संघर्षों से सफलता तक: असलम खान का सफर
राजस्थान की बेटी असलम खान ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। राजस्थान की पहली मुस्लिम महिला IPS अधिकारी असलम खान अब दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IGP) के पद पर नियुक्त की गई हैं। यह उपलब्धि न केवल उनके लिए बल्कि पूरे राजस्थान और देश की बेटियों के लिए गर्व का विषय है।

असलम खान की पदोन्नति: दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने लगाए बैज
दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने असलम खान के कंधों पर बैटल क्रॉस और स्टार लगाकर उन्हें IGP पद की जिम्मेदारी सौंपी। उनकी यह पदोन्नति उनके कठोर परिश्रम, समर्पण और नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है। असलम खान की कार्यशैली और मानवता के प्रति सहानुभूति उन्हें अन्य अधिकारियों से अलग बनाती है।
आर्थिक तंगी और सामाजिक रीतियों को दी मात
असलम खान का सफर आसान नहीं था। वह राजस्थान के डीडवाना के बेरी गांव की रहने वाली हैं, जहां संसाधनों की कमी और समाज की परंपराओं ने कई बाधाएं खड़ी कीं। उनके पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई में कभी कोई रुकावट नहीं आने दी। असलम खुद बताती हैं कि एक समय ऐसा भी था जब वह अपने पिता के जन्मदिन पर एक साधारण चॉकलेट भी नहीं ला सकीं, लेकिन उनके पिता ने उनकी पढ़ाई के लिए कभी समझौता नहीं किया।
नाम पर भी उठा सवाल, लेकिन इरादा रहा अडिग
असलम खान के नाम को लेकर भी कई बार सवाल उठाए गए, क्योंकि यह नाम आमतौर पर लड़कों के लिए प्रयोग होता है। उनके माता-पिता को बेटे की उम्मीद थी और उन्होंने नाम पहले ही तय कर लिया था। बेटी के जन्म पर वही नाम रखा गया – असलम खान। लेकिन इस नाम ने ही आज पहचान बना ली है।
2007 में बनीं IPS, अब दिल्ली पुलिस में IG
असलम खान ने 2007 में UPSC परीक्षा पास कर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में प्रवेश किया। उन्हें SGMUT कैडर में नियुक्त किया गया। उसी वर्ष उन्होंने IPS अधिकारी पंकज कुमार से विवाह किया। उनके दो बच्चे हैं – एक बेटी और एक बेटा। असलम सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहती हैं और अपने पारिवारिक पलों को साझा करती हैं।
ड्यूटी से बढ़कर मानवता: एक प्रेरक उदाहरण
असलम खान ने 2018 में उत्तर-पश्चिम दिल्ली के डीसीपी रहते हुए मानसिंह नामक एक ट्रक चालक की हत्या के बाद उसके परिवार की मदद के लिए अपनी तनख्वाह का हिस्सा दिया। मानसिंह अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला था। इस घटना ने साबित किया कि असलम खान एक संवेदनशील और करुणामयी अधिकारी हैं, जो केवल नियमों के अनुसार ही नहीं, बल्कि दिल से भी काम करती हैं।
धर्म से ऊपर मानवता, श्रीकृष्ण में रखती हैं गहरी आस्था
मुस्लिम होते हुए भी असलम खान सभी धर्मों में आस्था रखती हैं। वे नमाज़ भी पढ़ती हैं और मंदिर जाकर पूजा भी करती हैं। 2014 में जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर जाने के बाद उन्हें श्रीकृष्ण भक्ति की अनुभूति हुई और वे ध्यान और जाप की ओर आकर्षित हुईं। वे हिन्दू धर्म को एक जीवनशैली मानती हैं, न कि केवल एक धर्म।
नई पीढ़ी की प्रेरणा
असलम खान की यह यात्रा हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है, जो समाज की बंदिशों को तोड़कर आगे बढ़ना चाहती है। उनका जीवन यह सिखाता है कि असंभव कुछ भी नहीं, बस सच्ची लगन और अडिग निश्चय की ज़रूरत है।
निष्कर्ष

IPS असलम खान की कहानी केवल एक व्यक्ति की सफलता नहीं है, यह हर उस महिला की जीत है जो हालातों से लड़कर आगे बढ़ने का सपना देखती है। उनकी निडरता, सहानुभूति और आध्यात्मिकता उन्हें एक आदर्श पुलिस अधिकारी बनाती है। “Jhalko Rajasthan” उनके इस ऐतिहासिक पदोन्नति पर उन्हें शुभकामनाएं देता है।
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