होली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे रंगों, उल्लास और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है। राजस्थान में होली मनाने का एक अलग ही अंदाज है, जहां लोग बड़कुले जलाने की परंपरा को निभाते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि बड़कुले जलाने का क्या महत्व है और आखिर होली क्यों मनाई जाती है?

हमने राजस्थान की जनता से इस बारे में सवाल किए, जिनके मजेदार जवाब आपको भी हैरान कर देंगे!
होली क्यों मनाते हैं? जानिए जनता की राय
हमारी टीम ने जब राजस्थान के विभिन्न इलाकों में लोगों से सवाल किया कि होली क्यों मनाई जाती है? तो कुछ ने इसे अपनी पसंद बताया, तो कुछ ने पौराणिक मान्यताओं का जिक्र किया।
1. प्रह्लाद और होलिका की कथा
“प्रह्लाद जी की बुआ होलिका उन्हें गोद में लेकर बैठी थी, ताकि वह जल जाए, लेकिन भगवान की कृपा से वह बच गए और होलिका जल गई। इसलिए हम होली मनाते हैं।” – राधिका जी
“प्रह्लाद जी बहुत बड़े भगवान विष्णु के भक्त थे। उनके पिता हिरण्यकशिपु ने उन्हें मारने के लिए कई उपाय किए, लेकिन भगवान ने उनकी रक्षा की। इसलिए यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।” – विजयलक्ष्मी जी
2. होली सिर्फ इसलिए मनाते हैं क्योंकि यह पसंदीदा त्योहार है!
“होली मेरा फेवरेट है, इसलिए मनाते हैं!” – सोना जी
“हम बचपन से मनाते आ रहे हैं, इसलिए अब भी मनाते हैं!”
कुछ लोगों ने तो सटीक उत्तर देने के बजाय टालने की कोशिश की, लेकिन मजेदार जवाबों ने माहौल को और भी रंगीन बना दिया!
बड़कुले जलाने की परंपरा: आखिर क्यों जलाए जाते हैं?
राजस्थान में होली के दिन बड़कुले जलाने की परंपरा है। लेकिन जब हमने पूछा कि बड़कुले क्यों जलाए जाते हैं? तो बहुत कम लोगों को इसकी सटीक जानकारी थी।
“हमारी लोकल लैंग्वेज में इसे ‘बबु’ बोलते हैं।”
“बड़कुले देसी गाय के गोबर से बनाए जाते हैं, और इन्हें होलिका दहन के दौरान जलाया जाता है।”

बड़कुले जलाने का महत्व:
- ऐसा माना जाता है कि बड़कुले जलाने से घर और समाज की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- यह शुद्धिकरण की प्रक्रिया है, जिससे सकारात्मकता का संचार होता है।
- इसे परिवार के सुख-समृद्धि के लिए भी किया जाता है।
कुछ लोगों ने यह भी कहा कि यह परंपरा भाई की लंबी उम्र के लिए निभाई जाती है।
महिलाओं से खास बातचीत: क्या उन्हें होली का महत्व पता है?
होली सिर्फ रंगों और मस्ती का त्यौहार नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। हमने महिलाओं से विशेष बातचीत की और जाना कि वे इस त्योहार के बारे में क्या सोचती हैं।
“हमारे यहां होली के दिन छोटे बच्चों को घर से बाहर नहीं निकालते, क्योंकि मान्यता है कि यह बुरी शक्तियों से बचाने का दिन होता है।” – मैना देवी
“दशा माता की पूजा भी इसी समय होती है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे।”
“होलिका दहन में जो राख बचती है, उसे माथे पर लगाने से शुभता मिलती है।”
लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी भी थीं जिन्हें होली के पौराणिक कारणों की ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन वे इसे खुशी और उमंग का त्योहार मानती हैं।
होली पर मस्ती, लेकिन पान-मसाला से परहेज!
त्योहारों में मस्ती हो, लेकिन सेहत का भी ध्यान रखना जरूरी है। बातचीत के दौरान हमने देखा कि कुछ लोग होली के नाम पर पान-मसाला खाने का समर्थन कर रहे थे। इस पर एक महिला का कहना था –
“होली खेलिए, लेकिन सेहत का ध्यान भी रखिए। पान-मसाला जैसी चीजों से बचिए!”
निष्कर्ष: होली सिर्फ त्योहार नहीं, संस्कृति का प्रतीक है
होली का धार्मिक महत्व: यह प्रह्लाद की भक्ति और होलिका की हार की कहानी से जुड़ा है।
बड़कुले जलाने की परंपरा: यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और परिवार की समृद्धि के लिए किया जाता है।
महिलाओं की विशेष भागीदारी: इस दिन छोटे बच्चों को बुरी नजर से बचाने और दशा माता की पूजा करने की परंपरा है।
मस्ती, लेकिन संयम जरूरी: त्योहारों का आनंद लें, लेकिन स्वास्थ्य और संस्कारों को भी बनाए रखें।
अब बारी आपकी!
क्या आप जानते थे कि बड़कुले जलाने की यह परंपरा क्यों निभाई जाती है? हमें कमेंट में बताएं और यह खबर अपने दोस्तों के साथ शेयर करें!