भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद और सीमा पर तनाव को लेकर चल रहे घटनाक्रम में अब एक नया मोड़ आ गया है। जहां एक तरफ भारत सरकार और सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए आतंक के खिलाफ कार्रवाई की है, वहीं दूसरी ओर सीजफायर के फैसले को लेकर कांग्रेस ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष ने इस फैसले पर विशेष संसद सत्र बुलाने की मांग की है।

सरकार के फैसले पर कांग्रेस का विरोध
भारतीय सेना की पाकिस्तान में जवाबी कार्रवाई से देश भर में सरकार और सेना को भरपूर समर्थन मिला। लेकिन सीजफायर की घोषणा के बाद कांग्रेस ने सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या अब भारत ने कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष को स्वीकार कर लिया है? कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री से लोकसभा का विशेष सत्र बुलाकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
ट्रंप की दखल पर कांग्रेस का सवाल
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बाद यह सीजफायर लागू हुआ है। पार्टी का यह भी कहना है कि अगर भारत ने शिमला समझौते को दरकिनार करते हुए किसी तीसरे देश को कश्मीर मुद्दे पर दखल देने दिया है, तो यह एक गंभीर रणनीतिक चूक है। कांग्रेस ने सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है कि किन शर्तों के आधार पर सीजफायर किया गया।
बीजेपी का पलटवार: पाकिस्तान झुका, भारत की जीत
बीजेपी नेताओं का दावा है कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है और पाकिस्तान को झुकने पर मजबूर किया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई सैन्य अड्डों को निशाना बनाया, जिससे नूर खान एयरबेस को भारी नुकसान हुआ। बीजेपी का कहना है कि यह भारत की रणनीतिक सफलता है और इसका परिणाम पाकिस्तान को लंबे समय तक झेलना होगा।
विपक्ष की एकजुटता और जनता का आक्रोश
हालांकि सरकार के फैसले के पीछे कूटनीतिक मजबूरी हो सकती है, लेकिन विपक्ष यह मानने को तैयार नहीं है। राजस्थान सहित कई राज्यों में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सीजफायर के फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। विपक्ष का तर्क है कि जब पूरा देश और विपक्ष सरकार और सेना के साथ खड़ा है, तो अचानक सीजफायर क्यों किया गया? क्या यह आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति में बदलाव का संकेत है?
इंदिरा गांधी के फैसलों की तुलना
कांग्रेस नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सशक्त निर्णयों की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि जब 1971 में इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था, तब किसी तीसरे पक्ष की कोई जरूरत नहीं पड़ी थी। आज जब भारत की सेना मजबूत है और जनता सरकार के साथ है, तब सीजफायर का फैसला समझ से परे है।
पहलगाम हमले के बाद देश में गुस्सा
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया। निर्दोष पर्यटकों की हत्या के बाद सरकार ने सख्त कदम उठाए और एयरफोर्स को ऑपरेशन सिंदूर जारी रखने का निर्देश दिया। लेकिन सीजफायर के ऐलान के बाद लोगों में गुस्सा और भ्रम दोनों देखने को मिल रहे हैं।