छोटी सी मशीन से खेतों में पानी खोजने की नई तकनीक – किसानों के लिए बड़ी राहत
राजस्थान के नागौर जिले के पिपलाद गांव से एक सुखद खबर सामने आई है। अब एक छोटी सी मशीन से किसानों को उनके खेत में पानी कहां मिलेगा, इसकी सटीक जानकारी मिल सकती है। इस तकनीक ने सूखा प्रभावित इलाकों में खेती को आसान बनाने की नई राह खोली है।

किसानों का भरोसा जीत रही है नई तकनीक
पर्वतसर तहसील के पिपलाद गांव के किसान राजेंद्र जी ने इस नई मशीन का अनुभव साझा करते हुए बताया कि शुरुआत में गांव के लोग भी इस तकनीक पर संदेह कर रहे थे। उन्हें लगता था कि “मशीन वाले” बस धोखाधड़ी करते हैं। लेकिन जब राजेंद्र जी ने श्रीश्याम टेक्नो सर्विस कंपनी से संपर्क कर इस तकनीक को आजमाया, तो उन्हें शानदार परिणाम मिले।
राजेंद्र जी बताते हैं कि उन्होंने अब तक लगभग 700 से ज्यादा खेतों में चेकअप किए हैं और जहां-जहां बोरवेल करवाए गए, वहां 100% सफलता मिली है।
मशीन कैसे करती है काम?
यह मशीन आधुनिक डिटेक्शन टेक्नोलॉजी से काम करती है। इसके जरिये खेत की जमीन में चार प्रकार की जांच की जाती है:
- सबसे ज्यादा पानी वाला क्षेत्र पता करना।
- 1500 फीट तक पानी का स्तर और बहते पानी की पहचान।
- खारे या मीठे पानी की जांच।
- पानी की परतें और गहराई की सटीक जानकारी।
इस मशीन की गहराई तक जांचने की क्षमता 500 मीटर (लगभग 1640 फीट) तक है और फिट बाय फिट रिपोर्ट तैयार की जाती है।
खारा और मीठा पानी भी जांचा जाता है
राजस्थान के कई क्षेत्रों जैसे चूरू और जोधपुर में खारे पानी की समस्या अधिक देखने को मिलती है। इस मशीन के जरिए किसानों को पहले ही बता दिया जाता है कि उनके खेत में मीठा पानी मिलेगा या खारा, जिससे उन्हें बोरवेल करने से पहले सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।
पूरी प्रक्रिया और गारंटी
राजेंद्र जी ने बताया कि किसान केवल अपना पता भेजकर सर्वे बुक कर सकते हैं। सर्वे के दौरान लगभग 50-60% जानकारी उसी समय दी जाती है और 24 घंटे के अंदर फाइनल जियोलॉजिकल रिपोर्ट भी उपलब्ध करवा दी जाती है।
कंपनी पूरी तरह रजिस्टर्ड है और GST बिल भी प्रदान करती है। अगर किसी खेत में पानी नहीं मिलता, तो कंपनी किसानों को पूरे पैसे वापस कर देती है। यह पारदर्शिता किसानों के बीच इस तकनीक के प्रति भरोसा बढ़ा रही है।
किसानों के अनुभव
कई किसानों ने बताया कि शुरू में उन्हें भी शक था, लेकिन मशीन द्वारा बताए गए स्थान पर जब बोरवेल कराया गया तो अच्छा खासा पानी मिला। एक किसान ने बताया कि उन्होंने पहले तीन-चार ट्यूबवेल कराए थे, जिनमें काफी पैसा बर्बाद हुआ। लेकिन इस नई तकनीक से सही जगह पर बोरवेल कर पानी प्राप्त किया और पैसा भी बचाया।

संपर्क कैसे करें?
राजेंद्र जी की टीम राजस्थान के किसी भी जिले और गांव में जाकर खेतों का सर्वे कर सकती है। किसान WhatsApp या कॉल के जरिए संपर्क कर सकते हैं। संपर्क नंबर और अन्य विवरण ‘Jhalko Rajasthan’ के डिस्क्रिप्शन में उपलब्ध हैं।
निष्कर्ष:
राजस्थान जैसे सूखा प्रभावित राज्य में इस प्रकार की आधुनिक तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। इससे न केवल उनके समय और पैसे की बचत हो रही है, बल्कि खेती में सफलता की उम्मीद भी बढ़ रही है।
‘Jhalko Rajasthan’ आप सभी किसानों से अपील करता है कि इस तकनीक के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करें और अपने खेतों के लिए सही निर्णय लें।
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