राजस्थान के चूरू जिले में हाल ही में लव मैरिज के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। खासकर कोर्ट मैरिज का चलन बढ़ने से समाज के पारंपरिक ढांचे पर सवाल उठने लगे हैं। Jhalko Rajasthan की ग्राउंड रिपोर्ट में स्थानीय लोगों ने इस सामाजिक बदलाव पर अपनी तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं।

क्यों चूरू बना लव मैरिज का हॉटस्पॉट?
पिछले दो महीनों में चूरू जिले से लव रिलेशनशिप और भागकर शादी करने के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं। लोग इसे सोशल मीडिया के प्रभाव, मोबाइल की आज़ादी और लॉकडाउन के बाद की सामाजिक ढील से जोड़कर देख रहे हैं।
एक स्थानीय नागरिक ने कहा –
“आजकल की लड़कियां बिना मां-बाप की मर्जी के कोर्ट में शादी कर रही हैं। कोर्ट भी उनके पक्ष में चला जाता है, यह समाज के लिए बहुत खतरनाक है।”
कोर्ट मैरिज बनाम समाज की मान्यता
स्थानीय लोगों का मानना है कि कोर्ट द्वारा दी गई स्वतंत्रता का दुरुपयोग हो रहा है। कई लोगों ने तो यह तक कहा कि –
“कोई बच्ची 18 साल की होते ही मां-बाप से बगावत कर कोर्ट में शादी कर रही है, यह उनके पालन-पोषण और त्याग का अपमान है।”
रतनगढ़ विधायक रामजी गोदारा ने भी विधानसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए कानून में संशोधन की मांग की है। वे चाहते हैं कि कोर्ट मैरिज के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य हो।
सोशल मीडिया और मोबाइल – परिवर्तन के बड़े कारक
ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना है कि मोबाइल और सोशल मीडिया ने बच्चों को गुमराह किया है। स्कूल और कोचिंग के बहाने बच्चे अपने प्रेम संबंधों को बढ़ावा दे रहे हैं।
“पहले पड़ोसी निगरानी रखते थे, अब मोबाइल की वजह से कोई कुछ नहीं देखता। लॉकडाउन के बाद ये चलन और बढ़ गया है,” एक महिला ने बताया।
मानसिक तनाव और आत्महत्याओं में वृद्धि
इस सामाजिक बदलाव का सबसे खतरनाक पहलू आत्महत्या की घटनाएं हैं। कई मामलों में जब बच्चों के भागने की खबर मिलती है, तो माता-पिता अवसाद में आ जाते हैं।
“हमने देखा है कि 90% मामलों में माता-पिता आत्महत्या तक कर लेते हैं,” एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा।

अभिभावकों की भूमिका और जिम्मेदारी
समाज का एक बड़ा वर्ग यह भी मानता है कि माता-पिता को बच्चों की परवरिश में पारदर्शिता लानी चाहिए। बच्चों से संवाद बढ़ाना चाहिए ताकि वे ऐसे निर्णय लेने से पहले सोचें।
“घर के लोग पहले जानें, फिर कोई फैसला हो। बच्चों को स्वतंत्रता दें लेकिन जिम्मेदारी भी समझाएं,” एक शिक्षक ने कहा।
क्या होना चाहिए समाधान?
- कानून में संशोधन: कोर्ट मैरिज के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य की जाए।
- सोशल मीडिया नियंत्रण: बच्चों के मोबाइल उपयोग पर निगरानी हो।
- शिक्षा में नैतिकता: स्कूल-कॉलेजों में सामाजिक शिक्षा अनिवार्य की जाए।
- समाज की जागरूकता: पंचायत और मोहल्ला स्तर पर चर्चा और समाधान।
जनता की आवाज – “समाज को टूटने से बचाना होगा”
अधिकतर लोगों ने कहा कि लव मैरिज का मतलब गलत नहीं है, लेकिन बिना परिवार की सहमति के लिए गए कदम समाज में दरार पैदा कर रहे हैं।
“प्रेम हो, लेकिन दोनों परिवारों की सहमति से हो। छुपकर नहीं, खुलकर शादी होनी चाहिए,” एक सरपंच ने बताया।
निष्कर्ष
चूरू जैसे छोटे शहरों में लव मैरिज और कोर्ट मैरिज की घटनाएं समाज को नए मोड़ पर ला रही हैं। यह बदलाव किस दिशा में जाएगा, यह सरकार, समाज और परिवार – तीनों की संयुक्त जिम्मेदारी पर निर्भर करता है।
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