जयपुर/नागौर, 21 मई 2025 –
राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल के हालिया बयान को लेकर क्षत्रिय समाज में भारी आक्रोश है। क्षत्रिय करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत ने एक वीडियो स्टेटमेंट में साफ चेतावनी दी है कि 8 जून को नागौर में आक्रामक तरीके से जवाब दिया जाएगा।

अभद्र टिप्पणी से उपजा गुस्सा
एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करवाने को लेकर जयपुर के शहीद स्मारक पर हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में चल रहे धरने के दौरान, एक चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने राजपूत समाज और उनके पूर्वजों को लेकर विवादित बयान दिया। इस बयान के बाद क्षत्रिय समाज में जबरदस्त गुस्सा देखने को मिल रहा है।
राज शेखावत ने कहा, “हनुमान बेनीवाल पहले भी हमारे लोक देवताओं, महापुरुषों और क्षत्राणियों पर अभद्र टिप्पणियां कर चुके हैं। इस बार हम चुप नहीं बैठेंगे। 8 जून को नागौर में लाखों क्षत्रिय इकट्ठा होकर उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे।”
लोकसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र
करणी सेना की ओर से लोकसभा अध्यक्ष को पत्र भी भेजा गया है जिसमें मांग की गई है कि हनुमान बेनीवाल की सांसदी सदस्यता रद्द की जाए। शेखावत ने कहा कि, “संविधान में ऐसे प्रावधान हैं जिनके तहत जनप्रतिनिधियों की सदस्यता खत्म की जा सकती है, और हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।”
“राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का राजस्थान से होगा सफाया”
राज शेखावत ने आक्रामक लहजे में कहा, “यदि RLP का नामोनिशान हमने राजस्थान से नहीं मिटाया तो हमारा नाम भी क्षत्रिय करणी सेना नहीं है।” उन्होंने अपील की कि आने वाले चुनावों में RLP के किसी भी उम्मीदवार को वोट न दिया जाए और “वोट की चोट” के ज़रिये जवाब दिया जाए।
करणी सेना में मतभेद पर भी बोले शेखावत
जब उनसे पूछा गया कि करणी सेना में मतभेद दिखाई दे रहे हैं और अलग-अलग गुट अलग-अलग बयान दे रहे हैं, तो उन्होंने कहा, “यह आयोजन किसी एक बैनर के तहत नहीं है। यह समस्त क्षत्रिय समाज का आयोजन है। हम सिर्फ व्यवस्थापक हैं। मतभेद विचारों के हो सकते हैं, लेकिन इस मुद्दे पर सभी एकमत हैं।”
समाज की ओर से चेतावनी
शेखावत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह विरोध किसी जाति विशेष के खिलाफ नहीं है बल्कि व्यक्ति विशेष – हनुमान बेनीवाल – के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “हम 36 कौमों को साथ लेकर चलने वाले लोग हैं। लेकिन जो भी हमारे महापुरुषों और पूर्वजों का अपमान करेगा, उसे जवाब मिलेगा।”
आने वाले समय में और आंदोलन की चेतावनी
शेखावत ने सरकार से भी मांग की है कि ऐसे बयानों पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस कानून बनाया जाए ताकि जननायकों द्वारा बार-बार की जा रही अभद्र टिप्पणियों पर अंकुश लगाया जा सके। उन्होंने कहा, “जब तक जवाब नहीं मिलेगा, ऐसे बयान जारी रहेंगे। अब समय आ गया है कि इनका इलाज वोट और विरोध से किया जाए।”
निष्कर्ष
राजस्थान की राजनीति में जातीय और सामाजिक मुद्दों को लेकर एक बार फिर बवंडर खड़ा होता दिख रहा है। 8 जून को नागौर में होने वाला सम्मेलन क्या नया मोड़ लाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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