जयपुर। राजस्थान की सियासत में इन दिनों जबरदस्त उबाल है। 25 मई को हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में हुई विशाल रैली के बाद, अब यह आंदोलन सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं बल्कि बदलाव की क्रांति का संकेत बन गया है। हाई कोर्ट के हालिया फैसले से नाखुश नज़र आ रहे बेनीवाल ने स्पष्ट कहा कि यह सिर्फ ट्रेलर था, अब पूरी पिक्चर जल्दी दिखाई जाएगी।

हनुमान बेनीवाल ने इस आंदोलन की तुलना 1857 की क्रांति से करते हुए कहा कि “25 मई का उबाल वैसा ही था जैसा 1857 की क्रांति में हुआ था। अब राजस्थान का नौजवान बदलाव के मूड में है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि युवाओं के भविष्य का सवाल है।
भर्ती घोटाले को लेकर भाजपा-कांग्रेस दोनों पर साधा निशाना
बेनीवाल ने साफ शब्दों में कहा कि आरपीएससी भर्ती घोटाले के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों जिम्मेदार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों पार्टियां एक-दूसरे के भ्रष्टाचार को बचाने में लगी हुई हैं। “वसुंधरा-गहलोत गठबंधन के बाद अब भजनलाल और कांग्रेस नेताओं का नया अलायंस सामने आ गया है”, उन्होंने कहा।
महेश जोशी की गिरफ्तारी का ज़िक्र करते हुए उन्होंने यह भी पूछा कि अब अगला नंबर किसका है? “कांग्रेस डर के मारे चुप है, क्योंकि उनके राज में भी कई घोटाले हुए हैं। वहीं बीजेपी सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने में लगी है,” बेनीवाल ने कहा।
“हाई कोर्ट का रवैया अचानक क्यों नरम पड़ा?”
हाई कोर्ट के फैसले से नाराज बेनीवाल ने सवाल उठाया कि कोर्ट का पहले सख्त दिखने वाला रवैया अचानक नरम कैसे हो गया। उन्होंने कहा कि राजस्थान का युवा कोर्ट से सख्त कार्रवाई और भर्ती रद्द करने की उम्मीद लगाए बैठा था, लेकिन कोर्ट का फैसला मायूस करने वाला रहा।
बेनीवाल का कहना था कि “न्यायपालिका से हमेशा न्याय की उम्मीद की जाती है, लेकिन इस बार युवाओं को निराशा हाथ लगी है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा और वे सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली तक जाएंगे।
“सरकार को दिखानी थी ताकत, इसलिए रैली की”
हनुमान बेनीवाल ने कहा कि अगर 25 मई की रैली नहीं होती, तो सरकार कोर्ट में लिखकर दे देती कि भर्ती रद्द नहीं हो रही। “सरकार को दिल्ली तक यह ताकत दिखानी थी कि राजस्थान का युवा अब चुप नहीं बैठेगा।” उन्होंने बताया कि एक लाख से ज्यादा युवा बिना किसी हिंसा के शांतिपूर्ण तरीके से रैली में शामिल हुए, जो आंदोलन की परिपक्वता को दर्शाता है।
दिल्ली कूच, जंतर-मंतर धरना और विशेष लोकसभा सत्र की मांग
बेनीवाल ने घोषणा की कि आंदोलन अब सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं रहेगा। अगला चरण दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास का घेराव और जंतर-मंतर पर धरना होगा। साथ ही, उन्होंने विशेष लोकसभा सत्र बुलाने की मांग भी की, ताकि केंद्र सरकार देश को बता सके कि भर्ती घोटाले जैसे मामलों पर अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
भ्रष्टाचार और बेरोजगारी पर तीखा हमला
बेनीवाल ने राजस्थान को देश का “सबसे बदनाम राज्य” करार दिया और कहा कि पेपर लीक, महिला उत्पीड़न, बेरोजगारी और किसानों की आत्महत्या जैसे मामलों में प्रदेश अव्वल बन चुका है। उन्होंने आरपीएससी, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और विश्वविद्यालयों की साख बचाने की अपील की और कहा कि “अब समय आ गया है कि इन संस्थानों का पुनर्गठन हो।”

भाजपा-कांग्रेस की मिलीभगत का आरोप
बेनीवाल ने जोर देकर कहा कि भाजपा और कांग्रेस के बीच अंदरखाने गठजोड़ है। “जब भी तीसरी ताकत खड़ी होती है, दोनों मिलकर उसे कुचलने की कोशिश करते हैं,” उन्होंने कहा। उपचुनावों में कांग्रेस की जमानत जब्त होने को भी उन्होंने इसी गठजोड़ का नतीजा बताया।
“राजस्थान का सम्मान बचाने की लड़ाई है”
बेनीवाल ने कहा कि ये लड़ाई सिर्फ युवाओं की नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान के सम्मान की है। “मैं थकूंगा नहीं, भजनलाल सरकार थक जाएगी। कांग्रेस मैदान छोड़कर भाग जाएगी,” उन्होंने आत्मविश्वास के साथ कहा।
उन्होंने यह भी साफ किया कि अब आंदोलन में नया मोड़ आएगा और अलग-अलग रूपों में इसे पूरे प्रदेश में फैलाया जाएगा। चाहे वो रेलवे ट्रैक हो या हाईवे, दबाव बनाना ही उद्देश्य होगा — लेकिन कानून व्यवस्था का पालन करते हुए।
सोशल मीडिया और युवाओं का समर्थन
बेनीवाल ने सोशल मीडिया पर युवाओं के सक्रिय समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। “देश के बच्चों ने जिस तरह सोशल मीडिया के माध्यम से इस आंदोलन को आवाज दी, वो ऐतिहासिक है,” उन्होंने कहा। पहली बार राजस्थान के युवाओं ने अपने दम पर इतना बड़ा जनाक्रोश दिखाया है।
निष्कर्ष
हनुमान बेनीवाल की यह हुंकार सिर्फ एक नेता का भाषण नहीं, बल्कि राजस्थान के युवाओं की आवाज बन चुकी है। हाई कोर्ट के फैसले के बाद आंदोलन की नई दिशा तय होगी, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह लड़ाई अब इतनी आसानी से थमने वाली नहीं है। आने वाले दिनों में दिल्ली की सड़कों से लेकर संसद तक इस आंदोलन की गूंज सुनाई दे सकती है।
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