हनुमानगढ़, राजस्थान।
पाकिस्तान से भारत आए हिंदू शरणार्थियों की हालत को लेकर एक बार फिर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। हनुमानगढ़ के वार्ड 57 में रह रहे लगभग 20-25 पाकिस्तानी हिंदू परिवारों ने खुलकर पाकिस्तान में अपने ऊपर हुए अत्याचारों की दर्दभरी कहानी सुनाई है। इन परिवारों का कहना है कि वे “मर तो जाएंगे, पर वापस पाकिस्तान नहीं जाएंगे।”

पाकिस्तान से तीर्थयात्रा वीजा पर भारत आए इन लोगों ने बताया कि वहाँ बेटियों को उठाकर ले जाया जाता है, बच्चों को जबरन इस्लाम कबूल करवाया जाता है, और हिंदुओं की कोई इज्जत नहीं होती। एक महिला ने रोते हुए कहा, “बेटे से भी जुल्म होता है, बच्चों से भी जुल्म होता है।”
घर-बार छूटा, पर भारत में मिला अपनापन
इन परिवारों ने बताया कि पाकिस्तान में उनके घरों पर कब्जा कर लिया गया है। कई लोगों ने कहा कि उनके पास अब वहाँ लौटने के लिए कुछ भी नहीं बचा। एक व्यक्ति ने बताया, “रातों-रात हमारे घरों पर कब्जा कर लिया गया। अब वहाँ जाएंगे तो ज़िंदा जला देंगे।”
यह भी सामने आया कि पाकिस्तान में हिंदू बच्चों को स्कूलों में कलमा पढ़ने पर मजबूर किया जाता है, जिसके कारण इन परिवारों ने बच्चों को स्कूल भेजना ही बंद कर दिया। “पढ़ाई का नाम ही नहीं है वहाँ,” एक महिला ने कहा।
सरकार से अपील: वापस न भेजा जाए
पहलवामा आतंकी हमले के बाद भारत सरकार द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया की खबरें इन परिवारों के लिए डर का कारण बन गई हैं। उनका साफ कहना है कि अगर वापस भेजा गया तो वे सड़कों पर मर जाना पसंद करेंगे लेकिन पाकिस्तान नहीं लौटेंगे।
इनका आग्रह है कि भारत सरकार उन्हें यहीं बसने दे और भारतीय नागरिकता प्रदान करे। “मोदी जी हमारे अपने हैं, हम पर जुल्म न करें,” यह भावुक अपील हर पीड़ित के शब्दों में दिखी।
भारत में संघर्ष जारी, लेकिन उम्मीद जिंदा
भारत में रहने के बावजूद ये लोग अभी भी रोज़गार और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कई लोग मजदूरी और खेती-बाड़ी के छोटे-मोटे काम करके जीवन यापन कर रहे हैं। लेकिन फिर भी उनका कहना है कि जितना सुकून भारत में मिला है, उतना कभी पाकिस्तान में नहीं मिला।
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