परिचय: वीरता की मिसाल बना चूरू का जवान
राजस्थान के चूरू जिले से एक बार फिर मातृभूमि के लिए बलिदान की मिसाल सामने आई है। सेना में तैनात एक जवान देश सेवा करते हुए शहीद हो गया। जब उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो पूरा इलाका गमगीन हो गया। खास बात यह रही कि शहीद की अंत्येष्टि उनके मात्र 14 वर्षीय बेटे ने की, जिसने नम आंखों से अपने पिता को मुखाग्नि दी। यह दृश्य हर किसी की आंखों को नम कर गया।

घटना का संक्षिप्त विवरण
शहीद जवान चूरू जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले थे और भारतीय सेना में कार्यरत थे। हाल ही में एक आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान वे वीरगति को प्राप्त हो गए। जैसे ही यह दुखद समाचार गांव में पहुंचा, पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। सेना द्वारा पार्थिव शरीर जब गांव लाया गया, तो हजारों की संख्या में लोग अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े।
14 वर्षीय बेटे ने निभाया अंतिम फर्ज
शहीद जवान के परिवार में उनकी पत्नी, एक 14 वर्षीय बेटा और एक छोटी बेटी हैं। जब शहीद का अंतिम संस्कार किया गया, तो बेटे ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर आखिरी विदाई दी। यह पल न केवल परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव और वहां मौजूद हर एक व्यक्ति के लिए बेहद भावुक कर देने वाला था।
लोगों ने नम आंखों से बेटे की हिम्मत और साहस को सलाम किया। इतनी छोटी उम्र में इस तरह का कर्तव्य निभाना वास्तव में प्रेरणादायक है।
गांव में छाया मातम, हर आंख नम
जब सेना की गाड़ी तिरंगे में लिपटा शव लेकर गांव पहुंची, तो पूरे गांव में सन्नाटा छा गया। चारों ओर ‘अमर रहे’ के नारे गूंज उठे। महिलाएं रोती-बिलखती रहीं और पुरुषों की आंखें भी आंसुओं से नम थीं। स्थानीय स्कूलों और दुकानों को बंद कर श्रद्धांजलि दी गई।
सेना और प्रशासन की उपस्थिति
शहीद जवान की अंतिम यात्रा में सेना के उच्चाधिकारी और जिला प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ किया गया। शस्त्र salute और तिरंगे को सम्मानपूर्वक सौंपते समय माहौल अत्यंत भावुक हो गया।
जिला कलेक्टर और स्थानीय विधायक ने शहीद के परिवार को सांत्वना दी और राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि और सुविधाओं की जानकारी दी।
Jhalko Rajasthan की विशेष रिपोर्ट
Jhalko Rajasthan की टीम जब गांव पहुंची तो देखा कि हर गली, हर घर में शोक व्याप्त है। स्थानीय लोगों ने बताया कि शहीद जवान शुरू से ही साहसी और देशभक्ति से ओतप्रोत थे। वे अक्सर कहते थे कि यदि देश के लिए जान भी देनी पड़ी तो पीछे नहीं हटेंगे – और उन्होंने अपनी बात को सच कर दिखाया।
बेटे का संकल्प – पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का वादा
मुखाग्नि देने के बाद बेटे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह भी सेना में जाकर अपने पिता की तरह देश की सेवा करना चाहता है। गांववालों ने उसकी इस भावना की सराहना की और उसे प्रेरणा का स्रोत बताया।

सरकार और समाज से अपेक्षाएं
शहीद परिवार के लिए अब यह समय अत्यंत कठिन है। स्थानीय लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि शहीद के परिवार को स्थायी नौकरी, आर्थिक सहायता और बच्चों की शिक्षा का उचित प्रबंध मिले। इसके साथ ही गांव में शहीद स्मारक बनाए जाने की भी अपील की जा रही है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनके बलिदान को याद रख सकें।
निष्कर्ष: एक शहीद, एक प्रेरणा
चूरू का यह वीर जवान आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनका बलिदान और उनके बेटे की हिम्मत देश को सदा प्रेरणा देती रहेगी। यह सिर्फ एक परिवार की नहीं, पूरे राष्ट्र की क्षति है। Jhalko Rajasthan की टीम शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करती है और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करती है।
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