बीकानेर, राजस्थान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीकानेर दौरे के दौरान एक अनोखा दृश्य सामने आया, जिसने हर किसी को भावुक कर दिया। बीकानेर जिले के गांव पारवा की रहने वाली सुमित्रा सैं जब अपनी हस्तनिर्मित लकड़ी की बैलगाड़ी का तोहफा प्रधानमंत्री मोदी को देने मंच पर पहुंची, तो उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।

राजीविका से जुड़कर बदली जिंदगी
सुमित्रा सैं साल 2018 से राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) से जुड़ी हुई हैं। शुरुआत में उन्होंने सिलाई और छोटे-मोटे हस्तशिल्प का काम शुरू किया। धीरे-धीरे उन्होंने लकड़ी से सुंदर सजावटी वस्तुएं बनाना शुरू किया, जिनमें झूले, बैलगाड़ी, घड़ी, फ्रेम आदि शामिल हैं। उनका काम न केवल गांव में, बल्कि जिलेभर में पहचान पाने लगा।
प्रधानमंत्री को भेंट – एक यादगार पल
प्रधानमंत्री मोदी के बीकानेर आगमन पर राजीविका समूह द्वारा विभिन्न गिफ्ट्स तैयार किए गए। सुमित्रा ने अपनी दुकान से तैयार की गई लकड़ी की बैलगाड़ी का चुनाव स्वयं किया और जब इसे PM को भेंट करने का मौका मिला, तो यह उनके जीवन का सबसे बड़ा पल बन गया।
वे बताती हैं, “घर में बच्चों ने भी कहा कि मम्मी, आप ही दीजिए गिफ्ट। और जब मैं प्रधानमंत्री जी से मिली, तो ऐसा लगा जैसे भगवान के दर्शन हो गए।”
मोदी से बातचीत और भावुक पल
जब मंच पर सुमित्रा सैं प्रधानमंत्री से मिलीं, तो मोदी जी ने उनका नाम, गांव और समूह के बारे में जानकारी ली। इसी दौरान सुमित्रा भावुक हो गईं और उनकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे। उन्होंने बताया, “मोदी जी ने खुद कहा – दीदी, आप झुको मत। ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है।”
यह पल उनके लिए किसी सपने से कम नहीं था। वे कहती हैं, “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि जीवन में प्रधानमंत्री से मिलूंगी।”
समाज को दिया संदेश
सुमित्रा ने खासकर ग्रामीण महिलाओं के लिए एक प्रेरणा की मिसाल पेश की है। उन्होंने कहा, “शुरुआत कठिन होती है, लेकिन अगर मेहनत और सब्र के साथ आगे बढ़ो, तो फल मीठा जरूर मिलता है।” उन्होंने यह भी कहा कि आज उनकी सफलता के पीछे उनके परिवार और राजीविका समूह का अहम योगदान रहा है।
हस्तशिल्प की खास दुकान
उनकी दुकान पर हाथ से बनी कई चीजें मिलती हैं — लड्डू गोपाल के झूले, दीवार घड़ियां, फोटो फ्रेम, चाबी स्टैंड, सजावटी बैलगाड़ियां आदि। खास बात यह है कि ये सभी उत्पाद हाथों से बनाए जाते हैं और उनकी कीमत भी वाजिब रखी जाती है। उनकी बनाई गई घड़ी की कीमत ₹700 है, जो अन्य दुकानों की तुलना में सस्ती और टिकाऊ भी है।
निष्कर्ष
सुमित्रा सैं की यह कहानी बताती है कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो कोई भी महिला किसी भी मंच तक पहुंच सकती है। उनकी प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात और उपहार देने का भावनात्मक क्षण, न केवल उनके लिए बल्कि पूरे बीकानेर और राजस्थान के लिए गर्व का विषय बन गया है।

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