चूरू जिले के डूंगरगढ़ के बीगाबास इलाके से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सभी को हैरान कर दिया। 22 साल की लक्ष्मी ने अपने परिवार को छोड़कर सरदारशहर के वार्ड 23 निवासी आकाशदीप के साथ रहने का फैसला किया। यह कहानी एक साधारण दोस्ती से शुरू हुई, जो धीरे-धीरे गहरे प्रेम में बदल गई। लक्ष्मी और आकाशदीप की पहली मुलाकात सोशल मीडिया पर हुई थी, जहां से दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ।

परिवार का विरोध और संघर्ष
लक्ष्मी ने करीब डेढ़ साल पहले आकाशदीप से दोस्ती की थी, जो बाद में मोबाइल फोन पर लंबी बातचीत में बदल गई। दोनों ने एक-दूसरे को चाहना शुरू किया और शादी करने का मन बना लिया। जब लक्ष्मी ने अपने परिवार को आकाशदीप के बारे में बताया, तो परिवार ने सरदारशहर जाकर आकाशदीप की पड़ताल की। उन्हें पता चला कि आकाशदीप कोई स्थिर काम नहीं करता और नशे का आदि है। यह जानने के बाद परिवार ने इस रिश्ते को नकार दिया और लक्ष्मी पर दबाव डाला कि वह इस रिश्ते से दूर हो जाए।
थाने तक पहुंचा मामला
परिवार के विरोध के बावजूद लक्ष्मी ने आकाशदीप का साथ नहीं छोड़ा। वह अपने परिवार से दूर होकर आकाशदीप के पास चली गई। उन्होंने एक सहमति पत्र तैयार करवाया और दोनों ने सरदारशहर पुलिस थाने पहुंचकर अपनी सुरक्षा की मांग की। थाने में लक्ष्मी के माता-पिता और भाई भी पहुंच गए। माता-पिता ने हाथ जोड़कर बेटी से घर लौटने की विनती की, लेकिन लक्ष्मी ने उनकी एक भी नहीं सुनी। वह अपने फैसले पर अडिग रही और आकाशदीप का हाथ थामे रखा।
माता-पिता का दर्द
थाने में माता-पिता की आंखों में आंसू थे। वे गिड़गिड़ाते रहे, पर लक्ष्मी ने अपने परिवार की बात नहीं मानी। माता-पिता का कहना है कि वे समाज के डर से बेटी को वापस लाना चाहते हैं, लेकिन लक्ष्मी ने स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी मर्जी से जीवन जीना चाहती है। लक्ष्मी का कहना है कि वह अपने निर्णय से खुश है और आकाशदीप के साथ रहने का फैसला उसने सोच-समझकर लिया है।
समाज की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद बीगाबास इलाके में चर्चा का माहौल है। कुछ लोग लक्ष्मी के साहस की सराहना कर रहे हैं तो कुछ इसे पारिवारिक मूल्यों की अवहेलना मान रहे हैं। वहीं, लक्ष्मी का मानना है कि हर व्यक्ति को अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीने का अधिकार है और उसने वही किया जो उसे सही लगा।
पुलिस की भूमिका
पुलिस ने इस मामले को संवेदनशील मानते हुए सभी पक्षों की बात सुनी है। फिलहाल लक्ष्मी और आकाशदीप को सुरक्षा प्रदान की गई है। पुलिस का कहना है कि अगर किसी भी पक्ष को जान-माल का खतरा होता है तो तत्काल कार्यवाही की जाएगी।
निष्कर्ष
यह मामला सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि परिवार और समाज के बीच टकराव की एक गहरी कहानी है। जहां एक तरफ परिवार अपनी बेटी की सुरक्षा और भविष्य को लेकर चिंतित है, वहीं दूसरी तरफ लक्ष्मी अपनी स्वतंत्रता और पसंद का अधिकार जताती है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि बदलते सामाजिक परिवेश में व्यक्तिगत आजादी और पारिवारिक मूल्यों के बीच संतुलन कैसे कायम रखा जाए।