Jaipur: राजस्थान में U.T.B. (अर्जेंट टेंपररी बेसिस) कर्मचारियों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। भाजपा सरकार के कार्यकाल में इन कर्मचारियों को हटाए जाने की आशंका से प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

U.T.B. कर्मचारियों का संघर्ष: पैदल यात्रा से आमरण अनशन तक
अजमेर से जयपुर तक पैदल मार्च करते हुए करीब 25-30 U.T.B. कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर जयपुर पहुंचे। इन कर्मचारियों का कहना है कि कांग्रेस सरकार के समय उनकी नियुक्ति हुई थी और अब भाजपा सरकार उन्हें बेरोजगार कर रही है।
प्रदर्शनकारियों की मांगें:
- सभी U.T.B. कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाए।
- जहां रिक्त पद हैं, वहां समायोजन किया जाए।
- स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य विभागों में सेवा समाप्त न की जाए।
- मुख्यमंत्री स्वयं वार्ता करें और लिखित आश्वासन दें।
बेरोजगारी की मार: सुसाइड करने को मजबूर कर्मचारी
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि कई कर्मचारियों ने बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या कर ली है। उनका कहना है कि अगर सरकार जल्द से जल्द समाधान नहीं निकालती, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
यूटीबी कर्मचारी: कोरोना योद्धा जिन्हें अब किया जा रहा अनदेखा
U.T.B. कर्मचारियों ने कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाएं दी थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व मुख्यमंत्री ने इनकी सराहना की थी, लेकिन अब इन्हीं कर्मचारियों को हटाया जा रहा है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है:
- “जब सरकार को हमारी जरूरत थी, तब हमें भर्ती किया गया। अब जब स्थायी भर्तियां हो रही हैं, तो हमें निकाल दिया जा रहा है।”
- “अगर हमें न्याय नहीं मिला, तो हम दिल्ली तक पैदल मार्च करेंगे।”
सरकार का रुख और कर्मचारियों की उम्मीदें
स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह और अन्य अधिकारियों से बातचीत के बावजूद कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। कर्मचारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मौखिक रूप से आश्वासन दिया था कि किसी को बेरोजगार नहीं किया जाएगा, लेकिन लिखित में कुछ नहीं दिया गया।
क्या है आगे की रणनीति?
- यदि सरकार मांगें नहीं मानती, तो कर्मचारी आमरण अनशन जारी रखेंगे।
- दिल्ली तक पैदल मार्च करने की योजना बनाई जा रही है।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और प्रधानमंत्री से मिलने का प्रयास किया जाएगा।
समाप्ति:
U.T.B. कर्मचारियों का यह आंदोलन राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। सरकार की ओर से जल्द ही कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो यह आंदोलन और उग्र हो सकता है। अब देखना होगा कि भजनलाल सरकार इन कर्मचारियों की मांगों पर क्या रुख अपनाती है।
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