बीकानेर, राजस्थान। ज़मीन विवाद ने एक परिवार की जिंदगी को तहस-नहस कर दिया। बीकानेर जिले के कोलाई तर थाना क्षेत्र के भानेरा गांव की यह घटना दिल दहला देने वाली है। एक बुजुर्ग दादी, जिनकी उम्र 70 वर्ष से अधिक है, अपने परिवार के साथ पीबीएम अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में बैठी हैं। उनकी आंखों में आंसू और दर्द की कहानी है—एक कहानी जो केवल ज़मीन के टुकड़े के लिए रची गई क्रूरता की मिसाल है।

घटना की शुरुआत: जमीनी विवाद बना हिंसा का कारण
भानेरा गांव में एक ही परिवार के बीच ज़मीन को लेकर विवाद चल रहा था। पीड़ित परिवार का दावा है कि यह ज़मीन उनके पूर्वजों से मिली है और पिछले 70 वर्षों से वे वहां रह रहे थे। लेकिन अचानक परिवार के ही कुछ सदस्यों—भाई, भतीजे और पोतों—ने मिलकर इस ज़मीन पर कब्जा करने की साजिश रची।
दादी का कहना है कि उन्होंने अपने बेटों के नाम ज़मीन लिखवा दी थी, लेकिन कुछ परिजनों ने जबरन नाम हटवा दिए और अब मकान खाली करवाने का दबाव बना रहे हैं।
हमले की योजना: लाइव वीडियो से सामने आई साजिश
घटना की एक बड़ी बात यह रही कि हमले से कुछ ही समय पहले पीड़ित परिवार का एक युवक फेसबुक लाइव आया और कहा कि “अब हमारे साथ कुछ अनहोनी हो सकती है।” यह वीडियो साफ दर्शाता है कि परिवार को पहले से धमकियां मिल रही थीं।
लाइव खत्म होने के कुछ ही मिनट बाद एक गाड़ी आई, बुजुर्ग दादा को टक्कर मारी और परिवार के अन्य सदस्यों पर लाठी, बरछी और हथौड़े से हमला कर दिया गया। महिलाओं और बच्चों तक को नहीं बख्शा गया।
अस्पताल में भर्ती परिवार के सदस्य
हमले में बुजुर्ग पिता के पैरों पर छेनी से वार किया गया, जिससे उनके पैर बुरी तरह से कट गए। बेटों को भी गाड़ियों से टक्कर मारी गई, एक छोटा बेटा तो मौके पर बेहोश हो गया। बेटियों और बहुओं को धक्का देकर गिराया गया और घर का सामान बाहर फेंक दिया गया।
दादी का दर्द भरा बयान था—”70 साल से इस घर में रह रहे हैं, अब हमें जबरदस्ती मकान खाली करने को कहा जा रहा है। मारा पोता, मारा बेटा सब ने मिलकर हमला किया।”
पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस को समय पर कॉल किया गया था, लेकिन एक घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची। तब तक पूरा मामला बिगड़ चुका था। परिवार का यह भी आरोप है कि पुलिस ने शुरू में गंभीरता से कोई कदम नहीं उठाया।
एक महिला ने बताया, “मैंने तीन बार पुलिस को कॉल किया, लेकिन कोई तुरंत नहीं आया। हम मारे जा रहे थे, बच्चों को पानी तक नहीं देने दिया गया।”

महिला सदस्य का बयान: “मैं गई तो भी मुझे मारा गया”
घर की बहू ने बताया कि जब वह घर में घुसने की कोशिश कर रही थी, तो उसे धक्का देकर गिरा दिया गया। “मैं सिर्फ घर में पानी देने गई थी, लेकिन वहां भी मुझे लात-घूंसे मारे गए। धोती तक फाड़ दी गई।”
दादी की अपील: “फांसी की सजा भी कम है”
दादी ने रोते हुए कहा, “हमने किसी को कुछ नहीं किया। सिर्फ एक ज़मीन के लिए हमें मार दिया गया। मारा बेटा अस्पताल में भर्ती है, और मैं अकेली बैठी हूं। अब हमारे पास घर है, न शांति। हमें न्याय चाहिए। जो ऐसा करे, उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, फांसी भी कम है।”
प्रशासन से निवेदन
झलकू राजस्थान की टीम प्रशासन से निवेदन करती है कि इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जाए। दोषियों की पहचान कर उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति ज़मीन के लिए इस हद तक न जाए।
निष्कर्ष
बीकानेर की यह घटना सिर्फ एक जमीनी विवाद नहीं है, बल्कि पारिवारिक रिश्तों की टूटन और कानून व्यवस्था पर उठते सवालों का प्रतिबिंब है। प्रशासन, पुलिस और समाज को मिलकर ऐसे मामलों में त्वरित और न्यायसंगत कार्रवाई करनी होगी ताकि पीड़ितों को इंसाफ मिल सके और समाज में भरोसा बना रहे।
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