नारायणपुर, अलवर – राजस्थान की धरती एक बार फिर नारी सशक्तिकरण की मिसाल बन गई है। ‘नारी उत्थान संस्था’ की अनूठी पहल और उमा रत्ना जी व खुशबू जी जैसी प्रेरणादायक महिलाओं के प्रयासों ने हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाया है। हमारी ग्राउंड रिपोर्ट सीधे नारायणपुर के उस केंद्र से है जहाँ यह आंदोलन आकार ले रहा है।

महिला शक्ति की असली तस्वीर: महाशक्ति मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी
साल 2015 में “महाशक्ति मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी” की शुरुआत महज 778 महिलाओं के साथ हुई थी। आज यह कंपनी 2200 से अधिक महिलाओं को रोजगार दे रही है। कंपनी का उद्देश्य था – महिलाओं को दूध के व्यवसाय में सीधा जोड़कर बिचौलियों से मुक्ति दिलाना और उचित मूल्य दिलवाना।
महिलाएं अब न केवल दूध संग्रहण केंद्र चला रही हैं, बल्कि दूध की टेस्टिंग, वेटिंग, लेबोरेटरी व बैंक संबंधी काम भी संभाल रही हैं। यह बदलाव सिर्फ आर्थिक नहीं, सामाजिक भी है – महिलाएं अब घर की चारदीवारी से निकलकर नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं।
खुशबू जी की कहानी – संघर्ष से सफलता तक
खुशबू जी ने शादी के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी, लेकिन नारी उत्थान संस्था से जुड़ने के बाद उन्होंने न केवल पढ़ाई पूरी की, बल्कि आज खुद को एक जिम्मेदार सामाजिक कार्यकर्ता और उद्यमी के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने बताया कि कैसे शुरू में परिवार ने विरोध किया, लेकिन धीरे-धीरे उनकी मेहनत ने परिवार व समाज का नजरिया बदल दिया।
राधा यादव – महिला नेतृत्व की मिसाल
राधा यादव, जो संस्था की शुरुआती सदस्यों में से हैं, आज दूध की टेस्टिंग यूनिट की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उन्होंने बताया कि कैसे शुरुआत में लोगों को भरोसा नहीं था कि महिलाएं यह काम कर पाएंगी, लेकिन आज वही महिलाएं खुद प्लांट चला रही हैं।
स्वच्छ भारत मिशन से जुड़ा नया अध्याय – टॉयलेट निर्माण में महिलाओं की भागीदारी
उमा रत्ना जी ने स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत एक नई पहल की। संस्था की महिलाओं ने न केवल टॉयलेट बनाने की मशीनें खरीदीं, बल्कि स्वयं टाइल्स और ब्लॉक निर्माण का काम शुरू किया। आज यह महिलाएं ऑर्डर पर टॉयलेट निर्माण करती हैं और अब तक 75000 से अधिक टॉयलेट बना चुकी हैं, जिससे कई गांव ओडीएफ घोषित हो चुके हैं।
सामाजिक कार्य से आत्मनिर्भरता तक – एक पूरा इकोसिस्टम
नारी उत्थान संस्था ने सिर्फ रोजगार नहीं दिया, बल्कि महिलाओं को आत्मसम्मान, शिक्षा, निर्णय लेने की क्षमता और नेतृत्व का अवसर दिया है। संस्था द्वारा चलाए जा रहे “अन्नपूर्णा कैंटीन”, “जलपान गृह”, और “इको टूरिज्म” जैसी योजनाएं ग्रामीण महिलाओं को सीधे मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था से जोड़ रही हैं।
निष्कर्ष:
नारी उत्थान संस्था, उमा रत्ना जी और उनकी टीम ने साबित कर दिया है कि अगर महिलाएं संगठित हों, तो वे समाज को बदलने की ताकत रखती हैं। यह पहल न सिर्फ अलवर बल्कि पूरे राजस्थान और भारत के लिए एक रोल मॉडल बन गई है।
- चूरू की जनता के प्यार पर बोले Rajendra Rathore, विरोधियों को दिया करारा जवाब
- शादी के 14 साल बाद बने थे जुड़वां बच्चों के पिता, हेलिकॉप्टर हादसे ने छीन ली जिंदगी
- जोधपुर से जयपुर तक गरमाया Resident Doctor विवाद, Nirmal Choudhary ने क्या कहा?
- बीकानेर में पीले पंजे की कार्रवाई पर NSUI अध्यक्ष रामनिवास कूकणा का विरोध प्रदर्शन
- बीकानेर में तांत्रिकों का खुला भंडाफोड़: झाड़-फूंक की आड़ में चल रहा था बड़ा खेल