परिसीमन पर उठा सियासी तूफान
राजस्थान के चूरू जिले में नगर परिषद के नए परिसीमन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया है कि 2025 में हुआ परिसीमन पूरी तरह से राजनीतिक हस्तक्षेप और पक्षपात का परिणाम है। उनका कहना है कि सत्ताधारी दल ने नियमों को ताक पर रखकर, अपने फायदे के लिए वार्डों की संख्या और सीमाओं को तोड़ा-मरोड़ा है।

🔹 भाजपा पर सीधा हमला: “मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा अगर…!”
पूर्व सभापति गोविंद महसरिया ने दावा किया कि उनके कार्यकाल में हुए परिसीमन 1983, 1994, 1999, 2009 और 2019 में किसी प्रकार की धांधली नहीं हुई थी। उन्होंने कहा –
“यदि कोई यह सिद्ध कर दे कि मैंने किसी भी परिसीमन में ब्लॉक या जनसंख्या को तोड़-मरोड़ कर बदला है, तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा।”
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा शासन में जनता की आवाज नहीं सुनी जाती और फैसले मनमाने ढंग से किए जाते हैं।
🔹 विवादित वार्ड: आठ वार्ड खत्म, जनता में रोष
कांग्रेस नेता रमज़ान महसरिया ने बताया कि इस बार परिसीमन में 8 वार्ड पूरी तरह खत्म कर दिए गए, जिनमें वार्ड नंबर 4, 8, 10, 11, 14, 25, 27 और 37 शामिल हैं। इन वार्डों की पॉपुलेशन को अन्य जगहों पर एडजस्ट कर दिया गया है, जिससे स्थानीय नागरिकों में नाराजगी है।
एक उदाहरण में उन्होंने बताया कि वार्ड नंबर 9 में 4500 की जनसंख्या थी जिसे वार्ड 8 से मिलाकर और फिर वार्ड 10, 6 और 26 से ब्लॉक्स जोड़कर 5500 से ज्यादा कर दिया गया।
“जहां पॉपुलेशन 2200 थी वहां 4000 दिखा दी गई और जहां 3600 थी वहां 1755 दर्शाई गई।”
🔹 फर्जी आंकड़े और नियमों की अनदेखी का आरोप
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस बार का परिसीमन बिना किसी प्रारूप के, मनमानी तरीके से तैयार किया गया। सभी ब्लॉकों को बिना जनसंख्या संतुलन के तोड़ा गया, जिससे वार्डों की सीमाएं असंतुलित हो गई हैं।
उन्होंने कहा:
“ब्लॉकों की जनसंख्या को बिना अनुमोदन और सटीक गणना के जोड़कर नकली प्रारूप तैयार किया गया है। यह पूरा मामला फर्जीवाड़ा है।”
🔹 जनता में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
स्थानीय जनता का भी कहना है कि उनके साथ अन्याय हुआ है और जनप्रतिनिधियों ने उनके वार्ड को खत्म कर दिया है। एक नागरिक ने कहा:
“जनता की कोई सुनवाई नहीं हो रही, तो फिर हमें मजबूरन कोर्ट और आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।”
कांग्रेस नेताओं ने भी चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन और सरकार ने इस फैसले को सही नहीं किया तो वे आंदोलन, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।

🔹 प्रपत्र ‘ख’ पर सवाल, “पूरी दाल ही काली है”
कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया कि जब चूरू नगर परिषद का परिसीमन अब तक अधर में है, तो प्रपत्र ‘ख’ कैसे जारी कर दिया गया?
“जब सुजानगढ़, सरदारशहर और रतननगर में प्रपत्र जारी हो सकते हैं, तो चूरू में क्यों नहीं?”
🔹 राजनीति या प्रशासनिक प्रक्रिया?
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है – क्या परिसीमन प्रशासनिक प्रक्रिया है या राजनीतिक चाल? कांग्रेस का साफ आरोप है कि भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं को बैठाकर मनचाहे ढंग से परिसीमन कराया, ताकि चुनाव में लाभ मिल सके।
📌 निष्कर्ष: अदालत और आंदोलन दोनों के लिए तैयार कांग्रेस
कांग्रेस नेताओं ने बताया कि वे कलेक्टर, कमिश्नर और एसडीएम से लगातार मिल रहे हैं। मांग की जा रही है कि जनसंख्या आंकड़ों को सही किया जाए और न्यायपूर्ण परिसीमन हो।
अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अदालत का रुख करने और जन आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दे चुके हैं।