झलको राजस्थान, जैसलमेर:
महाभारत काल से जुड़ा जैसलमेर के भियाना गांव स्थित भीम सरोवर अपने में कई रहस्यों को समेटे हुए है। इस विशाल सरोवर का निर्माण भीम पांडव ने वनवास के दौरान किया था। यहां का इतिहास न केवल पौराणिक कथाओं से जुड़ा है, बल्कि यह क्षेत्र जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमारी टीम ने इस प्राचीन सरोवर के अनकहे राज को विस्तार से जाना और प्रस्तुत किया है।

भीम सरोवर का ऐतिहासिक महत्व
भीम सरोवर लगभग 13 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें मानसून के मौसम में लगभग 150 प्रकार के पक्षी यहां आते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह सरोवर महाभारत काल में पांडवों द्वारा वनवास के समय बनवाया गया था, ताकि उन्हें पीने के लिए पानी उपलब्ध हो सके। भीम पांडव ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस सरोवर का निर्माण करवाया था। यह सरोवर न केवल एक जलाशय है बल्कि एक जीवंत इतिहास का हिस्सा भी है।
भीम सरोवर का प्राकृतिक और पर्यावरणीय महत्व
भीम सरोवर में पानी की गहराई लगभग 40 से 45 फीट तक है। यह जलाशय जैसलमेर के गढ़सर तालाब से लगभग चार गुना बड़ा है। सरोवर के आसपास कई मौसमी नदियां बहती हैं, जो बारिश के मौसम में इस क्षेत्र को जीवनदान देती हैं। सर्दियों के मौसम में यहाँ पक्षियों का आगमन इस क्षेत्र की जैव विविधता को दर्शाता है।
हालांकि, यह क्षेत्र अभी तक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित नहीं हो पाया है, जिसके कारण यहां का प्राकृतिक और ऐतिहासिक महत्व पूरी तरह से उजागर नहीं हो सका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि सरकार और प्रशासन इस पर ध्यान दें और निवेश करें तो यह स्थान पूरे राजस्थान का एक अनमोल पर्यटन स्थल बन सकता है।
भीम सरोवर की संरचनात्मक विशेषताएं
सरोवर के अंदर एक पुरानी संरचना भी मौजूद है, जिसमें दरवाजे और छतरियां हैं। इन दरवाजों की चाबियां कहीं खो गई हैं, जिससे सरोवर के पानी को नियंत्रित करने में दिक्कत होती है। सरोवर के तल में चिकनी मिट्टी होने के कारण इसमें बोटिंग या नौकायन की सुविधा नहीं है क्योंकि मिट्टी के दलदल के कारण पानी की सतह पर किसी भी वस्तु का टिकना संभव नहीं होता।
स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि भीम सरोवर के नीचे एक प्राचीन शिव मंदिर दबा हुआ है, जो समय के साथ मिट्टी में समा गया है। सरोवर के समीप ही एक कुआं, खेजड़ी और नीम का पेड़ भी मौजूद हैं, जो इस स्थान की पौराणिकता को प्रमाणित करते हैं।
जैसलमेर के लिए भीम सरोवर का पर्यटन संभावनाएं
भीम सरोवर की विशालता और इतिहास को देखते हुए इसे विकसित करके एक प्रमुख पर्यटक स्थल बनाया जा सकता है। सरोवर के आसपास के टीले हटाए जाएं तो यह एक विशाल झील का रूप ले सकता है, जिससे जल स्तर में भी सुधार होगा। इस स्थान का विकास जैसलमेर और राजस्थान के पर्यटन मानचित्र पर इसे एक अनूठा मुकाम दिला सकता है।
सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे भीम सरोवर के रखरखाव और संरक्षण पर ध्यान दें। बेहतर सड़क व्यवस्था, सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के साथ यह स्थल पर्यटकों के लिए आकर्षक बन सकता है।
जैसलमेर के नमक के टीले और भीम सरोवर का संगम
भीम सरोवर के आसपास की जमीन नमक से भरपूर है, जो देखने में बर्फ की तरह लगती है। यह दृश्य सर्दियों के मौसम में खासकर कोहरे के दौरान कश्मीर के प्राकृतिक दृश्यों की याद दिलाता है। यह क्षेत्र जैसलमेर की प्राकृतिक सुंदरता को और भी निखारता है।

निष्कर्ष
भीम सरोवर महाभारत काल की एक जीवित धरोहर है, जिसमें ऐतिहासिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक महत्व छिपा हुआ है। जैसलमेर के इस अनमोल सरोवर को संरक्षण और विकास की आवश्यकता है ताकि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्मारक के रूप में सुरक्षित रह सके।
यह स्थान न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश के इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण स्थल बन सकता है। हमें उम्मीद है कि हमारी इस रिपोर्ट से लोगों में जागरूकता आएगी और प्रशासन भी इस स्थल के संरक्षण
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