चूरू जिला मुख्यालय पर पर्यावरण एवं जलवायु संरक्षण को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पर्यावरण जागरूकता बढ़ाना और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए समाज को प्रेरित करना था। हालांकि, इस आयोजन में एक अनूठी स्थिति देखने को मिली। आयोजनकर्ताओं ने भीड़ जुटाने के लिए कई बड़े राजनेताओं और हस्तियों के नाम आमंत्रण कार्ड पर छपवाए, लेकिन जब कार्यक्रम हुआ, तो ये सभी हस्तियां मंच से नदारद रहीं।

कार्यक्रम में आमंत्रित प्रमुख नाम
कार्यक्रम के निमंत्रण कार्ड में कई बड़े नेताओं और सामाजिक हस्तियों के नाम थे। इनमें शामिल थे:
- जिला प्रमुख वंदना आर्य
- भाजपा जिलाध्यक्ष बसंत जांगिड़
- विधायक हरलाल सहारण
- पूर्व मंत्री राजकुमार ऋणवा
- पूर्व विधायक अभिनेश महर्षि
- पूर्व प्रधान विक्रम कोटवाद
हालांकि, इनमें से कोई भी हस्ती इस कार्यक्रम में नहीं पहुंची, जिससे आयोजन समिति की मंशा पर सवाल उठने लगे।
कार्यक्रम में कौन-कौन रहे मौजूद?
जहां एक ओर बड़े नाम मंच से नदारद रहे, वहीं कुछ स्थानीय नेताओं और अधिकारियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इनमें शामिल थे:
- युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष गोपाल बालन
- आईटी डिपार्टमेंट के अधिकारी नरेश टहानिया
- आयोजन समिति से पथवी सिंह शेखावत, विनोद गजेंद्र सिंह, विट्ठल बेदी
इन सभी ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर अपने विचार आम जनता के साथ साझा किए।
कार्यक्रम का उद्देश्य और असली सवाल
इस कार्यशाला में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल द्विवेदी ने पर्यावरण और जलवायु संरक्षण की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन आज की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है और हमें इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
हालांकि, इस आयोजन के दौरान एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ—क्या इस तरह भीड़ जुटाने के लिए आमंत्रण पत्रों में सेलिब्रिटी और राजनेताओं के नाम छापना सही है, जब वे खुद कार्यक्रम में हिस्सा ही नहीं लेते? क्या आयोजकों का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना होना चाहिए या केवल अधिक भीड़ इकट्ठा करना?
पर्यावरण जागरूकता बनाम भीड़ जुटाने की रणनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि पर्यावरण और जलवायु संरक्षण जैसे मुद्दों पर असली ध्यान स्लोगन और मिशन पर होना चाहिए, न कि भीड़ इकट्ठा करने की रणनीतियों पर। इस तरह के आयोजनों को केवल प्रचार का माध्यम बनाने के बजाय, लोगों को वास्तविक रूप से इस समस्या से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए।
समाज की क्या है जिम्मेदारी?
हम सभी को समझना होगा कि पर्यावरण संरक्षण सरकार या केवल कुछ संगठनों की जिम्मेदारी नहीं है। यह हम सबकी जिम्मेदारी है। पेड़ लगाना, प्लास्टिक का कम उपयोग करना, जल संरक्षण करना और हरित ऊर्जा की ओर बढ़ना—ये छोटे-छोटे कदम हैं जो एक बड़े बदलाव की ओर ले जा सकते हैं।
