जयपुर: स्वच्छ भारत अभियान की सच्चाई ज़मीन पर
राजस्थान की राजधानी जयपुर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयां करती है। स्वच्छ भारत अभियान, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में देशभर में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया था, आज जयपुर में सवालों के घेरे में है

सार्वजनिक स्थानों की बदहाली
जयपुर के कई इलाकों में कचरे के ढेर खुले में पड़े हैं। सड़क किनारे लगे कूड़ेदान ओवरफ्लो हो चुके हैं, लेकिन नगर निगम की सफाई व्यवस्था सिर्फ कागजों पर ही सजी दिखाई देती है। खासकर परकोटा क्षेत्र, सांगानेर रोड, झोटवाड़ा और शास्त्री नगर जैसे इलाकों में गंदगी के कारण आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
वीडियो में सामने आई असलियत
Jhalko Rajasthan को प्राप्त वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह से नालियां गंदगी से भरी पड़ी हैं। स्थानीय लोग बदबू और मच्छरों से परेशान हैं, लेकिन सफाईकर्मी मौके पर नहीं दिखते। वहीं, नगर निगम के अधिकारी सिर्फ शिकायत लेने तक सीमित हैं, कार्रवाई कहीं नजर नहीं आती।
स्थानीय नागरिकों का रोष
स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। एक बुजुर्ग नागरिक ने बताया, “स्वच्छ भारत अभियान के तहत हमने सोचा था कि कम से कम साफ-सफाई तो सुधरेगी, लेकिन हालात तो पहले से भी खराब हो गए हैं।”
जिम्मेदार कौन?
यह सवाल हर जयपुरवासी के मन में है कि जब सरकार करोड़ों रुपए स्वच्छता अभियान पर खर्च कर रही है, तो फिर शहर के हालात क्यों नहीं बदल रहे? क्या ये सिस्टम की नाकामी है या ज़िम्मेदार अफसरों की लापरवाही?
गंदगी से स्वास्थ्य पर असर
गंदगी के कारण मच्छरजनित बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। डेंगू, मलेरिया और त्वचा रोगों के केस लगातार सामने आ रहे हैं। जयपुर के एक निजी अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि पिछले दो महीनों में गंदगी के कारण बीमारियों में 30% तक बढ़ोतरी देखी गई है।
युवाओं ने उठाई आवाज
Jhalko Rajasthan की टीम से बात करते हुए कुछ स्थानीय युवाओं ने बताया कि वे खुद मोहल्ले में सफाई अभियान चला रहे हैं। उन्होंने नगर निगम और स्थानीय प्रशासन से आग्रह किया है कि वे भी इस मुहिम में सक्रिय भागीदारी निभाएं।
नगर निगम की प्रतिक्रिया
जब इस मुद्दे पर नगर निगम के एक अधिकारी से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि सफाईकर्मियों की संख्या कम है और संसाधनों की भी कमी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही कचरा निस्तारण और सफाई व्यवस्था को और प्रभावी बनाया जाएगा।
निष्कर्ष: क्या यही है स्मार्ट सिटी जयपुर?
जयपुर जैसे ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल के लिए गंदगी की ये तस्वीरें न केवल शर्मनाक हैं, बल्कि सरकार के स्वच्छ भारत जैसे अभियानों की विफलता को भी दर्शाती हैं। जरूरत है कि स्थानीय प्रशासन केवल योजनाओं की घोषणाएं न करे, बल्कि ज़मीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई भी करे।

Jhalko Rajasthan की अपील
Jhalko Rajasthan टीम प्रशासन से अपील करती है कि जयपुर जैसे शहर को गंदगी के ढेर में न बदलने दे। नागरिकों की सहभागिता जरूरी है, लेकिन जब तक सिस्टम जवाबदेह नहीं बनेगा, तब तक कोई भी अभियान सिर्फ एक प्रचार बनकर रह जाएगा।
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