जोधपुर। राजस्थान की जीवनदायिनी कही जाने वाली जोजरी नदी आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। कभी निर्मल जल से भरी बहने वाली यह नदी आज औद्योगिक इकाइयों के जहरीले कचरे से प्रदूषित हो चुकी है। इस जहरीले पानी ने नदी के किनारे बसे गांवों के जीवन को नर्क बना दिया है। डोली गांव इसका जीता जागता उदाहरण है, जहां पिछले 20 सालों से ग्रामीण इस समस्या से जूझ रहे हैं।
जहरीले पानी से तबाह हुई जिंदगियां
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डोली गांव के हालात बेहद चिंताजनक हैं। यहां का पानी इतना दूषित हो चुका है कि लोगों के घरों में रहना मुश्किल हो गया है। बदबू और बीमारियों ने ग्रामीणों का जीना दूभर कर दिया है। किसान अपनी खेती नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि जहरीले पानी से उनकी जमीन बंजर हो गई है। पशुधन भी इस प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनके मवेशी बीमार पड़ रहे हैं और दूध नहीं दे रहे हैं।
मंदिर भी हुआ प्रदूषित
इस जहरीले पानी ने डोली गांव के प्राचीन बाबा रामदेव मंदिर को भी अपनी चपेट में ले लिया है। मंदिर का पानी इतना दूषित हो गया है कि वहां पूजा-पाठ करना भी मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार इस समस्या के बारे में प्रशासन और नेताओं को अवगत कराया, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली।
चुनाव आते हैं, वादे किए जाते हैं, फिर सब भूल जाते हैं
ग्रामीणों का आरोप है कि चुनाव के समय नेता आते हैं और बड़े-बड़े वादे करके जाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद सब भूल जाते हैं। उन्होंने कई बार धरना-प्रदर्शन भी किए, लेकिन उनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है। ग्रामीणों ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक अपनी बात पहुंचाने की गुहार लगाई है, ताकि उनकी समस्या का समाधान हो सके।
क्या है ग्रामीणों की मांग?
ग्रामीणों की मांग है कि जोजरी नदी में औद्योगिक इकाइयों द्वारा छोड़े जा रहे जहरीले कचरे को रोका जाए। उन्होंने नदी को साफ करने और उनके गांव को प्रदूषण से मुक्त करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं हुईं तो वे आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
क्या होगा इसका परिणाम?
अगर जोजरी नदी के प्रदूषण को नहीं रोका गया तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यह न केवल डोली गांव के लोगों के जीवन को तबाह कर देगा, बल्कि आसपास के अन्य गांवों को भी प्रभावित करेगा। इसके साथ ही, यह पर्यावरण के लिए भी एक बड़ा खतरा होगा।
कौन है जिम्मेदार?
इस समस्या के लिए औद्योगिक इकाइयों के साथ-साथ प्रशासन भी जिम्मेदार है। औद्योगिक इकाइयों को नियमों का पालन करना चाहिए और जहरीले कचरे को नदी में नहीं छोड़ना चाहिए। वहीं, प्रशासन को भी इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
क्या है समाधान?
इस समस्या का समाधान तभी हो सकता है जब सभी stakeholders मिलकर काम करें। औद्योगिक इकाइयों को पर्यावरण के अनुकूल तकनीक का उपयोग करना चाहिए और कचरे को ट्रीट करने के बाद ही नदी में छोड़ना चाहिए। प्रशासन को नियमों का सख्ती से पालन करवाना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही, ग्रामीणों को भी जागरूक होना चाहिए और अपनी आवाज उठानी चाहिए।
निष्कर्ष
जोजरी नदी का प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, जिसका समाधान जरूरी है। अगर इस समस्या को नहीं सुलझाया गया तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। झलको राजस्थान इस मामले को प्रमुखता से उठा रहा है और ग्रामीणों की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। हमें उम्मीद है कि सरकार इस मामले में जल्द कार्रवाई करेगी और ग्रामीणों को न्याय दिलाएगी।
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