बीकानेर | बीकानेर के एक निजी स्कूल पर छात्रों और उनके अभिभावकों को जबरन महंगी किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए मजबूर करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले में एक पूर्व शिक्षक और कुछ छात्रों ने खुलकर विरोध किया है और प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है।

पूर्व शिक्षक ने लगाए गंभीर आरोप
एक पूर्व शिक्षक, जीत, जिन्होंने 10 महीने तक इस स्कूल में बतौर जुम्बा, एरोबिक्स और योगा टीचर काम किया, ने खुलासा किया कि स्कूल प्रशासन छात्रों और उनके अभिभावकों पर महंगे स्टडी मटेरियल खरीदने का दबाव बनाता था। जीत ने बताया कि छात्रों को 10वीं कक्षा के लिए 7,000 से 10,000 रुपये तक के सेट खरीदने के लिए मजबूर किया जाता था, जबकि ये किताबें बाहर की दुकानों पर आधे दाम में उपलब्ध होती हैं।
छात्रों और अभिभावकों को धमकियां
जब अभिभावकों ने इस जबरदस्ती का विरोध किया, तो स्कूल प्रशासन ने दबाव बनाकर उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश की। कुछ अभिभावकों ने लाइव वीडियो बनाकर अपनी आपबीती साझा की, जिसे स्कूल ने जबरदस्ती डिलीट करवाने की कोशिश की। छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि अगर वे स्कूल प्रशासन की नीतियों का विरोध करते हैं, तो उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाता और उनके ट्रांसफर सर्टिफिकेट (TC) रोक लिए जाते हैं।
रजिस्ट्रेशन और फीस घोटाले के आरोप
पूर्व शिक्षक और छात्रों ने यह भी बताया कि स्कूल एडमिशन के समय भारी-भरकम रजिस्ट्रेशन फीस लेता है, लेकिन यदि किसी अभिभावक को स्कूल पसंद नहीं आता और वे एडमिशन कैंसिल करवाना चाहते हैं, तो उन्हें रिफंड नहीं दिया जाता। स्कूल पिकनिक और अन्य गतिविधियों के नाम पर भी अतिरिक्त पैसे वसूलता है, जिनका सही इस्तेमाल नहीं किया जाता।
टीचरों और छात्रों पर मानसिक दबाव
पूर्व शिक्षक ने यह भी बताया कि जो भी इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाता है, उसे स्कूल से निकाल दिया जाता है। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण बताते हुए कहा कि जब उन्होंने छात्रों के अधिकारों की रक्षा करने की कोशिश की, तो स्कूल प्रशासन ने उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए और उन्हें जबरन नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
छात्रों की शिक्षा पर बुरा असर
छात्रों ने भी इस स्कूल की पढ़ाई को लेकर शिकायतें दर्ज की हैं। उनका कहना है कि महंगी किताबें लेने के बावजूद परीक्षा में वही सवाल नहीं आते, जो इन किताबों में होते हैं। स्कूल में स्पोर्ट्स पीरियड्स को हटा दिया गया और छात्रों पर बेवजह अतिरिक्त दबाव बनाया गया। इतना ही नहीं, स्कूल ने छात्रों को उनकी क्षमताओं के आधार पर विभाजित कर दिया और कुछ खास छात्रों को विशेष सुविधाएं दीं, जबकि बाकी छात्रों को अनुशासन के नाम पर प्रताड़ित किया गया।
प्रशासन से न्याय की गुहार
इस मामले में शिकायत कई उच्चाधिकारियों तक पहुंच चुकी है। शिक्षकों और अभिभावकों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और स्कूल की मनमानी पर रोक लगाई जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया, तो वे 9 बजे से डीएम ऑफिस तक रैली निकालेंगे।
निष्कर्ष
बीकानेर के इस निजी स्कूल के खिलाफ छात्रों और शिक्षकों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। जबरन किताबें और यूनिफॉर्म खरीदवाने से लेकर मानसिक प्रताड़ना तक, कई आरोप इस स्कूल पर लगे हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और छात्रों व अभिभावकों को न्याय मिल पाता है या नहीं।
