झलकों राजस्थान विशेष रिपोर्ट
राजस्थान के उभरते युवा नेता और छात्र संगठन के पूर्व अध्यक्ष निर्मल चौधरी ने हाल ही में एक साक्षात्कार में राहुल गांधी, हनुमान बेनीवाल, वर्तमान सरकार और विपक्षी दलों को लेकर खुलकर बात की। उनका यह बयान सोशल मीडिया और युवाओं के बीच चर्चा का विषय बन गया है।

राहुल गांधी पर तंज, लेकिन सम्मान के साथ
निर्मल चौधरी ने राहुल गांधी की राजनीति को लेकर सवाल जरूर उठाए, लेकिन उन्हें पूरी तरह खारिज नहीं किया। उन्होंने कहा कि “राहुल गांधी की नीयत ठीक है, लेकिन उनकी रणनीति और टीम पर काम करने की जरूरत है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस को अगर सच में बदलाव चाहिए तो युवाओं को आगे लाना होगा।
हनुमान बेनीवाल को बताया अवसरवादी
हनुमान बेनीवाल पर बोलते हुए निर्मल चौधरी ने उन्हें “राजनीतिक अवसरवादी” बताया। उन्होंने कहा कि “जो व्यक्ति हर चुनाव में अलग-अलग गठबंधन करता है, वो जनता की भलाई नहीं, बल्कि अपनी कुर्सी की राजनीति करता है।” चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि बेनीवाल ने युवाओं की भावनाओं का दोहन किया है।
सरकार पर लगाया युवा विरोधी होने का आरोप
निर्मल चौधरी ने वर्तमान राजस्थान सरकार की नीतियों की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि “सरकार केवल घोषणाओं तक सीमित है। ज़मीनी स्तर पर युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा, और शिक्षा प्रणाली बद से बदतर होती जा रही है।” उन्होंने पेपर लीक, बेरोजगारी और शिक्षा में भ्रष्टाचार को सरकार की बड़ी विफलता बताया।
विरोधियों को भी नहीं बख्शा
सिर्फ सत्ता पक्ष ही नहीं, निर्मल चौधरी ने विपक्षी दलों को भी घेरा। उन्होंने कहा कि “विपक्ष सिर्फ मीडिया में बयानबाज़ी करता है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर युवाओं के लिए कोई ठोस आंदोलन नहीं दिखता।” उन्होंने मांग की कि सभी दल युवाओं के मुद्दों पर एक मंच पर आएं।
राजनीति में युवाओं की भूमिका पर जोर
निर्मल चौधरी का मानना है कि आज की राजनीति में युवाओं को सिर्फ रैली और भीड़ तक सीमित कर दिया गया है, जबकि उन्हें नीतियों के निर्धारण में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि “अगर देश को बदलना है, तो युवाओं को जिम्मेदारी देनी होगी, न कि उन्हें सिर्फ नारे लगाने तक सीमित रखना चाहिए।”
भविष्य की राजनीति पर संकेत
साक्षात्कार के अंत में उन्होंने यह संकेत भी दिए कि आने वाले समय में वह किसी राजनीतिक दल के साथ जुड़ सकते हैं, लेकिन वह ऐसा कदम सिर्फ विचारधारा और युवाओं के हित को ध्यान में रखते हुए उठाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वह राजनीति में किसी पद के लिए नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने के लिए हैं।
निष्कर्ष
निर्मल चौधरी का यह साक्षात्कार न सिर्फ उनकी बेबाकी को दिखाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि आने वाले समय में वह राजनीति में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उनकी बातों में एक तरफ जहां सत्ता पर हमला है, वहीं विपक्ष से भी उम्मीदों की कसौटी पर सवाल हैं। निश्चित रूप से यह बयान राजस्थान की राजनीति में हलचल पैदा कर सकता है।
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