जैसलमेर में पाकिस्तान से आई दुल्हनों का दर्द
जैसलमेर में हाल ही में पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आई दो नवविवाहित दुल्हनों के लिए मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा है। 10 दिन पहले ही अपने ससुराल आई इन दुल्हनों को भारत सरकार के आदेश के चलते वापस पाकिस्तान लौटने का फरमान मिला है। लेकिन इन दोनों ने अपने पति और ससुराल को छोड़ने से साफ इनकार कर दिया है।

दोनों दुल्हनों ने कहा है, “हम मर जाएंगे लेकिन वापस पाकिस्तान नहीं जाएंगे।” उनका कहना है कि अब भारत ही उनका घर और देश है, और वे अपने पतियों को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगी।
कैसे हुआ सारा मामला
दरअसल, जैसलमेर जिले के देवीकोट गांव के साले मोहम्मद और मुस्ताक अली जुलाई 2023 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत के घोटकी जिले में अपने रिश्तेदारों से मिलने गए थे। वहां उनकी मुलाकात करम खातून और सचुल नामक दो युवतियों से हुई। परिवार की सहमति से अगस्त 2023 में दोनों की शादी कर दी गई।
शादी के बाद दोनों दुल्हनों को भारत आने के लिए वीजा नहीं मिल पाया। मजबूरन दूल्हे अकेले भारत लौट आए। डेढ़ साल तक वीजा का इंतजार करने के बाद आखिरकार अप्रैल 2025 में दोनों दुल्हनों को भारत सरकार ने वीजा जारी किया, और 13 अप्रैल 2025 को वे जैसलमेर आ गईं।
आतंकी हमले के बाद सरकार का सख्त निर्णय
13 अप्रैल के कुछ दिन बाद, कश्मीर के पहलगाम में एक भीषण आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई। हमले में पाकिस्तान के हाथ होने की आशंका के बाद भारत सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया।
इस फैसले का सीधा असर उन पाकिस्तानी दुल्हनों पर पड़ा जो अभी-अभी भारत आई थीं। उनके ससुर हाजी अब्दुल्ला ने बताया कि दोनों दुल्हनों के लिए लॉन्ग टर्म वीजा के लिए आवेदन किया गया था, लेकिन अब पुलिस प्रशासन का दबाव है कि उन्हें वापस पाकिस्तान भेजा जाए।
परिवार की अपील: “रियायत दी जाए”
करम खातून का परिवार पाकिस्तान में नहीं है। उनकी मां का निधन बचपन में हो गया था और पिता भी अब संपर्क में नहीं हैं। ऐसे में अगर करम खातून को पाकिस्तान वापस भेजा जाता है तो उनका वहां कोई सहारा नहीं रहेगा।
परिवार ने सरकार से अपील की है कि दोनों दुल्हनों को भारत में रहने की अनुमति दी जाए, ताकि उनका घर न उजड़े। परिवार का कहना है कि अगर उन्हें मजबूरन भेजा गया तो उनका पूरा जीवन बर्बाद हो जाएगा।
बाड़मेर में भी फंसी एक शादी
इसी तरह बाड़मेर के इंद्रोई गांव के शैतान सिंह की भी कहानी सामने आई है। शैतान सिंह की शादी 30 अप्रैल को पाकिस्तान के अमरकोट में तय थी। शादी के लिए उनका परिवार वीजा प्राप्त कर भारत से निकला था, लेकिन पहलगाम हमले के चलते अटारी बॉर्डर बंद हो गया और वे पाकिस्तान नहीं जा सके।

अब उनका परिवार चिंतित है कि क्या शादी हो भी पाएगी या नहीं। हालांकि दूल्हा सिद्धांत सिंह ने कहा है कि वे सरकार के निर्णय के साथ हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि 12 मई तक हालात सुधर जाएं।
पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों का दर्द
पाकिस्तान से प्रताड़ना झेलकर भारत आए हिंदू शरणार्थी भी इस फैसले से चिंतित हैं। वे लंबे समय से भारत में नागरिकता के लिए प्रयासरत हैं। उनका कहना है कि उन्हें भी वापस पाकिस्तान भेजना उनके लिए मौत के समान होगा।
वे अपील कर रहे हैं कि सरकार उन लोगों के दर्द को समझे जो वाकई भारत में सुरक्षित जीवन चाहते हैं और जिनका पाकिस्तान में अब कोई ठिकाना नहीं बचा है।
निष्कर्ष
जहां एक ओर आतंकी हमलों के कारण देश की सुरक्षा सर्वोपरि है, वहीं मानवीय दृष्टिकोण से इन दुल्हनों और शरणार्थियों के दर्द को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारत सरकार के सामने अब एक बड़ी मानवीय चुनौती खड़ी है – क्या वो सुरक्षा और संवेदनशीलता के बीच संतुलन बना पाएगी?
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