीं है, लेकिन हमने बताया कि यहां केवल किराए पर जगह लेकर मूंगफली तौली जाती है। उन्होंने कहा कि यह तो बड़ी बात है, इस पर संज्ञान लिया जाएगा।”
जनता का आक्रोश और सरकार की चुप्पी:
आंदोलनकारियों का आरोप है कि सरकार की मंशा में खोट है। कुछ नेताओं को यह डर है कि अगर पंचायत समिति बन गई, तो उनकी राजनीतिक जमीन खिसक जाएगी। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर मांगे नहीं मानी गईं तो वे जयपुर तक आंदोलन ले जाएंगे।

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हमारे यहां सबसे ज्यादा ट्यूबवेलें हैं, इसे ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है। लेकिन अब तक यहां न पंचायत समिति बनी है न कृषि मंडी। अब यह अन्याय और नहीं सहेंगे।”
निष्कर्ष:
राजलदेसर के लोग अब सरकार से जवाब चाहते हैं। वे कहते हैं कि जब मापदंड पूरे हैं, तो पंचायत समिति और कृषि मंडी क्यों नहीं बनाई जा रही? आंदोलनकारी अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं और अगर सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाया, तो यह आंदोलन और तेज हो सकता है।
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