हनुमान बेनीवाल ने उठाए सवाल: “मुगलों से संबंध रखने वालों का बहिष्कार करो”
झालको राजस्थान | 20 मई 2025:
राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर इतिहास और वंश परंपरा को लेकर बहस छिड़ गई है। पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के बयान के बाद राजपूत और मुगल संबंधों पर राजनीति गरमा गई है। इसी सिलसिले में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने एक तीखा और सीधा बयान देकर सियासी हलचल तेज कर दी है।

“मुझसे क्यों सवाल, जिन्होंने मुगलों से रिश्ते रखे उनका करो बहिष्कार”
हनुमान बेनीवाल ने एक जनसभा के दौरान कहा कि अगर किसी ने मुगलों से वैवाहिक या पारिवारिक संबंध बनाए थे तो उनका बहिष्कार करना चाहिए। उन्होंने कहा,
“मैंने क्या इतिहास लिखा है? अगर आपके समाज के किसी व्यक्ति ने मुगलों से संबंध बनाए थे, तो आप उनका बहिष्कार करें। मुझसे क्यों सवाल कर रहे हो? मैंने तो कुछ किया नहीं।”
उन्होंने आगे कहा कि महाराणा प्रताप और सूर्यमल जैसे योद्धाओं ने मुगलों के खिलाफ जंग लड़ी थी, लेकिन आज जो लोग उनके नाम का इस्तेमाल करते हैं, वही लोग मुगलों से संबंध रखने वालों का बहिष्कार नहीं करते।
“जयपुर में औरंगजेब जैसे लोगों को क्यों बैठा रखा है?”
अपने भाषण में हनुमान बेनीवाल ने जयपुर की राजनीति पर निशाना साधते हुए कहा,
“जयपुर में मुख्यमंत्री के पद पर औरंगजेब जैसे लोगों को क्यों बैठाया गया है? आप बच्चों को क्या संदेश देना चाह रहे हो?”
उन्होंने इशारों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि पार्टी ने राजपूत समाज की अनदेखी की है।
“60% राजपूत वोट देने के बावजूद क्या मिला?”
हनुमान बेनीवाल ने कहा कि बीजेपी को 60% तक राजपूतों का वोट मिलता है, लेकिन फिर भी उन्हें प्रशासन में उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा,
“राजपूत समाज के कितने कलेक्टर या एसपी हैं जो आज अच्छी जगह पर तैनात हैं? बताइए कोई एक नाम?”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि पार्टी ने खुद के वरिष्ठ राजपूत नेताओं को भी किनारे कर दिया है।
“जो घोड़े बन गए बीजेपी के लिए, उन्होंने क्या हासिल किया?”
बेनीवाल ने मजाकिया अंदाज़ में कहा कि जो लोग बीजेपी के लिए ‘घोड़े’ बन गए, उन्हें भी कुछ हासिल नहीं हुआ। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई नेता, चाहे वो सीकर से हो या नागौर से, बीजेपी के लिए बहुत कुछ कर चुके हैं, लेकिन बदले में पार्टी ने उन्हें कुछ खास नहीं दिया।
“आपके मंत्री ने औरंगजेब की तारीफ की, आपने क्या किया?”
बेनीवाल ने राजपूत समाज से सवाल करते हुए कहा कि जब उनके ही समाज के एक मंत्री ने औरंगजेब की तारीफ की थी, तब किसी ने कोई विरोध क्यों नहीं किया?

“तुम्हारे समाज के मंत्री ने औरंगजेब को लेकर बयान दिया था। बताया था ना? फिर तुम लोगों ने क्या किया?”
उन्होंने कहा कि सिर्फ बयानबाज़ी से कुछ नहीं होगा, अगर सच में गुस्सा है तो उन लोगों का बहिष्कार करना चाहिए जिन्होंने मुगलों से संबंध रखे।
निष्कर्ष: बयान से गरमाई राजनीति, राजपूत समाज से किया सीधा संवाद
हनुमान बेनीवाल का यह बयान न केवल सियासी हलचल बढ़ा रहा है बल्कि राजपूत समाज के भीतर भी आत्ममंथन को मजबूर कर रहा है। इतिहास के नाम पर राजनीति करने वालों को सीधा संदेश देते हुए बेनीवाल ने स्पष्ट किया है कि यदि इतिहास की बात करनी है तो पहले सच्चाई से सामना करना होगा।
राजस्थान की सियासत में यह बयान आने वाले दिनों में कई नई बहसों को जन्म दे सकता है। खासकर तब जब विधानसभा चुनाव नज़दीक हों और जातीय समीकरण फिर से गहराते दिखें।
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