राज्यसभा सांसद और समाजवादी पार्टी के नेता रामजी लाल सुमन ने हाल ही में एक विवादित बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया है। उनके इस बयान ने न सिर्फ राजस्थान बल्कि पूरे देश में बहस का मुद्दा बना दिया है।

विवादित बयान का सार
रामजी लाल सुमन ने कहा कि अगर मुसलमान खुद को बाबर की संतान मानते हैं, तो आगे वह कुछ नहीं कह सकते। उनका यह बयान हिंदू-मुस्लिम विवाद को फिर से ताजा कर गया है। बयान के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इस बयान की कड़ी निंदा की है।
राजस्थान का ऐतिहासिक गर्व
राजस्थान की धरती, जो राणा सांगा, महाराणा प्रताप जैसे वीर योद्धाओं की वीरता की गवाह रही है, ऐसे बयान से आहत हुई है। राणा सांगा ने खानवा के युद्ध में मुगलों का सामना किया था, जहां राजस्थान के विभिन्न समुदायों ने एकजुट होकर लड़ाई लड़ी थी। भील समाज जैसे छोटे-छोटे समुदायों ने भी अपने बलिदान दिए थे।
राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक अपमान
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार की टिप्पणियां राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक धरोहर का अपमान है। राजस्थान के नेता और आम जनता ने इस बयान की निंदा करते हुए रामजी लाल सुमन से माफी की मांग की है।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा के नेताओं का मानना है कि यह बयान तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा है। भाजपा विधायक और विपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़ ने इसे अपमानजनक करार दिया और मांग की कि समाजवादी पार्टी रामजी लाल सुमन को पार्टी से निलंबित करे।

इतिहास के तथ्यों की अवहेलना?
इतिहासकारों का मानना है कि बाबर और मुगलों के समय के कई ऐतिहासिक तथ्य दर्ज हैं। बाबरनामा जैसे ग्रंथों में बाबर की स्तुति और उसके अभियानों का उल्लेख है, लेकिन इस प्रकार की टिप्पणी से इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करना दुर्भाग्यपूर्ण है।