दिल्ली में राजस्थानी दिवस की भव्य धूम
दिल्ली में बसे प्रवासी राजस्थानियों ने पूरे उत्साह और जोश के साथ 76वें राजस्थानी दिवस को मनाया। इस खास मौके पर राजस्थानी मित्र मंडल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रवासी राजस्थानियों ने एकजुट होकर अपनी संस्कृति, परंपरा और भाषा को जीवंत किया। इस कार्यक्रम में राजस्थानी लोकगीतों की प्रस्तुति, पारंपरिक वेशभूषा, स्वादिष्ट व्यंजन और संस्कृति के अनगिनत रंग देखने को मिले।

राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की मांग बुलंद
कार्यक्रम में मौजूद वक्ताओं ने राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को प्रमुखता से उठाया। राजस्थानी भाषा और इसके विभिन्न स्वरूपों जैसे मारवाड़ी, मेवाड़ी, शेखावटी, हाड़ौती आदि को मान्यता देने के लिए लोगों ने आवाज़ बुलंद की।
राजवीर सिंह चालकोई ने कहा,
“राजस्थानी भाषा लिखित रूप में एक है, इसे संविधान में स्थान मिलना चाहिए। जैसे पंजाबी, गुजराती और मराठी को मान्यता मिली है, वैसे ही राजस्थानी को भी उसका हक मिलना चाहिए।”
राजस्थानी व्यंजनों की महक से महका कार्यक्रम
इस आयोजन में राजस्थानी दाल-बाटी-चूरमा को विशेष रूप से तैयार किया गया था। इसे तैयार करने के लिए विशेष कारीगरों को कई दिन पहले से ही बुलाया गया था। वहां मौजूद लोगों ने स्वादिष्ट राजस्थानी व्यंजनों का लुत्फ उठाया और पारंपरिक भोजन को सराहा।
दिल्ली पुलिस में कार्यरत भूराम यादव ने कहा,
“राजस्थान के व्यंजन सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि अपनापन और परंपरा की पहचान भी हैं। यह हमें हमारी मिट्टी से जोड़ते हैं।”
दिल्ली में 17 साल से बसे राजस्थानियों ने व्यक्त की अपनी भावनाएं
राजस्थानी प्रवासियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि दिल्ली में रहते हुए भी वे अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं। कार्यक्रम में भाग लेने वाले कई लोगों ने कहा कि वे दिल्ली में रहकर भी अपनी संस्कृति को जीवंत रखने का प्रयास कर रहे हैं।
राधेश्याम, जो जामिया मिलिया इस्लामिया में मास्टर्स कर रहे हैं, ने कहा,
“दिल्ली में रहते हुए भी हम अपनी मातृभाषा और परंपराओं को नहीं भूले हैं। ऐसे कार्यक्रम हमें और मजबूती से हमारी संस्कृति से जोड़ते हैं।”
राजस्थानी लोकगीतों और नृत्य ने मोहा मन
कार्यक्रम के दौरान राजस्थानी लोक गीतों और नृत्यों की शानदार प्रस्तुतियां दी गईं। राजस्थान की विभिन्न लोक परंपराओं को मंच पर उतारा गया, जिससे उपस्थित लोग मंत्रमुग्ध हो गए। पुरुषों ने पारंपरिक पगड़ी और साफा बांधकर तो महिलाओं ने घाघरा-चोली पहनकर अपनी संस्कृति की झलक दिखाई।
विष्णु यादव, जो हिंदू कॉलेज के छात्र हैं, ने कहा,

“दिल्ली में इस तरह का माहौल पाकर लगा कि हम राजस्थान में ही हैं। राजस्थानी गीत-संगीत और पारंपरिक वेशभूषा देखकर गर्व महसूस हो रहा है।”
राजस्थानी एकजुटता: जरूरतमंदों की मदद के लिए तत्पर
यह कार्यक्रम सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें सामाजिक सहायता की भावना भी देखने को मिली। एम्स और दिल्ली के अन्य अस्पतालों में कार्यरत राजस्थानी कर्मचारी जरूरतमंद प्रवासी राजस्थानियों की मदद के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
भूप सिंह, जो हनुमानगढ़ जिले से हैं और दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं, ने कहा,
“अगर कोई भी राजस्थानी भाई किसी भी परेशानी में हो, तो हम सभी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। यह आयोजन हमारी एकता को और मजबूत करता है।”
समाप्ति: राजस्थान की मिट्टी से जुड़े रहने का प्रण
दिल्ली में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि राजस्थानियों का दिल्ली में जलवा बरकरार है। प्रवासी राजस्थानियों ने यह संकल्प लिया कि वे अपनी संस्कृति, भाषा और परंपराओं को संजोए रखेंगे और अगली पीढ़ी को भी इसके महत्व से अवगत कराएंगे।
कार्यक्रम का समापन ‘पधारो म्हारे देश’ के गीत और भावनात्मक संबोधन के साथ हुआ, जिसमें राजस्थान की गौरवशाली संस्कृति को और अधिक प्रचारित करने की बात कही गई।
राजस्थानियों की एकता और संस्कृति का यह उत्सव आने वाले वर्षों में और अधिक भव्य रूप से आयोजित किया जाएगा। झलको राजस्थान हमेशा आपके लिए ऐसी प्रेरणादायक और गर्व से भरी खबरें लाता रहेगा।
झलको राजस्थान की ओर से सभी राजस्थानियों को राजस्थानी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
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