गुड़ा बावनी, झुंझुनूं। झुंझुनूं जिले के गुड़ा बावनी गांव में हाल ही में हुई भीषण ओलावृष्टि ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। खेतों में खड़ी तरबूज, प्याज, मिर्च, बैंगन जैसी नगदी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं। किसानों के मुताबिक यह तबाही इतनी भयावह थी कि ओले इंसानी मुट्ठी से भी बड़े आकार के थे और खेतों में एक-एक फुट तक बर्फ जमा हो गई। इस प्राकृतिक प्रकोप ने न सिर्फ फसलें नष्ट कीं, बल्कि कई पशु-पक्षियों की जान भी ले ली।
50 लाख रुपये तक के नुकसान की आशंका

किसानों का कहना है कि कई परिवारों ने एक-एक बीघा में 2 से 3 लाख रुपये तक का निवेश किया था। केवल प्याज की खेती में ही बीज, खाद, दवा और सिंचाई पर भारी खर्च हुआ। अब फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है, जिससे लागत का मात्र 10% भी वसूल नहीं हो पाएगा।
एक किसान ने बताया, “मैंने प्याज की खेती में 5 लाख रुपये का खर्च किया था, लेकिन अब पूरा खेत उजड़ गया है। बीज वाला, खाद वाला, डॉक्टर – सभी का उधार है। अब चुकाना कैसे होगा?”
तरबूज, मिर्च और बैंगन की फसलें भी तबाह
ग्राउंड रिपोर्ट में देखा गया कि खेतों में तैयार तरबूज पूरी तरह फट चुके हैं, मिर्च और बैंगन की पौध भी टूट कर गिर गई है। किसान बता रहे हैं कि तरबूज को अगले दिन बेचने की तैयारी थी, लेकिन रात में आई आफत ने सबकुछ खत्म कर दिया।
प्रशासन पर गंभीर सवाल
किसानों का आरोप है कि घटना के 24 घंटे बाद तक भी कोई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। न तहसीलदार, न पटवारी और न ही गिरदावर ने क्षेत्र का दौरा किया। लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द सर्वे और मुआवजे की घोषणा नहीं हुई तो वे सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।
एक बुजुर्ग किसान ने कहा, “मैं 78 साल का हूं, लेकिन ऐसा कहर पहले कभी नहीं देखा। मेहनत की सब्जियां यूं ही सड़ रही हैं और कोई पूछने वाला नहीं है।”
क्या कहता है प्रशासन?
कलेक्टर से बात के बाद स्थानीय अधिकारियों की टीम भेजने का आश्वासन दिया गया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि जब तक अधिकारी खुद मौके पर नहीं आएंगे, तब तक भरोसा नहीं हो सकता। किसान अब सरकार से तत्काल राहत और 100% मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
आंदोलन की चेतावनी
गांववालों ने चेतावनी दी है कि अगर 4 बजे तक प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो वे थाने का घेराव और सड़क जाम करेंगे। “हम मरते किसान हैं, लेकिन अब और चुप नहीं रहेंगे,” एक किसान ने कहा।
निष्कर्ष: झुंझुनूं जिले में ओलावृष्टि ने किसानों की मेहनत को पूरी तरह तबाह कर दिया है। अब सवाल यह है कि प्रशासन इस त्रासदी पर कितनी संवेदनशीलता और तत्परता से प्रतिक्रिया देता है।
