जयपुर: राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (RUHS) के सामने बीएससी नर्सिंग में प्रवेश के लिए NEET (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) अनिवार्य करने के फैसले के खिलाफ छात्रों ने उग्र विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना है कि यह निर्णय उनके भविष्य के साथ अन्याय है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान कई छात्र भावुक होकर रो पड़े और प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई।

छात्रों का गुस्सा और दर्द
प्रदर्शन में शामिल छात्र-छात्राओं का कहना है कि वे सालों से बीएससी नर्सिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अब अचानक नीट को अनिवार्य कर दिया गया। इस फैसले ने उन हजारों छात्रों की उम्मीदों को झटका दिया है, जो बिना महंगी कोचिंग और संसाधनों के सामान्य प्रवेश परीक्षा के जरिए नर्सिंग कोर्स में दाखिला लेने की तैयारी कर रहे थे।
छात्राओं में शामिल सीमा चौधरी ने कहा, “हमने पूरे साल नर्सिंग की प्रवेश परीक्षा के लिए मेहनत की, लेकिन अब हमें अचानक नीट देने को कहा जा रहा है। हमारे पास कोचिंग के पैसे नहीं हैं, न ही हमें इसका पहले से कोई अंदाजा था। सरकार ने हमें धोखा दिया है।”
वहीं, एक अन्य छात्र महेंद्र सिंह मीणा ने अपनी चिंता जताते हुए कहा, “नीट जैसी कठिन परीक्षा मेडिकल छात्रों के लिए होती है, हमें इसके लिए पर्याप्त तैयारी का समय और संसाधन नहीं दिए गए। सरकार को तुरंत इस फैसले को वापस लेना चाहिए।”
अचानक फैसले से छात्रों में निराशा
छात्रों का कहना है कि यह फैसला बिना किसी पूर्व सूचना के लागू कर दिया गया, जिससे वे पूरी तरह असमंजस में हैं। पहले तक बीएससी नर्सिंग के लिए अलग से प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती थी, लेकिन अब नीट को अनिवार्य कर दिया गया है। इससे वे छात्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, जिन्होंने पहले से ही अन्य परीक्षा पद्धति के अनुसार अपनी तैयारी की थी।
छात्रों का आरोप है कि यह फैसला गरीब और ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए अन्यायपूर्ण है। कई छात्र आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं, जिनके पास नीट जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी के लिए महंगे कोचिंग संस्थानों में पढ़ने का कोई साधन नहीं है।
छात्रों की मुख्य मांगें
छात्रों ने प्रदर्शन के दौरान सरकार के सामने निम्नलिखित मांगें रखीं:
- नीट को बीएससी नर्सिंग के लिए अनिवार्य करने का फैसला वापस लिया जाए।
- पहले की तरह अलग से प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाए।
- सरकार छात्रों की समस्याओं को गंभीरता से सुने और समाधान निकाले।
- आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को राहत दी जाए और उनके लिए विशेष प्रवेश नीति लागू की जाए।
प्रशासन और सरकार से कोई ठोस आश्वासन नहीं
प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि उन्होंने कई बार सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन अब तक कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला है।
प्रदर्शन कर रही छात्रा पूजा यादव ने कहा, “हम पिछले कई दिनों से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं, लेकिन प्रशासन ने हमारी कोई सुध नहीं ली। अगर सरकार ने जल्दी फैसला नहीं बदला, तो हम अपने आंदोलन को और तेज करेंगे।”

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और अन्य संगठनों का समर्थन
इस प्रदर्शन को अब कई छात्र संगठनों का समर्थन मिल रहा है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और अन्य छात्र संगठनों ने भी इस मुद्दे पर सरकार से उचित समाधान निकालने की मांग की है। छात्र नेताओं ने कहा कि अगर सरकार जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।
ABVP के छात्र नेता राहुल शर्मा ने कहा, “यह फैसला छात्र विरोधी है। हम इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे। सरकार को छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का कोई अधिकार नहीं है।”
भविष्य की राह: सरकार क्या करेगी?
छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अब यह देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है। राजस्थान सरकार और आरयूएचएस प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस बयान नहीं आया है, लेकिन छात्रों की नाराजगी को देखते हुए इस मामले में जल्द कोई हल निकल सकता है।
विरोध कर रहे छात्रों ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे।