झलक राजस्थान डेस्क | राजसमंद
राजस्थान के राजसमंद जिले के छोटे से गाँव सिसोदा में एक ऐसा स्कूल तैयार हुआ है, जिसे देखकर हर कोई चौंक रहा है। दिखने में यह किसी फाइव स्टार होटल जैसा लगता है, लेकिन असल में यह एक सरकारी स्कूल है, जिसे दो भाइयों – मेघराज धाकड़ और अजीत धाकड़ ने मिलकर अपने विजन और समर्पण से बनाया है। इस स्कूल को बनाने में इन दोनों भाइयों ने अपनी जेब से करीब 15 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

सरकारी स्कूल या फाइव स्टार सुविधा?
जब कोई इस स्कूल को पहली बार देखता है तो उसे विश्वास करना मुश्किल हो जाता है कि यह एक सरकारी स्कूल है। राजसमंद के सिसोदा ग्राम पंचायत में स्थित यह विद्यालय न केवल अपने भव्य भवन से आकर्षित करता है, बल्कि इसकी सुविधाएं भी किसी महंगे प्राइवेट स्कूल से कम नहीं हैं।
आधुनिक सुविधाओं से लैस स्कूल
इस सरकारी विद्यालय में वे सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो बड़े-बड़े शहरी स्कूलों में मिलती हैं। इसमें शामिल हैं:
- फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी लैब्स
- आधुनिक कंप्यूटर लैब
- डिजिटल क्लासरूम्स जिनमें टच स्क्रीन स्मार्ट बोर्ड्स लगे हैं
- आधुनिक लाइब्रेरी जिसमें उच्च स्तरीय किताबें उपलब्ध हैं
- कांफ्रेंस रूम और शिक्षक प्रशिक्षण के लिए व्यवस्था
- 20 केवी का सोलर सिस्टम जिससे 24 घंटे बिजली उपलब्ध है
- फर्नीचर पर ही 70–80 लाख रुपये खर्च
- बढ़िया रसोई व्यवस्था और बागवानी क्षेत्र
दो भाइयों की प्रेरणादायक कहानी
इस स्कूल को बनाने वाले मेघराज जी और अजीत जी धाकड़, खुद इसी स्कूल में छठी और सातवीं तक पढ़े हैं। उस समय स्कूल की स्थिति बहुत खराब थी – भवन जर्जर था और सुविधाओं का अभाव था। यही कारण था कि जब इन भाइयों ने सफलता पाई, तो उन्होंने निश्चय किया कि अपने गाँव को एक ऐसा स्कूल देंगे, जो उच्च शिक्षा की मिसाल बने।
मंगलम चैरिटेबल ट्रस्ट, मुंबई के माध्यम से दोनों भाइयों ने स्कूल निर्माण का संपूर्ण जिम्मा लिया और प्रशासन के साथ समन्वय कर हर छोटी से छोटी चीज़ का ध्यान रखा।
शिक्षा के क्षेत्र में नया मील का पत्थर
यह स्कूल न केवल भवन और सुविधाओं में उत्कृष्ट है, बल्कि शैक्षणिक गतिविधियों में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यहाँ निम्नलिखित कोर्सेज भी शुरू किए गए हैं:
- होम साइंस
- ब्यूटी एंड वेलनेस
- टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी
- आगामी योजनाओं में स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का भी प्रस्ताव
इस स्कूल में 280 से अधिक छात्र पहले ही प्रवेश ले चुके हैं और अब पूरे राजस्थान से लोग यहाँ अपने बच्चों का एडमिशन कराने में रुचि दिखा रहे हैं।
राज्यपाल और शिक्षा मंत्री भी हुए प्रभावित
इस अनूठे स्कूल की चर्चा अब सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे भारत में इसे एक प्रेरणास्रोत के रूप में देखा जा रहा है। हाल ही में राज्यपाल ओम बिरला और शिक्षा मंत्री ने इस विद्यालय का उद्घाटन किया और इसकी भव्यता तथा शिक्षा व्यवस्था की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
शिक्षा के साथ रोजगार का भी लक्ष्य
इस स्कूल का उद्देश्य केवल बच्चों को शिक्षा देना नहीं है, बल्कि उन्हें आगे चलकर रोजगार और राष्ट्र स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने लायक भी बनाना है। ट्रस्ट की ओर से यह संकल्प लिया गया है कि प्रतिभाशाली छात्रों को आगे की पढ़ाई और करियर निर्माण में हर संभव मदद दी जाएगी।

निष्कर्ष
सिसोदा ग्राम पंचायत का यह स्कूल आज पूरे देश में एक आदर्श उदाहरण बन गया है कि यदि संकल्प और समर्पण हो, तो कोई भी बदलाव लाना मुश्किल नहीं होता। मेघराज और अजीत धाकड़ ने साबित कर दिया है कि सही सोच और नीयत हो तो शिक्षा के मंदिर को सचमुच स्वर्ण मंदिर जैसा बनाया जा सकता है।
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