राजस्थान की कठपुतली कला पर मंडराया संकट
राजस्थान की प्राचीन कला कठपुतली आज अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। कलाकारों का मानना है कि बॉलीवुड फिल्मों में कठपुतली को भूतिया दिखाने के कारण लोग इसे अब भूतों से जुड़ी चीज़ मानने लगे हैं। जयपुर के कठपुतली नगर के कलाकारों ने इस पर अपनी चिंता जताई है।

बॉलीवुड की गलती या समाज की सोच?
कठपुतली कलाकारों का कहना है कि बॉलीवुड की पहली फिल्म में कठपुतली को भूतों से जोड़ दिया गया था, जिससे उनके पारंपरिक व्यवसाय को नुकसान हुआ है। जब भी वे अपने कठपुतली शो की बात करते हैं, लोग इसे भूतिया मानकर दूर भाग जाते हैं। कलाकारों का कहना है कि यह उनकी रोज़ी-रोटी पर सीधा असर डाल रहा है।
कठपुतली: मनोरंजन का पुराना माध्यम
कठपुतली कला राजस्थान की प्राचीन धरोहर है। यह सिर्फ एक मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि राजा-महाराजाओं के समय से चली आ रही सांस्कृतिक परंपरा है। कठपुतली नृत्य और लोकगीतों के माध्यम से कहानियां सुनाई जाती हैं। जयपुर का कठपुतली नगर इस कला का प्रमुख केंद्र रहा है।
कला से रोजगार पर असर
कठपुतली कलाकारों के अनुसार, बॉलीवुड की फिल्मों में इसे भूतों से जोड़ने के कारण उनकी कला को अपमानजनक तरीके से दिखाया गया। पहले लोग शौक से कठपुतलियां खरीदते थे, लेकिन अब उन्हें भूतिया समझकर नकार दिया जाता है। इससे कलाकारों की आय पर सीधा प्रभाव पड़ा है।
कला को बचाने की जरूरत
कलाकारों ने मांग की है कि सरकार इस कला को बढ़ावा देने के लिए कठपुतली शो को प्रमोट करे। उनका कहना है कि यदि सही मंच मिले, तो वे कठपुतली के माध्यम से जागरूकता अभियान चला सकते हैं। कैंसर जागरूकता, नशा मुक्ति, और सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी कठपुतली शो के माध्यम से किया जा सकता है।
जयपुर के कठपुतली नगर की स्थिति
जयपुर का कठपुतली नगर इस कला का गढ़ माना जाता है, लेकिन आज यहां के कलाकारों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नशे की बढ़ती प्रवृत्ति, बुनियादी सुविधाओं की कमी, और सरकार की उपेक्षा इस क्षेत्र के विकास में बाधा बन रही हैं।
कला संरक्षण के लिए उठाए जाएं कदम
कठपुतली कलाकारों ने अपील की है कि सरकार उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करे और कला के प्रचार-प्रसार के लिए कदम उठाए। वे चाहते हैं कि उन्हें सीधा काम मिले, जिससे बिचौलियों को हटाकर वे अपनी कला को सही मूल्य पर बेच सकें। साथ ही, सरकार कठपुतली थिएटर स्थापित कर इस पारंपरिक कला को संरक्षित करने की दिशा में कार्य करे।
निष्कर्ष
राजस्थान की कठपुतली कला आज संकट में है और इसे बचाने की सख्त जरूरत है। बॉलीवुड फिल्मों में इसे भूतिया दिखाने की वजह से लोग इस कला से दूर होते जा रहे हैं। अब समय आ गया है कि सरकार, समाज और मीडिया मिलकर इस कला को संजोएं ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस अद्भुत लोककला का आनंद उठा सकें।