हनुमान बेनीवाल के बयान ने बढ़ाई सियासी गर्मी
नागौर सांसद और आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल के हालिया बयान ने राजस्थान की राजनीति और सामाजिक संगठनों के बीच जबरदस्त विवाद खड़ा कर दिया है। जयपुर में एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर दिए गए एक इंटरव्यू में बेनीवाल ने कहा कि “राजस्थान में इतिहास में सिर्फ एक-दो लोगों ने ही लड़ाई लड़ी, बाकी तो मुगलों के आगे आत्मसमर्पण कर दिया।” इस बयान के बाद से राजपूत समाज, करणी सेना, और कई राजनेता भड़क गए हैं।

क्या कहा था हनुमान बेनीवाल ने?
धरने के दौरान मीडिया से बातचीत में बेनीवाल ने कहा:
“राजस्थान के इतिहास में सिर्फ एक-दो योद्धाओं जैसे महाराजा सूरजमल ने ही युद्ध लड़ा, बाकी तो मुगलों के आने पर 70 किलोमीटर पहले ही अपनी बेटियों को देकर समझौता कर लेते थे।”
उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान में “सेटलमेंट और एडजस्टमेंट के तहत रिश्ते बनाए गए, और कई जगहों पर खुद बेटियों को मुगलों को सौंपा गया।”
करणी सेना और राजपूत संगठनों का कड़ा विरोध
करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राज शेखावत ने बयान को पूर्वजों के अपमान से जोड़ते हुए कहा कि बेनीवाल को जल्द मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। वहीं मारवाड़ राजपूत सभा के अध्यक्ष हनुमान सिंह खांगटा ने बेनीवाल को “दिमागी दिवालिया” बताते हुए उनके बयान को समाज की वीरता पर चोट करार दिया।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा:
“अगर बेनीवाल ने इतिहास पढ़ा होता, तो उन्हें राणा सांगा, राणा कुंभा, पृथ्वीराज चौहान, दुर्गादास राठौड़ जैसे महान योद्धाओं के बारे में जानकारी होती। यह बयान न केवल इतिहास का अपमान है बल्कि देश की चेतना पर भी चोट है।”
ज्योति मिर्धा का भी तीखा पलटवार
बीजेपी नेता और बेनीवाल की धुर विरोधी ज्योति मिर्धा ने भी बेनीवाल के बयान को टीआरपी पाने का हथकंडा बताया और कहा:
“बेनीवाल को सिर्फ सुर्खियों में रहना है, इसलिए वह ऐसे अनर्गल बयान देते हैं।”
बेनीवाल की सफाई: ‘मैंने किसी जाति को नहीं किया टारगेट’
विवाद के बाद हनुमान बेनीवाल ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने किसी जाति या समाज का नाम नहीं लिया। उनका कहना है:
“अगर कोई मेरी बातों को अपने समाज से जोड़ रहा है, तो वह जानबूझकर ऐसा कर रहा है। मैंने किसी जाति विशेष को टारगेट नहीं किया।”
उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को लगे कि उन्होंने किसी समाज पर टिप्पणी की है, तो वे वीडियो दिखाएं और उन्हें जवाब मिलेगा।
राजनीतिक रणनीति या समाज पर सीधी चोट?
बेनीवाल के बयान को कुछ लोग राजनीतिक रणनीति मान रहे हैं ताकि वे अपने समर्थक वर्ग को मजबूती से जोड़ सकें। वहीं, दूसरी ओर यह बयान राजस्थान की गौरवशाली परंपरा और क्षत्रिय समाज की वीरता पर सीधा सवाल खड़ा करता है।

इतिहासकारों की राय
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में इतिहास शिक्षक राजवीर सिंह चलकोई ने बताया कि राजस्थान में सबसे पहले मुगलों की अधीनता राजा भारमल ने स्वीकार की थी, जिन्होंने अपनी बेटी हरखाबाई की शादी अकबर से कर दी थी। उनके अनुसार, यह 1562 में सांभर में हुआ था।
क्या बयानबाज़ी से बिगड़ सकता है सामाजिक सौहार्द?
हनुमान बेनीवाल ने अलग-अलग सेनाओं को राज्य के लिए खतरनाक बताया और कहा कि “सेना तो एक ही होती है – देश की सेना। जातिगत सेनाएं राज्य को गलत दिशा में ले जाएंगी।” उन्होंने चेताया कि अगर इस तरह के मुद्दे उठाए जाते रहे, तो जातीय दंगे तक हो सकते हैं।
निष्कर्ष:
हनुमान बेनीवाल का यह बयान राजस्थान में सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक हलचल भी पैदा कर चुका है। जहां एक ओर उनका समर्थन करने वाले इसे सच बोलने की हिम्मत कह रहे हैं, वहीं विरोधी इसे समाज की भावनाओं और इतिहास पर हमला मान रहे हैं। इस विवाद ने यह तो साफ कर दिया है कि इतिहास की व्याख्या और सामाजिक पहचान को लेकर राजस्थान की राजनीति कितनी संवेदनशील है।
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