गणगौर मेले में महिलाओं की भारी भीड़

चूरू में गणगौर पर्व बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सोमवार को सब्जी मंडी में आयोजित गणगौर मेले में महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ी। एक पखवाड़े तक गणगौर माता की भक्ति और पूजन करने के बाद महिलाओं ने विधिपूर्वक उनका विसर्जन पावटा कुओं में किया और उन्हें भावभीनी विदाई दी।
मेले में उमड़ी महिलाओं ने गणगौर माता के दर्शन कर मनोकामनाएं मांगी और मंगल गीत गाए। सजीव झांकियों और गाजे-बाजे के साथ चूरू में पांच गणगौर सवारियां निकाली गईं, जो पूरे शहर में आकर्षण का केंद्र बनी रहीं।
गणगौर माता की सवारी और पूजन
गणगौर पर्व पर महिलाओं ने सामूहिक पूजा-अर्चना कर अपने सौभाग्य, परिवार की सुख-समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति की कामना की। इस दौरान महिलाओं ने पारंपरिक मंगल गीत गाए और “गोरा” व “ईसर” से अगले वर्ष फिर आनंदमयी आगमन की प्रार्थना की।
मेले में उपस्थित श्रद्धालुओं के लिए खीर और ढोकला का प्रसाद वितरित किया गया, जिसे ग्रहण करने के बाद महिलाओं ने जल-पान कर पूजा संपन्न की।
विधि-विधान से विसर्जन
पूरे चूरू में गणगौर की परंपरागत सवारी निकाली गई, जिसमें श्रद्धालु शामिल हुए। पंडितों द्वारा विधिपूर्वक पूजन कर गणगौर माता की मूर्ति को पावटा कुओं में विसर्जित किया गया।
इस दौरान, घर-घर पूजी गई गणगौर माता को महिलाएं गीत गाते हुए मेले के स्थल तक लेकर पहुंचीं। पूरा मेला स्थल श्रद्धालु भक्तों से खचाखच भरा रहा। सब्जी मंडी से सफेद घंटाघर तक मातृशक्ति का अद्भुत सैलाब देखने को मिला।
गणगौर के पारंपरिक गीतों से गूंजा चूरू
मेले के दौरान, महिलाओं द्वारा गाए गए “गोरा” के पारंपरिक गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय और उल्लासपूर्ण हो गया। महिलाओं ने अपने परिवार की खुशहाली और अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए गीत गाए और माता गणगौर से आशीर्वाद मांगा।
राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तियों की उपस्थिति
गणगौर मेले में प्रशासनिक अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस शुभ अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे:
- पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़
- विधायक हरलाल सहारण
- जिला प्रशासन के अधिकारी
- अन्य सामाजिक कार्यकर्ता एवं जनप्रतिनिधि
सभी ने गणगौर माता की पूजा-अर्चना की और महिलाओं को इस शुभ अवसर पर बधाई दी।

गणगौर पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
गणगौर उत्सव राजस्थान की लोक संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इसमें भगवान शिव (गण) और माता पार्वती (गौर) की पूजा की जाती है।
राजेंद्र राठौड़ ने कहा: “गणगौर की सवारी हमारी प्राचीन परंपरा का हिस्सा है। यह पर्व महिलाओं के सौभाग्य और समृद्धि की कामना से जुड़ा हुआ है। हम सब मिलकर इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन को हर्षोल्लास से मनाते हैं।”
गणगौर माता को दी भावभीनी विदाई
गणगौर पूजा करने वाली महिलाओं ने बताया कि पूरे 16 दिन तक यह उत्सव मनाया गया, जिसमें रोज सुबह पूजा-अर्चना, गीत गाना और सहेलियों के साथ मिलना-जुलना शामिल था।
एक श्रद्धालु महिला ने कहा: “हर दिन सुबह उठकर पूजा करना और सहेलियों से मिलकर भक्ति भाव से गणगौर माता की सेवा करना हमारी दिनचर्या बन गई थी। आज उन्हें विदा करते हुए मन बहुत भावुक हो रहा है, लेकिन अगले साल फिर इसी श्रद्धा और भक्ति के साथ उनका स्वागत करेंगे।”
निष्कर्ष
गणगौर महोत्सव चूरू की संस्कृति, आस्था और पारंपरिक उत्सवों का प्रतीक है। इस पर्व ने पूरे शहर में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उत्साह भर दिया।
गणगौर माता की शाही सवारी के साथ पूरा चूरू भक्तिमय नजर आया। गणगौर की भव्यता और भक्तों की श्रद्धा ने यह साबित कर दिया कि यह पर्व राजस्थान की आत्मा में रचा-बसा है। अगले वर्ष गणगौर माता के फिर से शुभ आगमन की प्रार्थना के साथ, इस वर्ष के गणगौर महोत्सव का समापन हुआ।
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