महेश जोशी की गिरफ्तारी पर किरोड़ी लाल मीणा का बड़ा बयान
राजस्थान में जल जीवन मिशन घोटाले को लेकर एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता किरोड़ी लाल मीणा ने महेश जोशी की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “राज्य में घटिया काम हुआ” और यह घोटाला केवल 900 करोड़ रुपए का नहीं, बल्कि 20,000 करोड़ रुपए के टेंडर्स से जुड़ा मामला है।

जल जीवन मिशन में भारी भ्रष्टाचार के आरोप
किरोड़ी लाल मीणा ने दावा किया कि जल जीवन मिशन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। उन्होंने कहा कि एफसी (फाइनेंशियल कमिटी) ने जो टेंडर पास किए थे, वे 30 से 40 प्रतिशत तक महंगे हो गए थे। काम की गुणवत्ता बेहद खराब रही और फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे करोड़ों रुपए के टेंडर आवंटित किए गए।
उन्होंने आगे कहा कि आय के फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर 900 करोड़ रुपए के टेंडर हासिल किए गए, जिनमें महेश जोशी का सीधा हाथ था।
“जल जीवन मिशन घोटाले का खुलासा मैंने किया था” – किरोड़ी लाल मीणा
किरोड़ी लाल मीणा ने याद दिलाया कि जल जीवन मिशन घोटाले को उजागर करने का श्रेय उन्हीं को जाता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने खुद तीन दिनों तक अशोकनगर थाने के बाहर धरना दिया था ताकि एफआईआर दर्ज की जाए।
लेकिन उस समय उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं हुई, उल्टा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने कहा, “देर हुई लेकिन अंधेर नहीं हुआ“, और अब सत्य सामने आ चुका है।
ईडी जांच और गिरफ्तारी को लेकर स्पष्टीकरण
किरोड़ी लाल मीणा ने स्पष्ट किया कि महेश जोशी की गिरफ्तारी किसी राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम नहीं है। डेढ़ साल पहले दी गई शिकायत के आधार पर गहराई से जांच की गई थी।
उन्होंने कहा कि यदि गिरफ्तारी जल्दबाजी में होती तो राजनीतिक बदले की भावना की बात उठती, लेकिन जांच के बाद गिरफ्तारी से स्पष्ट है कि यह मामला गंभीर भ्रष्टाचार का है।
“सिर्फ महेश जोशी नहीं, अन्य अधिकारियों पर भी हो कार्रवाई”
मीणा ने ईडी से मांग की कि केवल महेश जोशी तक ही सीमित न रहकर, उन वरिष्ठ नौकरशाहों और विभागीय प्रमुखों पर भी कार्रवाई की जाए, जिनके खिलाफ उन्होंने सबूत दिए हैं।
उन्होंने कहा कि सत्ता बदलने पर भी वही अफसर बने रहते हैं, इसलिए अमेरिका जैसी परंपराएं भारत में लागू होनी चाहिए, जहाँ भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कार्रवाई होती है।

अन्य गिरफ्तारियां और जांच की स्थिति
मीणा ने बताया कि इस घोटाले में कई अन्य गिरफ्तारियां भी हुई हैं। श्याम ट्यूब बेल्ट कंपनी और गणपति ट्यूब कंपनी से जुड़े पदम जैन और संजय बढ़ाया जैसे प्रमुख नामों पर भी कार्रवाई हुई है।
उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत 900 करोड़ रुपए का जो काम होना था, वह सही तरीके से नहीं किया गया। कई फर्जी फर्मों ने फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर काम हासिल किया।
निष्कर्ष: “भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति होनी चाहिए”
किरोड़ी लाल मीणा ने अंत में कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों को भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनानी चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस मामले में जो भी दोषी हैं, चाहे नेता हों या अधिकारी, सबको सजा मिलनी चाहिए।
जल जीवन मिशन घोटाले ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। अब देखना यह है कि आने वाले समय में और कौन-कौन से बड़े नाम इस जांच के घेरे में आते हैं।
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