देश की आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी जल संकट जैसी समस्या से जूझ रहे भारत में सांसद कॉमरेड अमराराम ने लोकसभा में जल जीवन मिशन और पानी की समस्या को लेकर जोरदार तरीके से आवाज उठाई। उन्होंने जल शक्ति मंत्रालय की मांगों पर चर्चा करते हुए देश में बढ़ते जल संकट, बाढ़ और अकाल जैसी समस्याओं पर अपनी चिंता व्यक्त की।

जल संकट और बाढ़-अकाल का दोहरा संकट
कॉमरेड अमराराम ने अपने भाषण में कहा कि आज देश का आधा हिस्सा बाढ़ में डूबता है तो आधा हिस्सा अकाल से जूझता है। सरकार ने बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणाएं तो की हैं, लेकिन वास्तविकता में वे ज़मीनी स्तर पर कितनी कारगर हैं, इस पर सवाल उठाना ज़रूरी है।
राजस्थान की जल समस्या पर विशेष फोकस
राजस्थान की बात करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में इंदिरा गांधी नहर से पेयजल की आपूर्ति होती है, लेकिन गर्मियों में वहां प्रदूषित पानी ही उपलब्ध होता है, जिससे अनेक बीमारियां फैलती हैं। इसके अलावा राज्य के 70% लोग आज भी अंडरग्राउंड पानी पर निर्भर हैं, जिसका स्तर दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है।
जल जीवन मिशन की असफलताएं
कॉमरेड अमराराम ने जल जीवन मिशन की योजना पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 4000 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद भी राजस्थान के गांवों में 1% घर भी ऐसे नहीं हैं जहां हर घर में नल से जल की सुविधा हो। कई जगहों पर नल तो लगाए गए हैं, लेकिन उनमें पानी की जगह हवा आती है।
बिजली बोर्ड का बकाया और जल संकट
उन्होंने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत कई गांवों में ट्यूबवेल के कनेक्शन काट दिए गए हैं क्योंकि बिजली बोर्ड को अब तक पेमेंट नहीं किया गया है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट और गहरा गया है।
शेखावाटी और चोमू की जल समस्या
सीकर और झुंझुनू जिलों के जल संकट पर बात करते हुए उन्होंने जल शक्ति मंत्री से निवेदन किया कि इन जिलों के सभी घरों में जल जीवन मिशन को प्रभावी रूप से लागू किया जाए। चोमू विधानसभा क्षेत्र में बसलपुर योजना से पानी पहुंचाने की मांग की गई।
निष्कर्ष
कॉमरेड अमराराम ने कहा कि यदि बारिश के पानी को संरक्षित करने की ठोस योजनाएं बनाई जाएं तो देश की 87% जमीन सिंचाई योग्य हो सकती है और पीने के लिए शुद्ध जल भी मिल सकता है। उन्होंने सरकार से अपील की कि घोषणाओं से आगे बढ़कर ज़मीनी हकीकत पर काम किया जाए।
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