जयपुर, राजस्थान: राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने जयपुर में आयोजित “युवा आक्रोश महारैली” में एक बार फिर हुंकार भरी। इस दौरान उन्होंने जहां बीजेपी और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला, वहीं गजेंद्र सिंह खींवसर की मूंछों पर तंज कसते हुए माफियाओं को भी सख्त चेतावनी दी। बेनीवाल ने साफ किया कि वे भ्रष्टाचार और अपराध को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे और इस लड़ाई को सड़कों से संसद तक लड़ेंगे।

युवा आक्रोश रैली: सरकार पर सीधा हमला
हनुमान बेनीवाल ने अपने ओजस्वी भाषण की शुरुआत युवाओं के जोश की तारीफ करते हुए की। उन्होंने कहा, “भाइयों, आज आपका उबाल देखकर तो मेरा मन कर रहा है कि मैं आपको लेकर भजन लाल के घर की तरफ चलूं। लेकिन भजन लाल आज यहां है नहीं, दिल्ली गए हुए हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका संघर्ष किसी राजनीतिक फायदे के लिए नहीं, बल्कि छात्रों और युवाओं की पीड़ा के लिए है। छात्र संघ के माध्यम से राजनीति में आए बेनीवाल ने कहा कि जब कोई बच्चा उनके पास आकर रोता है और पूछता है कि “हम जाएं तो किसके पास जाएं?”, तब वे उनकी पीड़ा को अपने गले का हार बनाकर सड़कों पर और संसद में लड़ते हैं।
माफिया और हार्ड कोर अपराधियों को चेतावनी
बेनीवाल ने राजस्थान में सक्रिय माफियाओं और हार्ड कोर अपराधियों को सीधी चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “मैं उन हार्ड कोर अपराधियों के खिलाफ लड़ता हूं। उन माफियाओं के खिलाफ लड़ता हूं। जान हथेली पर रखकर अपने छोटे भाइयों के सम्मान को ठेस नहीं लगे इसके लिए लड़ रहा हूं।” उन्होंने वादा किया कि आने वाले समय में माफियाओं को छिपने की जगह नहीं मिलेगी और वे बिलों में घुस जाएंगे। बेनीवाल ने उस मां की आवाज बनने का दावा किया जो खेत बेचकर बेटे को पढ़ा रही है, और उस नौजवान की जो भूखे पेट कोचिंग में बैठकर भी हार नहीं मानता।
गजेंद्र सिंह खींवसर की मूंछों पर तंज
खींवसर उपचुनाव में अपनी पत्नी की हार का जिक्र करते हुए हनुमान बेनीवाल ने गजेंद्र सिंह खींवसर पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा, “अगर मैं खींवसर में जीत जाता तो गजेंद्र सिंह की मूछ कटवानी पड़ती और मैं हार गया, इसलिए मूछ पर ताव दे रहा है।” उन्होंने इस हार को अपनी नहीं, बल्कि “भोले-भाले लोगों की कमजोरी” बताया। यह बयान खींवसर चुनाव प्रचार के दौरान गजेंद्र सिंह खींवसर द्वारा दी गई उस चुनौती के जवाब में था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर बीजेपी खींवसर से हारती है तो वे अपनी मूंछें मुंडवा लेंगे।
कांग्रेस-बीजेपी पर साधा निशाना: ‘खाओ और खाने दो’ बनाम ‘खाओ और घुर रहो’
बेनीवाल ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, “कांग्रेस का नारा है खाओ और खाने दो। और बीजेपी का नारा है खाओ और घुर रहो।” उन्होंने दोनों पार्टियों को “सांपनाथ और नागनाथ” की संज्ञा दी। बेनीवाल ने यह भी बताया कि जब वे बीजेपी में थे, अटल बिहारी वाजपेयी की रैली में उनका नाम माला में डालने से मना कर दिया गया था क्योंकि वे किसी पद पर नहीं थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आरएलपी में हर नौजवान को आगे बढ़ने का मौका मिलता है, चाहे वह किसी भी समाज से हो।
तेजाजी और क्रांतिकारियों की विरासत
हनुमान बेनीवाल ने अपनी पहचान को वीर तेजाजी महाराज, महाराजा सूरजमल, रामसा पीर, देवनारायण भगवान, भगत सिंह और गोकुला जाट जैसे क्रांतिकारियों की विरासत से जोड़ा। उन्होंने कहा कि उनके घर और ऑफिस में किसी राजनीतिक नेता की नहीं, बल्कि इन्हीं महान विभूतियों की तस्वीरें मिलेंगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका कोई आलाकमान नहीं है, बल्कि राजस्थान के किसान और छोटे भाई ही उनके आलाकमान हैं।
आंदोलन की चेतावनी: ‘आज मंच है कल विधानसभा घेरेंगे’
बेनीवाल ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तेज होगा। उन्होंने कहा, “आज रैली जयपुर के अंदर है। कल आंदोलन हर जिले, हर गांव के अंदर होगा। आज मंच है, कल विधानसभा को घेरेंगे। याद रखो जब युवा सड़कों पर उतरा है तो सरकारें हिल जाती है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके पास लाखों नौजवानों का समर्थन है जो राजस्थान और पूरे देश से अपने साधनों से उन्हें आशीर्वाद देने आए हैं, और अगर कल चुनाव हो तो वे इतना वोट डालेंगे कि दोनों पार्टियां बहुत पीछे रह जाएंगी।
जातिवाद पर बेनीवाल का स्टैंड
जातिवाद के मुद्दे पर हनुमान बेनीवाल ने कहा कि जब भी राजस्थान में जातिवाद चरम सीमा पर था (जैसे जाट-राजपूत या गुर्जर-मीणा संघर्ष), वे हमेशा बीच में आए और भाईचारा बनाए रखने का प्रयास किया। उन्होंने आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात भी दोहराई और कहा कि 2016 की हुंकार रैली में उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था।
यह रैली बेनीवाल के राजनीतिक सफर में एक और महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई, जहां उन्होंने अपनी पार्टी की ताकत और अपनी बेबाक शैली का प्रदर्शन किया। आने वाले समय में देखना होगा कि इस “आक्रोश रैली” का सरकार पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या हनुमान बेनीवाल राजस्थान की राजनीति में अपनी पकड़ और मजबूत कर पाएंगे।

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