तेजाजी की मूर्ति खंडित करने पर महिपाल सिंह मकराना का तीव्र विरोध
राजस्थान के प्रसिद्ध समाजसेवी और श्री राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने राज्य में तेजाजी की मूर्ति को खंडित करने पर कड़ा विरोध जताया है। मकराना ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं राजस्थान के समाज में तनाव और असहमति पैदा करने के लिए की जा रही हैं, और इन्हें रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।

महिपाल सिंह मकराना ने आरोप लगाया कि राजस्थान में कुछ ताकतें जानबूझकर धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों का अपमान कर रही हैं। तेजाजी, जो कि राजस्थान के एक महान लोक देवता हैं, उनकी मूर्ति का अपमान यह दर्शाता है कि देश और राज्य में समाज को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई और इसके खिलाफ मजबूत कदम उठाने की बात कही।
महिपाल सिंह मकराना का बयान: “बाबर का डीएनए जांचाओ!”
महिपाल सिंह मकराना ने वीडियो में कहा कि, “मैं बाबर का खून हूं”। उनका कहना था कि जिन लोगों ने राणा सांगा जैसे वीर योद्धा का अपमान किया है, वे उसी मानसिकता के लोग हैं जिन्होंने भारत के इतिहास को बदनाम किया है। मकराना ने बाबर की तुलना में राणा सांगा की बहादुरी और त्याग को सामने रखा। उन्होंने कहा कि बाबर जैसे हमलावरों का इतिहास बर्बरता से भरा हुआ था, जबकि राणा सांगा ने देश की खातिर अपना सर्वस्व त्याग किया था।
मकराना ने भरी सभा में मुख्यमंत्री भजनलाल से यह भी कहा कि बाबर का नाम देश में गूंजने देने वालों की मानसिकता को ठीक करने के लिए समय पर कदम उठाने चाहिए। उनके अनुसार, राजस्थान और भारत में ऐसे लोग अब भी घूम रहे हैं जो अपनी असलियत को छिपा कर हिंदू समाज को कमजोर करना चाहते हैं।
मकराना ने क्यों दी चेतावनी?
महिपाल सिंह मकराना का कहना था कि राजस्थान में तेजाजी की मूर्ति को तोड़ने का कृत्य एक सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा हो सकता है। इस तरह की घटनाएं समाज में भय और असहमति फैलाने के लिए की जाती हैं। मकराना ने कहा कि अगर इस कृत्य के दोषियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई नहीं की जाती, तो समाज में और अधिक अशांति फैल सकती है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिन लोगों ने तेजाजी की मूर्ति को तोड़ा, वे धार्मिक प्रतीकों का अपमान करने के बाद समाज में हिंसा और असहमति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने शीघ्र कदम नहीं उठाए तो करणी सेना इस मामले को और भी बड़े स्तर पर उठाएगी।
क्या कहते हैं लोग?
राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से इस मुद्दे पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं राज्य की शांति और व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जबकि कुछ लोग इसे एक साधारण घटना मानते हुए नजरअंदाज कर रहे हैं। हालांकि, महिपाल सिंह मकराना के बयान ने इसे एक गंभीर मुद्दे के रूप में प्रस्तुत किया है और अब इस मामले को लेकर प्रदेशभर में चर्चा हो रही है।
मकराना ने क्यों किया मुख्यमंत्री भजनलाल से मांग?
महिपाल सिंह मकराना ने मुख्यमंत्री भजनलाल से इस मामले पर सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अगर दोषियों के खिलाफ जल्दी से जल्दी कदम नहीं उठाए गए तो राजस्थान की शांतिपूर्ण छवि को नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश सरकार ने इस पर कार्रवाई नहीं की, तो करणी सेना अपने स्तर पर इस मामले को आगे बढ़ाएगी। मकराना ने मुख्यमंत्री से यह भी कहा कि, “अगर ऐसे लोगों को नहीं रोका गया तो यह राज्य की समृद्धि और संस्कृति के लिए खतरे की घंटी साबित होगा।”

राणा सांगा के प्रति श्रद्धा और तेजाजी का महत्व
महिपाल सिंह मकराना ने अपने बयान में राणा सांगा को एक आदर्श और प्रेरणास्त्रोत बताया। उन्होंने कहा कि राणा सांगा ने अपनी आँखों और हाथों की कीमत पर देश के लिए संघर्ष किया। राणा सांगा की तरह हमें भी अपने प्रतीकों और सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा करनी चाहिए। मकराना ने तेजाजी की मूर्ति को सिर्फ एक मूर्ति नहीं, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान और लोक देवता के रूप में प्रस्तुत किया।
उन्होंने यह भी कहा कि तेजाजी की मूर्तियों के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए और किसी भी तरह के अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
निष्कर्ष: समाज की एकता के लिए जरूरी कदम
महिपाल सिंह मकराना के बयान से यह स्पष्ट होता है कि राजस्थान में किसी भी तरह की सांस्कृतिक या धार्मिक असहमति को बढ़ावा देना राज्य और समाज दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर सरकार ने समय रहते इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह और भी बुरे परिणाम दे सकता है। मकराना की तरह अन्य समाजसेवी और संगठन भी इस मुद्दे को उठाते हुए सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों की रक्षा की जरूरत पर जोर दे रहे हैं।
आखिरकार, यह राजस्थान की पहचान और उसकी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने का सवाल है, और ऐसे मामलों में समाज की एकता और प्रशासन की तत्परता बेहद जरूरी है।
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