झलको राजस्थान | 15 मई 2025
राजस्थान के वीरभूमि चिड़ावा से ताल्लुक रखने वाले हिम्मत सिंह राठौड़ ने 15 मई 2025 को माउंट एवरेस्ट फतह कर तिरंगा लहराया और इतिहास रच दिया। यह कोई आम चढ़ाई नहीं थी, बल्कि एक जज्बे, संघर्ष और बलिदान की कहानी थी। झलको मीडिया के साथ बातचीत में उन्होंने एवरेस्ट की कठिनाईयों, भावनात्मक क्षणों और अपने साथी पर्वतारोहियों की दुखद मृत्यु के बारे में खुलकर बात की।

“सीढ़ियां चढ़ीं, अब एवरेस्ट भी चढ़ लूंगा”
हिम्मत सिंह ने बताया कि पिछले साल उन्होंने सात महीनों में सीढ़ियां चढ़ने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। उसी समय उनके मन में माउंट एवरेस्ट फतह करने का संकल्प जगा। उन्होंने कहा, “जब सीढ़ियां चढ़ सकते हैं तो पर्वत क्यों नहीं? ट्राई तो करना चाहिए।” उन्होंने एनडीए और सेना की ट्रेनिंग ली है और वही अनुशासन उन्हें एवरेस्ट की ऊंचाई तक ले गया।
माउंट एवरेस्ट की भयावह परिस्थितियाँ
राठौड़ ने बताया कि वे 9 मई की रात को चढ़ाई के लिए निकले थे। उनके साथ टीम में राकेश बिश्नोई और सुब्रता घोष जैसे अनुभवी पर्वतारोही भी थे। कैंप 4 तक पहुंचने के बाद मौसम खराब हो गया। तेज तूफानी हवाएं चलने लगीं, और ऑक्सीजन की भारी कमी महसूस हुई।
उन्होंने बताया कि “हम टेंटों में घुस गए, लेकिन हवाएं इतनी तेज थीं कि टेंट उड़ने को थे। ऑक्सीजन कम हो रही थी और तापमान माइनस में जा चुका था।”
मौत का मंजर: साथियों को खोने का दुख
इस चढ़ाई में भारत के दो पर्वतारोहियों – राकेश बिश्नोई और सुब्रता घोष – की दुखद मृत्यु हो गई। हिम्मत सिंह के अनुसार, दोनों पूरी तरह फिट थे और अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन अचानक ऑक्सीजन की कमी ने जान ले ली।
“राकेश जी सबसे मजबूत लग रहे थे। वे तेज चल रहे थे, लेकिन अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। सुब्रता घोष ने भी तिरंगा फहराने के कुछ देर बाद ही दम तोड़ दिया। यह बहुत दुखद क्षण था,” उन्होंने कहा।
पहली ही ‘विंडो’ में मौतें: एवरेस्ट इतिहास में दुर्लभ घटना
राठौड़ ने बताया कि यह पहली बार था जब माउंट एवरेस्ट के ‘पहली विंडो’ यानी चढ़ाई के शुरुआती मौसम में ही तीन-चार मौते हुईं। स्थानीय शेरपाओं और आयोजकों ने भी माना कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
उन्होंने कहा, “मौसम, ऑक्सीजन और ऊंचाई – तीनों ने मिलकर बहुत भयावह स्थिति पैदा कर दी थी। हमने खुद को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन कुछ बातें किस्मत पर छोड़नी पड़ती हैं।”
‘वीर भोग्य वसुंधरा’ का जज्बा और तिरंगे की शान
हिम्मत सिंह राठौड़ ने न सिर्फ एवरेस्ट फतह किया, बल्कि वहां पहुंचकर तिरंगा लहराया और ‘वीर भोग्य वसुंधरा’ के संदेश को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि राजस्थान और पूरे देश के लिए गर्व की बात है।

युवाओं को आत्महत्या से रोकने का संदेश
हिम्मत सिंह ने एवरेस्ट चढ़ाई के दौरान एक खास संदेश भी साथ ले गए थे – “अपने आप को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।” यह संदेश उन छात्रों के लिए था जो परीक्षा या असफलता के कारण आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं।
“कोटा जैसे शहरों में बच्चों का आत्महत्या करना दुखद है। जीवन एक अवसर है, और असफलताएं बस सीखने का हिस्सा हैं।” – राठौड़
निष्कर्ष: हिम्मत, बलिदान और प्रेरणा की मिसाल
हिम्मत सिंह राठौड़ की एवरेस्ट यात्रा न केवल एक पर्वतारोहण की कहानी है, बल्कि यह आत्मबल, टीमवर्क और देशभक्ति का प्रतीक बन चुकी है। जहां एक ओर उन्होंने तिरंगा लहराकर देश का मान बढ़ाया, वहीं दूसरी ओर साथियों को खोने का गम भी झेला।
इस यात्रा से यह साफ होता है कि यदि मन में हिम्मत हो, तो दुनिया की कोई भी ऊंचाई आपकी राह नहीं रोक सकती।
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