जयपुर, राजस्थान – राजधानी जयपुर के रामलीला मैदान में SI भर्ती को यथावत रखने की मांग को लेकर चयनित अभ्यर्थियों और उनके परिजनों द्वारा जोरदार धरना-प्रदर्शन किया गया। इस दौरान महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और अपनी पीड़ा को मीडिया के सामने साझा किया। वहीं, Kiran Shekhawat ने नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें आड़े हाथों लिया।

SI भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों की मांग – भर्ती को यथावत रखा जाए
धरने में मौजूद अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्होंने वर्षों की मेहनत से यह भर्ती प्रक्रिया पूरी की है जिसमें लिखित परीक्षा, इंटरव्यू, और ट्रेनिंग तक शामिल हैं। अब सरकार यदि इस भर्ती को रद्द करती है तो यह उन अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा जिन्होंने ईमानदारी से मेहनत करके यह मुकाम हासिल किया है।
एक अभ्यर्थी की बहन ने बताया कि उसका भाई पहले पटवारी रह चुका है, उसने एनआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और कई प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण हुआ है। उसने नौकरी छोड़कर SI भर्ती जॉइन की थी। अब अगर भर्ती रद्द हुई तो परिवार की स्थिति बिगड़ जाएगी।
“जांच करो लेकिन भर्ती को रद्द मत करो” – प्रदर्शनकारियों की स्पष्ट मांग
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे किसी भी प्रकार की जांच के खिलाफ नहीं हैं। अगर किसी ने गलत तरीके से भर्ती पाई है तो उसे निष्कासित किया जाए, लेकिन पूरे चयनित बैच को दंडित करना अन्याय होगा।
एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा,
“सरकार सीबीआई जांच करवाए, SOG जांच करवाए, लेकिन भर्ती को यथावत रखा जाए। जो दोषी हैं उन्हें बाहर करो, लेकिन जो ईमानदारी से लगे हैं उन्हें नौकरी दी जाए।”
Kiran Shekhawat ने Hanuman Beniwal पर लगाए गंभीर आरोप
प्रदर्शन के दौरान Kiran Shekhawat ने सांसद Hanuman Beniwal को घेरते हुए कहा कि उन्होंने धरना स्थल पर अभ्यर्थियों की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंकने का प्रयास किया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि धरना एक प्रायोजित कार्यक्रम है, जिसमें कोचिंग माफिया और अन्य स्वार्थी तत्व शामिल हैं।
Kiran ने यह भी चुनौती दी कि
“अगर बेनीवाल जी को अपने कार्यकर्ताओं पर भरोसा है तो वे इंडिया गठबंधन और कांग्रेस से इस्तीफा देकर दोबारा चुनाव लड़ें।”
कोचिंग माफिया पर भी उठे सवाल
कई प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि कुछ कोचिंग संस्थान इस मुद्दे को हवा देकर दोबारा छात्रों को दाखिला दिलवाने और पैसा कमाने की साजिश कर रहे हैं। उनका कहना था कि ये संस्थान जानबूझकर धरनों को फंड कर रहे हैं ताकि भर्ती रद्द हो और उन्हें फिर से लाभ मिले।
एक महिला ने कहा,
“सिर्फ एक जाति विशेष की औरतें बैठी हैं, सिर्फ प्रोपगंडा बनाया जा रहा है। गरीब घरों के बच्चे जिनकी बहनों ने, मां-बाप ने पढ़ाया है, उनकी मेहनत पर पानी फेरा जा रहा है।”

माता-पिता का दर्द – “हमने बच्चों को पढ़ाया, अब सरकार न्याय करे”
धरने में मौजूद अभ्यर्थियों के माता-पिता ने भावुक होकर अपनी व्यथा साझा की। एक महिला ने कहा कि उसका बेटा सुबह 4 बजे उठकर दो साल तक कठिन ट्रेनिंग करता रहा। अब जब नौकरी मिलने का समय आया, तो सरकार भर्ती रद्द करने की बात कर रही है।
उन्होंने सवाल उठाया कि
“क्या मेहनती और ईमानदार बच्चों को भी चोर समझा जाएगा? क्या गरीब के बच्चे कभी आगे नहीं बढ़ सकते?”
राजनीति से दूर, पढ़ाई से जुड़ी पीढ़ी की आवाज
प्रदर्शनकारियों ने यह स्पष्ट किया कि उनका राजनीति से कोई संबंध नहीं है। वे सिर्फ अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।
“हमें न राजनीति आती है, न करनी है। हम सिर्फ पढ़ाई करते हैं और अपने भविष्य की चिंता करते हैं। हमें न्याय चाहिए, राजनीति नहीं।” – एक चयनित अभ्यर्थी की बहन
सरकार से मांग – जांच कराओ, लेकिन भर्ती को रद्द मत करो
सभी अभ्यर्थियों की एक ही मांग है –
“जो भी दोषी है उसे दंडित करो, लेकिन ईमानदारों को नौकरी दो।”
सरकार से आग्रह किया गया है कि SI भर्ती को रद्द न किया जाए, बल्कि निष्पक्ष जांच कर दोषियों को अलग किया जाए।
निष्कर्ष:
जयपुर में SI भर्ती को यथावत रखने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन अब गंभीर रूप ले चुका है। सरकार पर दबाव है कि वह निष्पक्ष जांच कर दोषियों को पकड़े, लेकिन उन अभ्यर्थियों के भविष्य को सुरक्षित रखे जिन्होंने मेहनत से यह परीक्षा पास की है। प्रदर्शनकारियों की भावनाएं और स्थिति स्पष्ट कर रही है कि यह सिर्फ एक भर्ती नहीं, बल्कि हजारों परिवारों की उम्मीदों और संघर्ष की बात है।
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