पहलगाम हमले के बाद भारत का जवाब – अब पानी भी नहीं मिलेगा पाकिस्तान को
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद देशभर में आक्रोश की लहर है। हर हिंदुस्तानी इस कायराना हमले को लेकर गुस्से में है। शहीद नागरिकों की याद में जगह-जगह कैंडल मार्च निकाले जा रहे हैं। इसी बीच, भारत सरकार ने आतंकवाद के सरपरस्त पाकिस्तान को लेकर एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है – सिंधु जल संधि को स्थगित करने की तैयारी शुरू हो चुकी है।

कैबिनेट कमेटी की बैठक में पांच कड़े फैसले, जल नीति में बड़ा बदलाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि अब पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा। इस बार “वॉटर स्ट्राइक” के रूप में करारा झटका दिया जाएगा।
भारत ने अब तक मानवीयता के नाते पानी की आपूर्ति नहीं रोकी थी, लेकिन इस बार पाकिस्तान की हदें पार करने के बाद भारत ने पानी को भी हथियार बना लिया है।
क्या है सिंधु जल संधि और भारत को क्या अधिकार है?
साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी, जिसके तहत भारत ने तीन बड़ी नदियों – सिंधु, झेलम और चेनाब – का पानी अधिकतर पाकिस्तान को उपयोग करने दिया।
भारत ने हमेशा शांति और सहयोग का परिचय दिया, लेकिन बदले में पाकिस्तान ने दिया आतंकवाद, गोलियां और धोखा।
अब समय आ गया है कि भारत अपने जल अधिकारों का पूरी तरह से उपयोग करे और पाकिस्तान को उसकी हरकतों का उचित जवाब दे।
पानी रोका गया तो पाकिस्तान को क्या होगा नुकसान?
भारत की तरफ से अगर पानी रोका जाता है तो पाकिस्तान को निम्नलिखित बड़े नुकसान हो सकते हैं:
- सिंचाई पर असर:
पाकिस्तान की 80% खेती सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर है। गेहूं, चावल, कपास, गन्ना जैसी फसलें पूरी तरह से इसी जल पर आधारित हैं। पानी की आपूर्ति रुकने पर खेती चौपट हो जाएगी। - शहरों की जल आपूर्ति संकट में:
कराची, लाहौर, मुल्तान जैसे बड़े शहरों की पीने के पानी की सप्लाई सिंधु प्रणाली पर निर्भर है। पानी की कटौती से शहरी जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है। - बिजली उत्पादन ठप:
तरबेला और मंगला जैसे बड़े पावर प्रोजेक्ट्स सिंधु नदी पर आधारित हैं। पानी की कमी से ब्लैकआउट और ऊर्जा संकट की स्थिति बन सकती है। - सामाजिक अस्थिरता:
किसानों की तबाही और बिजली-पानी की किल्लत से सामाजिक असंतोष और अशांति का माहौल बन सकता है।
इतिहास गवाह है – भारत ने युद्ध में भी नहीं रोका था पानी
भारत ने 1965, 1971 और 1999 के युद्धों के दौरान भी सिंधु जल संधि को बरकरार रखा था।

- 1965 में जब भारत लाहौर तक पहुंच चुका था, तब भी पानी रोका नहीं गया।
- 1971 में पाकिस्तान को हराकर बांग्लादेश बनाया गया, फिर भी जल संधि जारी रही।
- कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की घुसपैठ को जवाब देने के बाद भी भारत ने संयम बरता।
लेकिन अब हालात अलग हैं। पाकिस्तान बार-बार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, और भारत अब हर मोर्चे पर जवाब देने को तैयार है।
पहली बार होगा ‘वॉटर स्ट्राइक’ – पाकिस्तान तरसेगा बूंद-बूंद को
सरकार की रणनीति अब साफ है – सांप भी मरे और लाठी भी न टूटे। इसका मतलब यह है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत भारत अपने हिस्से का पानी रोक सकता है, और पाकिस्तान को उसके हिस्से का पानी देना अनिवार्य नहीं है।
इससे पाकिस्तान को बिना हथियार उठाए ही सबसे बड़ा झटका मिलेगा।
जनता का समर्थन, राष्ट्रहित में फैसला
भारत का यह कदम न सिर्फ सुरक्षा दृष्टि से आवश्यक है, बल्कि यह राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा का भी सवाल है। हर भारतवासी इस निर्णय के साथ खड़ा है और मानता है कि अब सिर्फ शब्दों से नहीं, कर्मों से जवाब देना होगा।
निष्कर्ष: पानी भी अब हथियार – भारत ने लिया ऐतिहासिक फैसला
भारत का यह फैसला साफ संकेत है कि अब नीतियां बदल चुकी हैं। आतंकवाद के समर्थकों को अब पानी भी नहीं मिलेगा।
पहलगाम हमले की आंच अब पाकिस्तान तक पहुंच चुकी है – और यह आग सिर्फ शब्दों की नहीं, एक्शन की है।