जयपुर, राजस्थान की राजधानी और पर्यटन की दृष्टि से विश्व प्रसिद्ध शहर। लेकिन क्या इस शहर का प्रमुख बस स्टैंड सिंधी कैंप राजधानी के स्तर के अनुसार सुविधाएं दे पा रहा है? झलको राजस्थान की ग्राउंड रिपोर्ट में हम लेकर आए हैं सिंधी कैंप बस स्टैंड की सच्चाई।

गंदगी का आलम: स्वच्छता का अभाव
सिंधी कैंप बस स्टैंड पर पहुँचते ही सबसे पहले नज़र आती है गंदगी। पानी की टंकियों के पास कबूतरों का जमावड़ा, गंदे नल, और कूड़े का अंबार यात्रियों का स्वागत करता है। यात्रियों के अनुसार, पीने का पानी दूषित है और हर किसी के पास बोतलबंद पानी खरीदने की क्षमता नहीं है।
एक यात्री ने कहा: “पानी तो दूषित है, पर क्या करें? हर कोई बोतल नहीं खरीद सकता।”
बैठने की व्यवस्था: नीचे बैठने को मजबूर यात्री
बस स्टैंड पर बैठने के लिए कुर्सियां उपलब्ध नहीं हैं। कई यात्री अपने सामान के साथ नीचे बैठने को मजबूर होते हैं। धूप और बारिश में यात्री या तो खुद को असहाय पाते हैं या फिर जमीन पर बैठने को मजबूर होते हैं।
डिजिटल मशीनें: शोपीस या सहायक?
सिंधी कैंप पर आधुनिक डिजिटल मशीनें तो लगाई गई हैं, जिन पर लिखा है कि यात्री जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन इनका उपयोग ना के बराबर होता है। मशीनें या तो खराब हैं या फिर यात्री इनके उपयोग से अनजान हैं।
वॉशरूम की स्थिति: स्वच्छता का सवाल
बस स्टैंड के वॉशरूम की स्थिति भी दयनीय है। नल बंद हैं, सफाईकर्मियों की कमी है और गुटखे के पीक से दीवारें रंगी हुई हैं। महिलाओं और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति और भी कठिनाई भरी है।
यात्रियों की राय: सुविधाओं की कमी
यूपी से आए एक यात्री ने कहा, “यहां की व्यवस्था देख कर लगता है कि राजधानी में भी व्यवस्था ऐसी है। यूपी में भी समस्या हैं, लेकिन यहां तो स्थिति और भी खराब है।”
प्रशासन की भूमिका: सुधार की आवश्यकता
सिंधी कैंप बस स्टैंड पर अव्यवस्थाओं को देखकर यही कहा जा सकता है कि प्रशासन को जल्द से जल्द इन समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। अगर राजस्थान की राजधानी का प्रमुख बस स्टैंड ऐसी स्थिति में है, तो राज्य के अन्य हिस्सों की स्थिति क्या होगी?
निष्कर्ष:

सिंधी कैंप बस स्टैंड की इस ग्राउंड रिपोर्ट से साफ है कि जयपुर जैसे शहर का यह महत्वपूर्ण स्थान सुविधाओं के नाम पर पिछड़ा हुआ है। सरकार और प्रशासन को इस ओर जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए, ताकि यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।