Jhalko Rajasthan | राजस्थान के सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है, लेकिन हाल ही में सामने आए एक वीडियो ने शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है। इस वीडियो में छोटे-छोटे मासूम बच्चे भारी पानी केन ढोते नजर आ रहे हैं, जो प्रशासन की अनदेखी को दर्शाता है।

बच्चे खुद भर रहे पानी के कैन
वीडियो में साफ तौर पर दिख रहा है कि स्कूल में पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते छोटे बच्चे खुद ही पानी के कैन भरने को मजबूर हैं। सुबह-सुबह स्कूल आते समय ये बच्चे खाली कैन लाते हैं और दिनभर के लिए पानी का इंतजाम करते हैं।
प्रिंसिपल और शिक्षक क्या कह रहे हैं?
जब इस मामले पर स्कूल प्रशासन से सवाल किया गया, तो टीचर्स और प्रिंसिपल एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते नजर आए। एक शिक्षिका ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस विषय में केवल प्रिंसिपल ही बात करेंगे, जबकि प्रिंसिपल साहब ने भी गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि कभी-कभी जब पानी की सप्लाई नहीं आती, तब अतिरिक्त पानी मंगाना पड़ता है।
बच्चों की जुबानी सच्चाई
बच्चों से पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि यह उनका रोज का काम है। सुबह स्कूल आते वक्त वे खाली केन लेकर आते हैं और फिर पानी भरकर स्कूल में जमा करते हैं। यह बात शिक्षकों के दावों के विपरीत है, जो कह रहे थे कि बच्चे केवल खाली केन रखते हैं और भरे हुए कैन किसी और के द्वारा लाए जाते हैं।
क्या कहता है प्रशासन?
जब यह मामला शिक्षा विभाग तक पहुंचा तो उन्होंने इस पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी। सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी कोई नई बात नहीं है, लेकिन छोटे बच्चों से इस प्रकार श्रम कराना न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि यह शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) का भी उल्लंघन है।
स्कूलों की बदहाल व्यवस्था पर उठते सवाल
- सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी क्यों है?
- क्या प्रशासन को बच्चों से श्रम करवाने की जानकारी नहीं है?
- क्या यह शिक्षा नीति का उल्लंघन नहीं है?
- पानी की नियमित आपूर्ति क्यों नहीं हो रही?
समाधान क्या हो सकता है?
- स्कूलों में नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए।
- सरकार को सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं के विकास पर ध्यान देना चाहिए।
- बच्चों को किसी भी प्रकार के शारीरिक श्रम से बचाया जाना चाहिए।
- शिक्षा विभाग को इस मामले की निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए और दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
निष्कर्ष
राजस्थान के सरकारी स्कूलों में पानी जैसी मूलभूत सुविधा का अभाव प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। मासूम बच्चों को शिक्षा के स्थान पर श्रम करने के लिए मजबूर करना गंभीर चिंता का विषय है। सरकार को इस ओर जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए, ताकि शिक्षा के मंदिरों में बच्चों को पढ़ाई के अलावा किसी अन्य कार्य का बोझ न उठाना पड़े।