राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, लोक संगीत, कला, और पारंपरिक व्यंजनों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। हर साल आयोजित होने वाला राजस्थान उत्सव न केवल राज्य की विरासत को दर्शाता है, बल्कि यह देश-विदेश से आए पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होता है। 2025 में आयोजित इस महोत्सव में कई अनोखे और दिलचस्प प्रदर्शन हुए, जो राजस्थान की विविधता और रंगों को बखूबी प्रस्तुत करते हैं।

राजस्थानी लोक नृत्य: तेराताली का जादू
लोक नृत्य राजस्थान की आत्मा हैं और तेराताली नृत्य इसकी एक अनूठी पहचान है। इस नृत्य में कलाकार मंजीरा (छोटे झांझ) को अपने हाथों और पैरों में बांधकर प्रस्तुत करते हैं, जबकि सिर पर तलवार रखकर संतुलन बनाते हैं। इस नृत्य को देखने वाले दर्शक इसकी कलात्मकता से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
राजस्थानी पारंपरिक पोशाकें: संस्कृति की पहचान
राजस्थानी पोशाकें भी इस उत्सव का मुख्य आकर्षण रहीं। पारंपरिक घाघरा-चोली, पगड़ी, और अंगरखा राजस्थान की शान को प्रदर्शित करते हैं।
- पुरुषों के लिए: साफा या पगड़ी, धोती और कुर्ता
- महिलाओं के लिए: रंग-बिरंगे घाघरा-चोली और ओढ़नी
इस उत्सव में राजस्थान के पाली जिले के पदरला गाँव के लोक कलाकारों ने तेराताली नृत्य की बेहतरीन प्रस्तुति दी।
हस्तशिल्प और लोक कलाएं: हाथों का जादू
राजस्थान की कारीगरी भी इस उत्सव में देखने को मिली। यहाँ के हस्तनिर्मित मिट्टी के बर्तन, पारंपरिक साड़ियाँ, लकड़ी और पत्थर की कलाकृतियाँ दर्शकों को बहुत पसंद आईं। मध्य प्रदेश के वैष्ण स्वयं सहायता समूह की हैंडलूम साड़ियाँ और करौली से आए स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित मिलेट कुकीज़ भी इस महोत्सव में खास आकर्षण का केंद्र बनीं।
राजस्थानी स्वाद: पारंपरिक व्यंजनों का जलवा
कोई भी उत्सव तब तक अधूरा है जब तक स्वादिष्ट व्यंजनों की बात न हो। इस फेस्टिवल में बीकानेर की भुजिया, मूंग मिक्स पापड़, बाजरे की राबड़ी और देसी घी में बनी दाल-बाटी ने लोगों का दिल जीत लिया। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर से आई विशेष पनीर टिक्की और वालनट-अनारदाना चटनी भी लोगों के लिए नई और दिलचस्प खोज रही।
स्वस्थ जीवनशैली के लिए ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स
इस मेले में ऑर्गेनिक साबुन, जैविक तेल, और प्राकृतिक उत्पादों की भी अच्छी खासी मांग रही। गोट मिल्क (बकरी के दूध) से बना साबुन, बालों के लिए आंवला-शिकाकाई साबुन और स्किन के लिए चारकोल साबुन लोगों ने खूब पसंद किया।
स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा
इस बार के राजस्थान उत्सव में ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को भी प्रोत्साहित किया गया। इस पहल के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों ने अपने हाथों से बने जैविक खाद्य उत्पादों और हस्तशिल्प वस्तुओं को बेचा।
निष्कर्ष
राजस्थान उत्सव 2025 ने न केवल लोक संस्कृति, कला और परंपराओं को जीवंत रखा, बल्कि स्थानीय कारीगरों और कलाकारों को भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान किया। यह उत्सव हर साल राजस्थान की पहचान को और मजबूत करता है और पर्यटन को बढ़ावा देने में भी मदद करता है।

अगर आप भी राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को करीब से देखना चाहते हैं, तो अगली बार इस महोत्सव में जरूर शामिल हों!