होली का त्यौहार पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन जब बात जयपुर के आराध्य देव गोविंद देव जी की होली की हो, तो यह उत्साह दोगुना हो जाता है। हर साल हजारों भक्त इस भव्य आयोजन में शामिल होते हैं, जहां फूलों की होली खेली जाती है। इस साल भी गोविंद देव जी मंदिर में होली के अनोखे रंग बिखरे और श्रद्धालुओं ने भगवान के साथ रंगों का यह पावन पर्व मनाया।

फूलों की होली का भव्य आयोजन
जयपुर में गोविंद देव जी मंदिर की होली बेहद खास होती है। यहाँ गुलाल और रंगों के बजाय फूलों की वर्षा की जाती है। मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। श्रद्धालु सुबह से ही भक्ति भाव में लीन होकर नाचते-गाते हुए इस पावन अवसर का आनंद उठा रहे थे। मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया गया था, जहां फूलों की होली ने माहौल को भक्तिमय बना दिया।
भक्तों की उमड़ी भीड़ और उत्साह
हर साल गोविंद देव जी के साथ होली खेलने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। भक्तों ने बताया कि यहां आकर उन्हें एक अद्भुत अनुभव होता है, जो शब्दों में बयां करना मुश्किल है। कुछ भक्तों ने बताया कि वे हर साल इस आयोजन में शामिल होते हैं और इसे अपने जीवन का अनिवार्य हिस्सा मानते हैं।
भजनों और नृत्य से सजी होली
होली के इस आयोजन में भक्ति संगीत और नृत्य का विशेष महत्व होता है। भक्तों ने “बाबा श्याम के दरबार में होली रे…” जैसे सुंदर भजन गाकर माहौल को भक्तिमय बना दिया। इसके साथ ही रंगों और फूलों से सराबोर भक्त गोविंद देव जी की स्तुति में नृत्य करते नजर आए।
फाग महोत्सव और जयपुर की खास परंपरा
जयपुर में होली की शुरुआत शिवरात्रि से ही हो जाती है, जिसे ‘फाग महोत्सव’ के नाम से जाना जाता है। इस दौरान मंदिरों में विशेष अनुष्ठान और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। जयपुरवासियों के लिए गोविंद देव जी के साथ होली खेलना परंपरा का हिस्सा बन चुका है।
भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण
कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से गोविंद देव जी के दरबार में आते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यही कारण है कि हर साल हजारों भक्त इस अवसर का हिस्सा बनने के लिए उमड़ पड़ते हैं।
मथुरा-वृंदावन जैसी अनुभूति
जयपुर की होली का रंग देखकर कई भक्तों ने इसकी तुलना मथुरा-वृंदावन की होली से की। मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं ने कहा कि जयपुर में भी होली का वही दिव्य अनुभव मिलता है, जो वृंदावन और बरसाने में देखने को मिलता है।
होली के रंग में रंगे भक्तों का संदेश
मंदिर में होली खेल रहे भक्तों ने सभी को प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। उनका कहना था कि होली का त्यौहार सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि आपसी द्वेष को मिटाने और प्रेम बढ़ाने का पर्व है।
निष्कर्ष
जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर में हर साल होने वाली होली सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और आनंद का संगम है। यदि आपने अब तक इस अनोखी होली का अनुभव नहीं किया है, तो अगले साल जरूर शामिल हों और भगवान गोविंद देव जी के साथ फूलों की होली का आनंद लें।
