होली रंगों और खुशियों का त्योहार है, लेकिन इस बार जयपुर में एक खास चीज ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है – गुलाल गोटे। ये पारंपरिक लाख के गुब्बारे, जिनमें रंगीन गुलाल भरा जाता है, सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं और इनकी डिमांड जबरदस्त बढ़ गई है।

क्या है गुलाल गोटा?
गुलाल गोटा एक पारंपरिक गुब्बारा होता है, जो लाख से बनाया जाता है। इसे खासतौर पर होली खेलने के लिए तैयार किया जाता है। यह न केवल दिखने में आकर्षक होता है, बल्कि पूरी तरह से हाइजीनिक और सुरक्षित भी है। पारंपरिक रूप से, जयपुर के मनिहारों के रास्ते में रहने वाले कारीगर इसे पीढ़ियों से बना रहे हैं।
350 साल पुरानी परंपरा
गुलाल गोटे का इतिहास लगभग 350 साल पुराना है। इसे सबसे पहले जयपुर के राजा-महाराजाओं के महलों में खेला जाता था। कहा जाता है कि राजाओं की होली खास होती थी, और वे इन गुलाल गोटों से खेलते थे। इसके बाद यह परंपरा आम जनता तक पहुंची।
कैसे बनता है गुलाल गोटा?
गुलाल गोटा बनाने की प्रक्रिया बेहद दिलचस्प है। लाख को गर्म करके उसे पतली परत में ढाला जाता है, फिर इसे गुब्बारे का आकार दिया जाता है। अंदर छह रंगों का गुलाल भरा जाता है और फिर इसे सील कर दिया जाता है। यह पूरी तरह हाथ से बनाया जाता है, इसलिए इसकी क्वालिटी और पारंपरिक खूबसूरती बरकरार रहती है।
सोशल मीडिया से बढ़ी मांग
पिछले कुछ सालों में गुलाल गोटे की लोकप्रियता कम हो गई थी, लेकिन सोशल मीडिया ने इसे फिर से ट्रेंड में ला दिया। जैसे ही इंस्टाग्राम और फेसबुक पर इस पर वीडियो वायरल हुए, इसकी मांग तेजी से बढ़ गई। अब न केवल जयपुर, बल्कि देशभर के लोग इसे मंगवाने लगे हैं।
सेफ और ऑर्गेनिक विकल्प
आजकल बाजार में मिलने वाले प्लास्टिक के गुब्बारे और केमिकल युक्त रंग त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। गुलाल गोटे पूरी तरह से प्राकृतिक होते हैं और इनमें भरा गुलाल भी ऑर्गेनिक होता है, जिससे कोई एलर्जी नहीं होती। साथ ही, यह बैलून की तुलना में अधिक सुरक्षित भी होता है।
होली के उत्साह में चार चांद
जयपुर में इस बार होली पर गुलाल गोटे की धूम मची हुई है। लोग इसे न केवल खुद खेल रहे हैं, बल्कि गिफ्ट के तौर पर भी भेज रहे हैं। कई लोग इसे पार्सल कर अपने रिश्तेदारों तक पहुंचा रहे हैं। इससे पारंपरिक कारीगरों को भी नई पहचान और रोजगार मिल रहा है।
निष्कर्ष
गुलाल गोटे ने जयपुर की पारंपरिक होली को फिर से जीवंत कर दिया है। सोशल मीडिया की बदौलत यह पारंपरिक कला न केवल लोगों तक पहुंची, बल्कि कारीगरों को भी एक नई पहचान मिली। अगर आप इस होली पर कुछ अनोखा और पारंपरिक ट्राई करना चाहते हैं, तो गुलाल गोटे से बेहतर कुछ नहीं हो सकता!