राजस्थान के एक मध्यमवर्गीय परिवार में सास-बहू के रिश्ते में दरार इतनी गहरी हो गई कि मामला अब पुलिस और अदालत तक पहुंच गया है। बहू ने अपने पति और ससुराल वालों पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं, वहीं ससुराल पक्ष का दावा है कि बहू झगड़ालू स्वभाव की है और परिवार को बदनाम करने के इरादे से झूठे आरोप लगा रही है। इस मामले में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें दर्ज करवाई हैं, जिससे विवाद और अधिक गहरा गया है

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क्या है पूरा मामला?
यह घटना राजस्थान के एक प्रमुख जिले की है, जहां एक विवाहिता ने अपने ससुराल पक्ष पर घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। बहू का कहना है कि शादी के कुछ समय बाद से ही उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा। उसके अनुसार, उसका पति दूसरी शादी करना चाहता था और इसी वजह से उसे लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था। बहू ने यह भी आरोप लगाया कि उसे जबरदस्ती घर से निकालने की कोशिश की गई और विरोध करने पर उसे मारा-पीटा गया।
बहू के अनुसार, उसके पति और ससुराल वालों ने उसे घर में बंद करके रखा, खाने-पीने की सुविधाओं से वंचित किया और कई बार उसे आत्महत्या के लिए उकसाया। उसने कहा कि ससुराल पक्ष की महिलाओं ने भी उसे अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आखिरकार, जब मामला हद से ज्यादा बढ़ गया, तो बहू ने थाने जाकर शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने धारा 498A (दहेज उत्पीड़न) और धारा 323 (मारपीट) के तहत मामला दर्ज किया है और जांच शुरू कर दी है।
ससुराल पक्ष का क्या कहना है?
वहीं, दूसरी ओर ससुराल पक्ष ने इन सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि बहू खुद ही घर में विवाद खड़ा कर रही थी। परिवार के लोगों का कहना है कि बहू छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करती थी और जब उसकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो उसने पूरे परिवार को कानूनी झंझट में फंसाने की धमकी दी।
ससुराल पक्ष का दावा है कि बहू ने घर में लगे सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया ताकि उसकी हरकतें रिकॉर्ड न हो सकें और झूठे आरोप लगाने में उसे आसानी हो। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि बहू ने कई बार अपने पति और सास-ससुर के साथ दुर्व्यवहार किया और घरेलू कामों में कोई रुचि नहीं रखती थी। उनका यह भी कहना है कि बहू ने खुद ही घर छोड़ने का फैसला किया और अब झूठे आरोप लगाकर परिवार को कानूनी पचड़ों में फंसा रही है।
अदालत में पहुंचा मामला, कोर्ट ने दिया संरक्षण आदेश
जब दोनों पक्षों के बीच मामला बिगड़ गया और कोई समाधान नहीं निकल सका, तो बहू ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बहू को सुरक्षा देने का आदेश दिया और पुलिस को निर्देश दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाए। अदालत ने यह भी कहा कि अगर बहू के आरोप सही पाए जाते हैं, तो ससुराल पक्ष के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, अगर बहू के आरोप गलत साबित होते हैं, तो उसके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराने के लिए कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
पड़ोसियों और रिश्तेदारों की राय
इस पूरे मामले में पड़ोसियों और रिश्तेदारों की राय भी बंटी हुई है। कुछ लोगों का मानना है कि बहू के आरोप सही हो सकते हैं क्योंकि उन्होंने घर में कई बार झगड़ों की आवाजें सुनी थीं। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि ससुराल पक्ष का रवैया हमेशा से अच्छा रहा है और बहू ही गैरजिम्मेदार और झगड़ालू स्वभाव की थी।
पुलिस की जांच और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने दोनों पक्षों से पूछताछ शुरू कर दी है और सबूत इकट्ठा करने में जुट गई है। अधिकारी घर में लगे सीसीटीवी फुटेज, गवाहों के बयान और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर निष्कर्ष निकालने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस का कहना है कि जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी और दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

निष्कर्ष
यह मामला घरेलू विवादों के बढ़ते मामलों का एक और उदाहरण है, जिसमें रिश्तों में दरारें इतनी गहरी हो जाती हैं कि वे अदालत और पुलिस तक पहुंच जाती हैं। अब देखना यह होगा कि इस मामले में न्याय किसे मिलता है – बहू को या ससुराल पक्ष को? इस पूरे प्रकरण से यह भी साफ होता है कि आजकल घरेलू मामलों में कानूनी प्रक्रिया का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में भी किया जा सकता है। इस मामले में निष्पक्ष जांच ही सच्चाई सामने ला सकती है।
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